बिलासपुर. समाज की एक व्यवस्था है जो अपराध करें उसे जेल भेजकर उसमें सुधार लाया जाए लेकिन शासन- प्रशासन और तो और न्यायालय की मंशा के खिलाफ सेंट्रल जेल समाज का सुधार गृह न हो के यातना गृह साबित हो रहा है। ‘OMG NEWS NETWORK’ ने गहराई में जाकर पता लगाया तो एक के बाद एक सिलसिले वार घोर आरकजकता की दास्तां जेल की चार दीवारियो के भीतर चल रहे काली करतूतों का पता चला है। ऊपर से लेकर नीचे तक ऐसा आरोप है कि जेल ,जेल न हो के माफियाओं का अड्डा बन गया है। जिसे अपराधियों का ठिकाना भी कहा जा सकता है। रसूखदार को छोड़ आम कैदी को कैद के बाद जेल के भीतर उसके साथ क्या बर्ताव होता है, इस आईने को समाज को दिखाने सनसनीखेज खुलासा ‘OMG NEWS NETWORK’ क्रमशःअपने पाठकों तक पहुचाएगा।
सेंट्रल जेल में यातना की दास्तां सुनिए ‘OMG NEWS’ की जुबानी,चार दिन पहले कैदी छोटेलाल यादव और अब विदेशी राम की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत,मानो जेल,जेल नही मौत का घर बन गया है,चार दीवारियो के भीतर हर रोज क्या होता है, इसका सनसनीखेज खुलासा ‘OMG NEWS’ करने जा रहा है, ‘OMG NEWS’ को जेल का एक ऐसा कैदी हाथ लगा जिसने सेंट्रल जेल को सुधार नही बल्कि यातना गृह का नाम दिया है,नाम नही छापने की शर्त पर जो उसने बताया उसे सुन शासन- प्रशासन के साथ समाज के उन ठेकेदारों का दिल दहल उठेगा जो कैदियों के बीच जाकर जेल प्रबंधन की आँखों से देख सब कुछ अच्छा बताते है और बाहर आकर जेल के कामकाज का बखान करते हैं।
कैदी ने जेल प्रबंधन पर सीधा सीधा आरोप लगाया है कि सब कुछ दुनिया की नजरों से परे है जेल अधीक्षक चाहे कोई भी हो,अभी एस एस तिग्गा उनके नीचे जेलर आर आर राय एन्ड उनकी टीम जिसमें मुख्य प्रहरी से लेकर सिपाही और सजायाफ्ता कैदी शामिल है.उनकी शह पर ही काम होता है। सरकार और जिला प्रशासन की आखों में धूल झोंक के स्तरहीन खाना दिया जाता है. जिसे जानवर भी न खाए,जेल में सारा खेल मोटी रकम के एवज में होता है हर कदम पर हर चीज के लिए जिसकी जेब मे माल है वही जेल के भीतर की जिंदगी बेहतर तरीके से जी सकता है। खाने के लिए रेट तय है जितना स्टैंडर्ड खाना चाहिए उसके लिए उतनी बडी रकम देनी होगी,दस हजार से लेकर ढाई हजार तक के पैकेट का खाना जेल में मिलता है जिसकी वसूली के लिए बड़े साहब (जेल अधीक्षक) के बंदे लगे हुए है जेलर से लेकर अंतिम लाइन सिपाही तक को पैसा पहुचता है।
जेल की दाल जो गलती नही.
कैदी ने ‘OMG NEWS’ को बताया कि जेल में रसूखदार कैदियों का ही बोलबाला है। पैसे के दम पर सब कुछ उन्ही को नसीब होता है,जेल की दाल तो ऐसी है जो गलती नही,पहली दाल रसूखदारों के लिए कम पानी,दूसरी दाल और पानी का मेलजोल और तीसरी दाल सिर्फ पानी ही पानी जो आम कैदियों की थाली में परोसा जाता है। रोटियां अधजली, कंकड़ वाला चावल और खाने में छिपकली का गिरना तो आम बात है फिर भी आम कैदियों को पेट भरने के लिए इसी थाली का भोजन करना जरूरी है। कैदी की माने तो सरकार के द्वारा हर कैदी के दो टाइम के खाने की थाली के लिए मूल्य तय किया गया है जिसे जेल प्रबंधन आधा कर देता है और जमकर काला कारोबार कर अपनी जेब भरने में लगा है।
कटिंग चाय.
कैदी ने जेल की लाजवाब चाय पर भी चर्चा की, फिर वही बात आती है रसूखदार कैदियों की जिनके कप में दूध वाली चाय दिख भी जाती है.लेकिन आम कैदियों को चाय कम पानी दिया जाता है। दो टाइम की चाय वह भी मग में पानी से लबालब.
और भीड़ जाते है कैदी.
भले ही जेल प्रबंधन जेल की चारदीवारीओं के भीतर मारपीट की घटना से इनकार करता लेकिन सच्चाई किसी पिक्चर की स्टोरी ही है। हर रोज किसी न किसी बात को लेकर जेल में कैदियों के बीच गुत्थम-गुत्थी होती है। कैदी ने बताया कि जेल में आम कैदियों के बीच खाने के बंटवारे को लेकर जमकर मारपीट होती है किसी ने अपनी मर्जी से अगर कभी उठा लिया तो उसकी बेदम पिटाई बोलना कुछ नहीं है। बस जेल प्रबंधन और उनके गुर्गों(सजायाफ्ता कैदी)के हिसाब से चलना है। जेल के अंदर चाहे कुछ भी हो बड़े साहब के गुर्गे भले किसी की पिटाई क्यों ना कर रहे हो लेकिन इन सब से दूर रसूखदार कैदियों को रखा जाता है। वीआईपी ट्रीटमेंट पा रहे रसूखदार कैदी भी किसी पिक्चर की तरह जेल में पिटाई का नजारा दूर से बैठ कर देखते रहते हैं।