आदिवासियों को पेसा कानून का हक दिलाने लगातार बैठके कर रहे.’मंत्री टीएस सिंह देव’

‘विजया पाठक’

जल, जंगल, जमीन की लड़ाई लड़ रहे छत्तीसगढ़ राज्य के आदिवासी समुदाय के लोगों को अब राज्य सरकार जल्द ही एक नई सौगात देने जा रही है। इसको लेकर राज्य सरकार ने तैयारियां भी शुरू कर दी है और इसकी जिम्मेदारी खुद प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंह देव के ऊपर है। दरअसल राज्य के आदिवासी समुदाय के लोगों को जल्द ही भारत की पांचवीं अनुसूची में दिए गए पेसा कानून (प्रोविजन आफ द पंचायत एक्सटेंशन टू शिड्यूल एरियाज) का लाभ देने की तैयारी में है। 1996 में दिलीप सिंह भूरिया समिति की रिपोर्ट के आधार पर बनाए गया कानून मुख्य रूप से अनुसूचित क्षेत्रों में परंपरागत ग्राम सभाओं की मजबूती के मकसद से तैयार किया था।

मंत्री सिंहदेव इन दिनों पेसा कानून लागू करने के लिए इस पर विचार विमर्श किया। जाहिर है कि यह कानून भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल की बेहतरीन पहल है जिसका लाभ राज्य के सैकड़ों आदिवासियों को मिलेगा। इस कानून के लागू कराने को लेकर सिंह देव की गंभीरता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वो राज्य के छोटे से छोटे और बड़े से बड़े स्थानों पर पहुंचकर लोगों से चर्चा कर रहे है। आपको बता दें कि पेसा कानून तो बना लेकिन प्रदेश में इसे लागू नहीं किया जा सका है, क्योंकि इसको लागू करने के नियम अब तक तैयार नहीं हो पाए हैं। हाल ही में पेसा कानून को लागू किए जाने को लेकर विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया।

इस कार्यशाला में देश भर से आए विषय विशेषज्ञों, आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों, गैर-सरकारी संगठनों और विभागीय अधिकारियों ने पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 (पेसा) को छत्तीसगढ़ में लागू करने नियम बनाने के लिए विचार-विमर्श किया और अपने-अपने सुझाव दिए।
कार्यशाला में जयंत वर्मा सहित सर्व आदिवासी समाज की ओर से भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी बी.पी.एस. नेताम, एन.एस. मंडावी, जी.एस. धनंजय, के. राजू, भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी श्री ए.आर. कुर्राम, सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता सुश्री सुमोना खन्ना, मानवशास्त्री सुश्री नंदिनी सुंदर, ओड़िशा के तुषार दास, झारखण्ड के करमचंद मारडी, महाराष्ट्र के देवजी भाई तोफा, आदिवासी समाज के प्रतिनिधिगण अश्विनी कांगे, विनोद नागवंशी तथा हरिवंश मिरी ने भी ‘पेसा’ संबंधी नियमों पर अपने सुझाव दिए।

मंत्री सिंह देव इस कानून को जल्द से जल्द लागू करने को लेकर काफी गंभीर है उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश के अनुसूचित जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों में पेसा कानून लागू करने प्रतिबद्ध है। उन्होंने चर्चा के दौरान लोगों को इसके लाभ बताते हुए बताया कि पंचायतों में ग्रामसभा को किस तरह के अधिकार दिए गए हैं और पेसा कानून में इसका अर्थ क्या है? इससे पंचायतों को किस तरह का लाभ मिलेगा? ग्रामसभा के अधिकार कैसे और क्या होंगे? मंत्री ने कहा कि पंचायत क्षेत्र में निर्माण, उत्खनन, गौण खनिज आदि पर पहला अधिकार पंचायतों का होगा। ग्रामसभा की अनुमति और अनापत्ति पश्चात इलाके में कार्य होंगे। आगामी बजट सत्र में पेसा कानून के नियम को पारित कराने प्रयास होगा।

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