बिलासपुर. जेल के काले कारनामों की खबरें रोकने अब जेल डीआईजी के नाम का सहारा लिया जा रहा है। ‘OMG NEWS NETWORK’ ने जब इस मामले की पड़ताल की तो डीआईजी बेदाग निकले वही बिलासपुर सेंट्रल जेल प्रशासन की कलई खुल गई। एक सफेद कागज में बाकायदा डीआईजी का नाम लेकर तारीख पर तारीख लिख एक कैदी का सहारा लेकर खबर रोकने और खुद को बेदाग बता खबरों का खंडन करने फोन की घंटी घुमाई जा रही है। जेल की चारदीवारियों के भीतर जेल अधीक्षक और मुख्य प्रहरी (सहायक गोदाम इंचार्ज) की मिली भगत से धड़ल्ले से जारी काले कारोबार की लगातार खबर छपने के बाद जेल मुख्यालय से लेकर सेंट्रल जेल में हड़कंप मचा हुआ है।
सेंट्रल जेल में जेल अधीक्षक एस के मिश्रा और उनके कुछ मातहतो की शह पाकर काले कारोबार में व्यस्त मुख्य जेल प्रहरी मारकंड बारिक (सहायक गोदाम इंचार्ज) के हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी। जेल की चार दिवारियो के बीच उसके काले कारनामे की खबर लगातार ‘OMG NEWS NETWORK’ में छपने के बाद खबर रूकवाने पहले भी कई तरह से प्रयास किया गया। इसके बाद भी जब खबरें नही रुकी तो पिछले कुछ दिनों से दस साल पूर्व शहर के चर्चित हॉटल इंटर सिटी गोली कांड के एक सजायाफ्ता कैदी का सहारा लेकर ‘OMG NEWS NETWORK‘ से रिश्तेदारी निकाल खबरों का खंडन कर आगे जेल की कोई भी कारगुजारियों को न छापने उक्त कैदी के साथ ‘OMG NEWS NETWORK‘ पर दबाव बनाया जा रहा है।
कोरोना काल में पैरोल पर रिहा हुए कैदी को डीआईजी जेल और रायपुर सेंट्रल जेल अधीक्षक डॉ के के गुप्ता के नाम से एक अज्ञात जेल मुख्यालय कर्मी होने का हवाला देकर बार बार फोन किया जा रहा है। आलम तो ये है कि उक्त कैदी का डीआईजी के नाम का उपयोग कर जीना मुहाल कर दिया गया है। एक दिन में कई बार अज्ञात जेल मुख्यालय कर्मी द्वारा कैदी को फोन कर हर तरह का हथकंडा अपना बिलासपुर सेंट्रल जेल के काले कारनामो को न छापने और पिछली छप चुकी खबरों का खंडन करने का पैतरा अपनाया जा रहा है। इधर जेल प्रशासन इस मुद्दे को लेकर खामोश है। जेल प्रहरी मारकंड बारिक जो आज भी तबादले के बाद भी जेल में पदस्थ रहकर सहायक गोदाम इंचार्ज की कुर्सी पर बना हुआ है एक तरह से गृह जेल विभाग के मुंह पर तमाचा है वही जेल डीआईजी का नाम लेकर कैदी को टारगेट करना उसकी इस हिम्मत को मानना पड़ेगा।
मुझे कोई जानकारी नही..डीआईजी गुप्ता
इस मामले को लेकर लगातार कैदी के माध्यम से ‘OMG NEWS NETWORK’ के पास आ रहे फोन के संबंध में पड़ताल की गई और जेल डीआईजी डॉ के के गुप्ता से बात किया गया। उन्होंने फोन पर चर्चा के दौरान कहा कि पहले तो मुझे इस बारे में कुछ भी नही पता और न ही मैंने किसी को समाचार से रिलेटिव कोई पत्र भेजा है। मेरा नाम लेकर कौन भ्रम फैला रहा मुझे बिल्कुल जानकारी नही है। इस पर तो जिस भी नम्बर से कैदी के पास फोन आ रहा उस नम्बर को ट्रेस करा एफआईआर दर्ज कराना चाहिए। डीआईजी गुप्ता को सारे घटनाक्रम से पिछले सप्ताह अवगत कराया गया था इसके बाद भी कैदी को डीआईजी के उस अज्ञात चहेते का फोन आना बदस्तूर जारी है।
बारिक का और भी काला कारनामा होगा उजागर..
मालूम हो कि मुख्य जेल प्रहरी मारकंड बारिक जेल के भीतर रसूखदार कैदियों को वीआईपी ट्रीटमेंट, रसद के बिल में गोलमाल करने के साथ जेल प्रबंधन की शह पर कई काले कारोबार को सहायक गोदाम इंचार्ज की कुर्सी को अजगर की तरह लपेट काली कमाई कर रहा है। कई बार तबादला होने के बाद भी गृह जेल विभाग के आदेश को रद्दी की टोकरी में डाल सेंट्रल जेल में डटा हुआ है। पिछले दिनों ‘OMG NEWS’ ने बारिक के काले कारनामो की एक के बाद एक खबर लगाई थी। इसके बाद भी जेल प्रबंधन ने मोटी कमाई के चक्कर में बारिक के काले धंधे पर नजर नही डाला। वैसे अपने आकाओं की शह पर बारिक का नाम सामने आते ही जेल मुख्यालय से लेकर स्थानीय जेल प्रबंधन के बीच हड़कंप जरूर मच गया वही जेल में दाऊ जी की सरकार आने के बाद रसद,सब्जी और अन्य सामानों की सप्लाई करने वाले रमन सरकार के पिछलग्गुओं में खलबली मच गई है की न जाने कब पत्ता कट जाए। ‘OMG NEWS’ अपने पाठकों को जल्द ही सेंट्रल जेल में चल रहे खेल से रूबरू कराएगा जिसमें बारिक की अहम भूमिका है।