रायपुर। राजधानी में 10 के सिक्के चलना बंद हो गए हैं, जबकि यह लीगल सिक्के हैं और कई जगहों पर चलते भी हैं. ये मामला एक बार फिर तब सामने आया जब एक निर्दलीय नेता चुनाव लड़ने के लिए नामांकन फार्म खरीदने पहुंचे. निर्दलीय प्रत्याशी ने 10-10 के 1,000 सिक्के यानी की 10 हजार रुपए लेकर पहुंचे और निर्वाचन अधिकारियों ने सिक्के लेने से इंकार कर दिया. दरअसल, रिजर्व बैंक की ओर से जारी किए गए 10 के सिक्कों को लेकर रायपुर कलेक्ट्रेट में खुलेआम नकारा जा रहा है. इतना ही नहीं हालात ये हैं कि राजधानी रायपुर में ऑटो वाले से लेकर कोई भी पानठेला, चाय टपरी या दुकान वाला 10 के सिक्के नहीं लेता, जबकि रायपुर से लगे दूसरे शहरों में 10 का सिक्का धड़ल्ले से चल रहा है. ऐसा नहीं हैं कि मामलें को लेकर जिला प्रशासन के पास जानकारी नहीं है. कई बार खबरें भी प्रकशित हुई हैं. उसके बावजूद हद तो तब हो गई, जब निर्दलीय प्रत्याशी शंकर लाल वरणदानी 10-10 के एक हजार सिक्के लेकर नामांकन फार्म लेने कलेक्ट्रेट पहुंच गए और निर्वाचन अधिकारीयों ने 10 के सिक्के नहीं चलते कह कर प्रत्याशी को लौटा दिया. फिर क्या था, इतना सुनते ही सिक्के लेकर नामांकन भरने पंहुचे नेता बीफर पड़े.
शंकर लाल वरणदानी का कहना है कि, मैंने ये सिक्के गरीबों से मांग कर इक्कठे किए हैं. पिछले बार भी निर्दलीय चुनाव लड़ा था, इस बार भी निर्दलीय लडूंगा. इस बार रायपुर उत्तर विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहता हूँ.वहीं, निर्वाचन अधिकारियों का कहना है कि 10 के सिक्के एक बार में 1,000 रुपए तक ही लिए जाएंगे. बावजूद इसके निर्दलीय नेता जिद पर अड़े हैं कि वे पूरे 10 के 1 हजार सिक्के ही देंगे. प्रत्याशी ने कहा कि वो चुनाव लड़कर गरीबों की आवाज बनना चाहते हैं. गरीबों से ही सिक्के लिए हैं. गरीबों के पास सिक्के तो है, लेकिन चलते नहीं है, जबकि दूसरे जगहों में ये सिक्के चलते हैं. जब तक निर्वाचन ये सिक्के नहीं लेगा तब वे धरना देंगे. उनका कहना है कि आज तीसरा दिन हैं, आज बस देख लेते हैं फिर निर्वाचन के सामने ही वे अर्धनग्न प्रदर्शन करेंगे.