MLA VS POLICE पार्ट 2- ट्रैफिक सिपाही रजक का गाली गलौच करते दो साल पुराना वीडियो आया सामने,विधायक पाण्डेय ने ली चुटकी,एसपी से पूछा जब खाकी में गुंडे तो हमारे साथी के साथ फिर अन्याय क्यों..

बिलासपुर. मोती ठारवानी की गिरफ्तारी और नगर विधायक शैलेश पाण्डेय के तारबहार थाने जाने के बाद मामला तूल पकड़ने लगा है। कई तरह के सवाल उठाए जा रहे है जिसके जवाब देते हुए विधायक ने एसपी और जिले की पुलिसिंग पर कई सवाल दागे है। उनका कहना है कि क्या ऐसे होते है कानून के रखवाले जो बेगुनाहों और गरीबो पर अत्याचार करते है बिना सुनवाई एक एक पक्षीय कार्रवाई करते है आखिर वर्दी की आड़ में हो रही न पुलिस की गुंडई।

विधायक द्वारा एसपी प्रशान्त अग्रवाल को सोशल मीडिया के माध्यम से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि क्या यही है पुलिस का राजकुमार है। जिसके द्वारा ठारवानी दम्पति के साथ गाली गलौच करने वाला हिस्सा क्यो गायब कर दिया गया है। हालांकि आरक्षक राम कुमार रजक का यह वीडियो दो साल पुराना यानी 30 जून 2019 का है जिसमें वह अपने भाई के साथ वर्दी में पड़ोसी घर गाली गलौच करते नजर आ रहा है। इधर विधायक पाण्डेय बनाम पुलिस के इस मुद्दे के बाद सियासत गर्म हो गई है और पुलिस द्वारा दो साल पहले ही आरक्षक व उसके भाई के खिलाफ कोतवाली थाने में अपराध दर्ज हुआ था।

कोई विभागीय कार्रवाई नही ?

महिला से गाली गलौच कर उसकी दीवार तोड़ते वीडियो में दिख रहे आरक्षक रजक के खिलाफ़ कोतवाली थाने में मामूली धाराओं के तहत अपराध तो दर्ज कर लिया गया था लेकिन वर्दी की आड़ में कानून को अपने हाथ मैं लेने के एवज में राजकुमार रजक पर कोई भी विभागीय करवाई नहीं की गई।

विधायक पाण्डेय के सवाल..

वीडियो में आरक्षक रजक ने पुलिसिया रौब दिखा भरसक गाली गलौच की है इसलिए आडियो म्यूट कर दिया गया है.

पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल.

क्या यही है पुलिस का राजकुमार.

क्या ऐसे होते है कानून के रखवाले, बेगुनाह गरीबों पर अत्यचार करने वाले,शान्ती और अमन के बिलासपुर मे यही आपकी पुलिस कर रही है। एक आरक्षक जिसके लिये पुलिस पूरे बचाव मे दिख रही है अपने पुलिस वाले की गंदी कर्तुतों को छुपाने का कार्य कर रही है जो सरे आम जनता से गंदी गंदी गालियां दे रहा है। ये वही आरक्षक है जिसने हमारे साथी मोती थावरानी से उसकी पत्नी के सामने गलियां दी थी। लेकिन कानून ने केवल मोती को ही आरोपी बनाया क्यों ?

इस आरक्षक को देख कर नही लगता है कि इसने मोती को गाली नही दिया होगा फिर पुरा वीडियो जनता के सामने क्यों नही लाया गया केवल वही हिस्सा जिसमे मोती ने गाली दिया उतना ही क्यों दिखाया गया ? ये आरक्षक अगर शराब के नशे मे था तो उसका डॉक्टरी मुलाहिजा क्यों नही करवाया गया। थाना सिविल लाईन मे जब समझौता हुआ तो उसके कागज कहां गये ?

दामिनी ( मोती ठारवानी की पत्नी ) की शिकायत क्यों नही ली गई और उस पर कार्यवाही क्यों नही किया गया। उसके छोटे भाई क्यों पुलिस की दहशत से थाने से डर के मारे क्यों चले गये उनकी बात क्यों नही सुनी गयी ?

उक्त बाते और वीडियो पुलिस की कार्यवाही पर अविश्वास पैदा करती है और ये वर्दी वाले गुंडे अगर इसी तरह कार्यवाही करते गये तो शहर मे पुलिस का आतंक हो जायेगा।

मोती की गलती है तो उसपर पुलिस ने कार्यवाही किया लेकिन कार्यवाही एक पक्षीय दिख रही है सभी को पुलिस सम्मान करना चाहिये।

मै भी मानता हुँ इसलिये मोती की गलती पर खेद व्यक्त करता हुँ लेकिन पुलिस ने भी न्याय नही किया।।मोती कोई आदतन अपराधी नही है शहर का कोई गुण्डा नही है एक कांग्रेस का कार्यकर्ता है और समाज सेवी है उस पहलू को शायद पुलिस भुल गयी है या उसको देखना नही चाहती है और ये वीडियो आरक्षक के व्यव्हार का एक ठोस सबूत है।

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