‘OMG NEWS’ की स्पेशल रिपोर्ट पढ़िए लगातार..
बिलासपुर. सेंट्रल जेल में अटैचमेंट के नाम पर खुटा गाड़े मुख्य प्रहरी (सहायक गोदाम इंचार्ज) की जेल के सुप्रीमो की शह पर जमे रहने की गफलत का एक और कारनामा ‘OMG NEWS NETWORK’ की पड़ताल में सामने आया है। प्रमोशन के बाद उप जेल कटघोरा में जोईनिंग देने की बजाय गृह जेल विभाग के आदेश को रद्दी की टोकरी में डाल किस तरह सेंट्रल जेल में पांव जमा काले कारोबार को से अपने आकाओं को मुख्य प्रहरी द्वारा खुश किया जा रहा है। इसकी अहम कड़ी का पता चला है।
मोटी रकम लेकर सेंट्रल जेल में थोक व्यापारियों से साठगांठ कर रसद व अन्य सामग्रियों के बिल में गोलमाल करने वाले मुख्य प्रहरी और सहायक गोदाम इंचार्ज मारकंड बारिक का उप जेल कटघोरा तबादला होने के बाद भी जेल में जमे रहने की अहम कड़ी का ‘OMG NEWS NETWORK’ खुलासा करने जा रहा है। 23 अगस्त 2019 को गृह जेल विभाग के आदेश को दरकिनार कर किस तरह अब तक जेल में जमे रहने का खेल जारी है वो भी सेंट्रल जेल अधीक्षक एस के मिश्रा की शह पर। पड़ताल में पता चला है कि मारकंड बारिक पहले तो अपना तबादला रुकवाने एड़ी चोटी एक करता रहा गृह जेल विभाग का आदेश आने के ठीक दूसरे दिन 24 अगस्त को वह जिला जेल कटघोरा पहुचा और स्वास्थ खराब होने का बहाना बना छुट्टी का आवेदन दे बिलासपुर की ओर रवाना हो गया था।
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इस बीच जेल अधीक्षक एस के मिश्रा से साठगांठ बिठाने के जुगाड़ में मारकंड बारिक लगा रहा और सफल भी हो गया। सूत्रों की माने तो जेल के सहायक गोदाम इंचार्ज जैसे मलाईदार की कुर्सी से दूर नही होने की चाह में मारकंड बारिक ने पहले के मुकाबले जेल सुप्रीमो का रेट भी बढ़ा दिया। रसद के बिल में गोलमाल का काला कारोबार एक बार फिर चल पड़ा। जेल अधीक्षक मिश्रा को शीशे में उतारने के बाद सहायक गोदाम इंचार्ज का काला कारोबार बदस्तूर जारी है। वह बिना इंटिमेश सेंट्रल जेल में तबादला होने के बाद 23 अगस्त से जमा है। इधर 31 अगस्त उसे कटघोरा उप जेल के लिए रिलीव भी कर दिया है मगर इस बार एक बार फिर गफलत कर मारकंड बारिक सेंट्रल जेल से बाहर नही निकला। काले कारोबार को बढ़ाते हुए वह अपने आकाओं के इशारे पर सरकार को चुना लगा अपने सुप्रीमो और खुद की जेब भरता रहा। आधा सितंबर माह जेल में काम करने के बाद 28 सितंबर को पुनः उसका सेंट्रल जेल में अटैचमेंट का आर्डर पास हो गया।
जेल प्रबंधन की शह पर होता रहा सारा खेल..
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‘OMG NEWS’ की पड़ताल में पता चला कि मारकंड बारिक का तबादला सेंट्रल जेल अधीक्षक एस के मिश्रा (चालू प्रभार) के आने के बाद हुआ। इससे पूर्व उस पर पहले के अधिकारी का रबर स्टैंप होने का टैंग लगा था। इसी वजह के कारण उसका तबादला करा दिया गया था। लेकिन मारकंड बारिक अपने नए साहब को खुश करने में सफल हुआ और उप जेल कटघोरा जाने से बचता रहा। स्वास्थ खराब होने का हवाला देकर छुट्टी का आवेदन देकर लौटा बारिक उसके बाद कभी कटघोरा उप जेल की चार दिवारियो के बीच झांकने तक नही गया। जेल अधीक्षक के अलावा जेल के अन्य अधिकारियों की शह पर सारा खेल चलता रहा। वही बारिक की कारगुजारियों से वाकिब जेल के बाकी कर्मचारी भी उसकी सेटिंग के आगे कुछ बोल नही पाए। इधर मारकंड बारिक जेल के रजिस्टर में बाकायदा अपनी ड्यूटी टाइम में आने जाने का लेखा जोखा दर्ज करता रहा। जिसकी जांच की जाए तो सब हकीकत सामने आ जाएगी।
आगे और भी..
सेंट्रल जेल की चारदीवारों के बीच चल रहे काले कारोबार की एक एक कारगुजारियों से ‘OMG NEWS‘ अपने पाठकों को अवगत कराता जाएगा। आगे जेल में रसद और अन्य सामग्रियों की फर्मो और मारकंड बारिक के अन्य आकाओं के नाम समेत सहायक गोदाम इंचार्ज के चेहरे से रूबरू करा किस नेता की नाराजगी जेल प्रबंधन को पड़ सकती हैं भारी आगे की कड़ी में..
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