• समाज के दो समुदाय आमने-सामने, बात बस इतनी सी कि आखिर एक एक्सीडेंटल चौक में मूर्ति हटाने के बाद आखिर पहचान के लिए झंडा किसका तनेगा बात बढ़ती गई विवाद गहराता गया। नारेबाजी और जमकर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। दोनों समुदाय के लोग मानने को तैयार ही नहीं, इधर बीच बचाव के लिए जिला व पुलिस प्रशासन के अफसरों को कूदना ही पड़ा। शाम से देर रात तक मान मनौव्वल का दौर चला। लेकिन कभी एक समुदाय तो कभी दूसरा समुदाय एक दूसरे के विरोध को लेकर आड़े आ ही रहा था। अंततः जिला व पुलिस प्रशासन के अफसरों की कड़ाई के बाद मामला शांत हुआ और मुख्य चौक में देश की आन बान और शान का प्रतीक तिरंगा झंडा फहरा दिया गया।
बलौदा बाजार. यह कोई हिंदी फिल्म की कहानी नहीं है। जिस में मुख्य भूमिका जिला व पुलिस प्रशासन के अफसरों ने निभाकर संप्रदायिकता को बनाए रखने में सफल हुए हैं और जिला व पुलिस प्रशासन के अफसरों के बूते जिले का मान बढ़ा है। पूरी घटना बीते मंगलवार की शाम बलौदा बाजार भाटापारा जिले के लवन से करीब 8 किलोमीटर दूर मरदा गांव की है। मिली जानकारी के अनुसार यहां एक बहुत पुराना मुख्य चौक स्थित है जिसे एक्सीडेंटल चौक भी कहा जाता रहा है। बार-बार होते एक्सीडेंट को रोकने किसी ने बड़ा अच्छा उपाय लगाया और श्री राम भक्त हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना चौक में कर दी जिसके बाद चौक का नाम बजरंग चौक पड़ गया,ऐसा माना जाता है कि मूर्ति स्थापित करने के बाद एक्सीडेंट की घटनाएं कम होने लगी।
(एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी करते युवक, मामले की गंभीरता के मद्देनजर वीडियो को म्यूट किया गया है)
समय के साथ मरदा ग्राम की आबादी और ट्रैफिक में इजाफा हुआ। जिसके बाद यह तय किया गया कि उक्त चौक से मूर्ति को हटा कर चौक को व्यवस्थित किया जाएगा। लेकिन शांतिप्रिय गांव में ग्रामीणों के बिना विरोध के बावजूद नेतागिरी सामने आ गई और एक विशेष समुदाय के नेता ने बिना ग्रामीणों की रायशुमारी और अपने बाकी साथियों से चर्चा के बगैर उक्त चौक में समाज का झंडा लगाने को लेकर अड़ गए। इधर नेतागिरी होते देख छूटभईए नेता भी सामने आ गए थे। जैसे ही यह बात दूसरे समुदाय के लोगों और संगठनों को पता चली वह भी सामने आ गए बताया जाता है कि दूसरे संगठन को प्रशासन के किसी भी फैसले से कोई आपत्ति नहीं थी। मगर पहले समुदाय की नेतागिरी के आगे मामला बिगड़ता चला गया। अब स्थिति तनाव की बनती गई और दोनों समुदाय चौक में अपना अपना झंडा लगाने को लेकर अड़ गए। इधर जिला व पुलिस प्रशासन की टीम को दोनों पक्षों के विवाद को सुलझाने मरदा ग्राम के लिए मौके पर आना पड़ा।
(दोनों समुदाए की भीड़ को समझाते एएसपी चौबे व डीएसपी सिंह)
एसएसपी झा की टीम और आईएएस महिला एडीएम.
