बिलासपुर. एक माह पूर्व सूरजपुर के जंगल से रेस्क्यू कर लाई गई मादा बाघिन को शनिवार की तड़के अचानकमार टाइगर रिजर्व में फॉरेस्ट की टीम ने सकुशल छोड़ दिया। इससे पहले डॉक्टरों की एक टीम ने मादा बाघिन के स्वास्थ्य की पूरी जांच की और उसके मूवमेंट से बने रहने के लिए रेडियो कॉलर लगाया गया है।
शनिवार की तड़के हम लेने वन अमले ने अचानकमार टाइगर रिजर्व में मादा बाघिन को विचरण करने के लिए छोड़ दिया। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मादा बाघिन को रेडियो कलर लगाया गया है ताकि उसकी हर मूवमेंट की जानकारी फॉरेस्ट विभाग के अफसरों को समय-समय पर मिलती रहे।
मालूम हो कि 28 मार्च को मादा बाघिन को सूरजपुर के जंगल से रेस्क्यू कर लाया गया था
इस वजह से अचानकमार बना नया ठिकाना.
वन विभाग की माने तो अचानकमार टायगर रिजर्व में बाघों की जनसंख्या में वृद्धि किये जाने के लिए
पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र के टायगर रिजर्व से 2 मादा एवं 1 नर बाघ को लाने की प्रक्रिया चल रही है, इस बीच सूरजपुर वनमण्डल से रेस्क्यू की गई मादा बाघिन को अचानकमार टायगर रिजर्व में छोड़ा जाना एक सुखद संयोग है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक
(वन्यप्राणी) के मार्गदर्शन में मानक प्रचालन प्रक्रिया में शनिवार को वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम द्वारा बाघिन को रेडियो कॉलर लगाया गया और मादा
बाघिन को उचित रहवास में सफलतापूर्वक छोड़ दिया गया।
वीडियो कॉलर से होगी मूवमेंट की जानकारी.
फॉरेस्ट के अफसरों ने मीडिया को बताया कि प्राकृतिक रहवास में मुक्त किये जाने के पश्चात आगामी एक माह तक मादा बाघिन के
मूवमेंट का पता लगाने के लिए उपयुक्त निगरानी तंत्र स्थापित किया गया है। इस हेतु मैदानी
अमले को पन्ना टायगर रिजर्व में विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। भारतीय वन्यजीव
संस्थान के दो रिसर्च स्कॉलर एवं वन्यप्राणी चिकित्सकों की टीम भी विशेष रूप से तैनात की गई
है। प्राकृतिक रहवास में छोड़े जाने के पूर्व क्षेत्र के ग्रामवासियों से भी चर्चा कर विश्वास में लिया
गया है। इस मादा बाघिन के अचानकमार में स्थापित होने से अचानकमार में बाघों की संख्या में
वृद्धि होने के लिए विभाग आशान्वित है।