मोवा मस्जिद के मुतवल्ली चुने गए शेख गुलाम रसूल, की 5 वोट से जीत हासिल

रायपुर- मोवा मस्जिद में पहली बार चुनाव की पध्दति से मुतवल्ली का चुयन कराया गया जिसमें वर्तमान मुतवल्ली शेख गुलाम रसूल (दादा भाई ) ने 5 वोट से जीत हासिल कर फिर से मोवा मस्जिद के मुतवल्ली बने। आपको बता दे आज मोवा मस्जिद में वक़्फ़ बोर्ड के द्वारा चुनाव कराया गया जिसमें 2 प्रत्यासियो ने अपना नामांकन दाखिल किया , 

इस चुनाव को अंजाम देने की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ वक़्फ़ बोर्ड के हाथों थी जिसमे वक़्फ़ बोर्ड के द्वारा एक चुनाव समिति बनाई गई साथ ही मोवा मस्जिद में नमाज पढ़ने वाले नमाजियों एवं जमातियों के आधार कार्ड के आधार पर 1 फरवरी से 11 फरवरी तक मस्जिद में एक काउंटर लगा कर मतदाता सूची में नाम दर्ज करवाई गई जिसमें लगभग 736 मतदाताओं ने अपना अपना नाम दर्ज करवाया इसके बाद नामांकन की प्रक्रिया शुरू की गई जिसमें पूर्व मुतवल्ली शेख गुलाम रसूल के अलावा शेख आवेश रिंकू भाई ने अपना अपना नामांकन वक़्फ़ बोर्ड के सामने जमा किया । मोवा मस्जिद में पहली बार हो रहे चुनाव को लेकर मतदाताओं में काफी उत्साह देखने को मिला यही वजह रही कि 736 में से 694 मत पड़े जिसमे गिनती के दौरान 1 मत निरस्त हुआ इस तरह से कुल 693 मत वैध रहे । 

मतदान हेतु मस्जिद के सामने मदरसे में मतदान केंद्र बनाए गए थे जिसमे 2 बूथ रखे गए थे जिसमे मतदाता अपने वोट डाल इस प्रक्रिया को मुकम्मल अंजाम तक पहुचाया।,इस चुनाव के परिणाम की घोषणा के तहत शेख  गुलाम रसूल को 500 वोटरों वाले बूथ क्रमांक 1 में जहा 8 राउंड की गिनती के आधार पर 189 वोट पड़े वही शेख वसीम को 192 वोट मिले एवं 1 वोट निरस्त किये गए इस प्रकार से बूथ क्रमांक 1 पर 382 कुल मत पड़े व शेख वसीम इस बूथ पर 3 वोट से आगे रहे ।

बूथ क्रमांक 2 में कुल लगभग 336 मतदाता थे जिसमें कुल 312 वोट पड़े व 7 राउंट कि गिनती के आधार पर शेख गुलाम रसूल को 160 वोट मिले वही शेख वसीम को 152 वोट प्राप्त हुए ।इस प्रकार से बूथ क्रमांक 2 पर शेख गुलाम रसूल 8 वोट से आगे रहे।बेहद काटे की टक्कर रही दोनों ही प्रत्यासियो के बीच जिसका परिणाम से साफ जाहिर होता है दोनों ही प्रत्यासियो में हार व जीत का मात्र 5 वोट का अंतर रहा वक़्फ़ बोर्ड द्वारा बनाई गई चुनाव समिति व वक़्फ़ बोर्ड के अधिकारियों के द्वारा शेख गुलाम रसूल मुतवल्ली पद के लिए निर्वाचित घोषित किये गए।

इस चुनाव की एक खास बात रही कि जीत के बाद भी शेख गुलाम रसूल उर्फ दादा भाई व उनके समर्थकों ने इस्लाम की पूरी पाबंदी के साथ किसी भी किस्म का शोर नही मचाया और पूरे इत्मीनान के साथ एक दूसरे से गले मिल कर जीत की खुशी जाहिर की,साथ ही देर रात तक दादा भाई से मिलने वालों व बधाई देने वालो का तांता लगा रहा।

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