बीते मंगलवार की शाम मरदा गांव में अपने अपने झंडे लगाने को लेकर मुख्य चौक पर हुए विवाद की खबर लगते ही जिले के वरिष्ठ पुलिस कप्तान दीपक झा के एडिशनल एसपी सचिंद्र चौबे और डीएसपी हेड क्वार्टर अभिषेक सिंह पुलिस टीम को लेकर मौके के लिए रवाना हुए इधर जिला प्रशासन की तरफ से महिला आईएएस श्रीमती रोमा श्रीवास्तव दोनों समुदायों के सामने थी। शाम करीब साढ़े पांच से शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा था। पुलिस अफसरों की तमाम समझाईश के बाद भी दोनों समुदायों के लोग मानने को तैयार नहीं हो रहे थे और खींचतान खींच बढ़ती ही जा रही थी।
नेता पर लगे आरोप.
इस विवाद के बीच जब एएसपी चौबे और डीएसपी सिंह ने मामले को तुल देने वाले उपद्रवियों की खोज खबर ली तो पता चला कि कोई नहीं चाहता की किसी तरह का विवाद हो, बल्कि एक विशेष समुदाय के नेता पर आरोप लगा कि उसने बिना अपने साथियों से चर्चा किए फर्जी साइन के माध्यम से कुछ लोगों के कहने पर बिना वजह विवाद को गहराने का काम कर रहा था। इधर ग्रामीण एक राय होकर जिला व पुलिस प्रशासन के अफसरों का साथ दे रहे थे।
एएसपी की कड़ाई, सुझाव और शांति बहाली.
वैसे कहां जाए तो दोनो पक्षों के बीच संप्रदायिकता को बनाए रखने में महिला एसडीएम और पुलिस अफसरों ने अपनी महती भूमिका निभाई है। दोनों समुदाए के बीच खड़े एडिशनल एसपी सचिंद्र चौबे ने भीड़ से घिरी आईएएस एडीएम रोमा श्रीवास्तव से चर्चा करने के बाद एक सुझाव निकाला और वह यह था कि ना तेरा ना मेरा, इस चौक पर देश की आन बान और शान का प्रतीक तिरंगा झंडा लगाया जाए। जिसके बाद दोनों समुदाय के लोग शांत हुए और बिना देरी किए डीएसपी अभिषेक सिंह ने आगे कदम बढ़ाया और मुख्य चौक में तिरंगा झंडा फहरा बकायदा राष्ट्रगान गाया गया। जिसके बाद सारा नजारा बदल गया और जहां पहले एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी हो रही थी तो वही तिरंगा लहराने के बाद इंकलाब जिंदाबाद के नारे से मरदा गांव गूंज उठा।
(राष्ट्रीय ध्वज लगते ही जिला -पुलिस प्रशासन जिंदाबाद,भारत माता और इंकलाब जिंदाबाद के लगे नारे)
अफसरों ने ‘OMG NEWS’ से कहा.
आपसी सौहार्द को बनाए रखने के इस पूरे मामले अपनी अहम भूमिका निभाने वाले अफसरों ने ‘OMG NEWS’ से कहा कि.
एसडीएम रोमा श्रीवास्तव– ने कहा कि मामला बहुत गंभीर था, ग्रामीणों की सुनवाई कर उन्हें अपनी पूरी बात रखने का मौका दिया गया। जिसके बाद दोनों पक्ष शांत हुए।
एएसपी सचिंद्र चौबे- से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि पांच दिनों से मामला चला आ रहा था। मंगलवार की शाम करीब साढ़े पांच बजे कुछ लोग मूर्ति हटाकर अपना झंडा लगाने की बात पर अड़ गए थे तो वहीं कुछ भूमि की मांग कर रहे थे। दोनों पक्षों से चर्चा कर नियमानुसार शासन से भूमि की मांग करने समझाया गया। जिसके बाद दोनों समुदाय के लोगों ने आपसी रजामंदी से जिला व पुलिस प्रशासन की बातों को समझा और शांति से सुलह कर ली जो काबिले तारीफ है।