प्रेस क्लब के हमर पहुना एसपी रजनेश सिंह ने कहा अब मैं छत्तीसगढ़िया हो गया,बताया क्यों नहीं बने डॉ, कमांडेंट मामा और अफसरों को देख बढ़ा पुलिस में आने का जुनून.

बिलासपुर. प्रेस क्लब के हमर पहुना कार्यक्रम में इस माह की दूसरी कड़ी में मंगलवार को जिले के पुलिस कप्तान रजनेश सिंह पत्रकारों से रूबरू हुए। अपनी जॉब से लेकर पुलिसिंग और समाज में चल रहे सही गलत को उन्होंने बड़ी बारीकी से सब के बीच शेयर किया।

उन्होंने शहर की समस्याओं पर चर्चा करते हुए कहा कि कम्युनिटी पुलिसिंग शुरू की तो अब दिखने लगी है कि सही-सही होता है और गलत गलत. एनफोर्समेंट यानी कानून का पालन करने से ज्यादा जरूरी अपराध को रोकना या अपराध होने के बाद उसको सुलझाना जरूरी है। समाज के लोगों में पुलिस का भरोसा बैठना चाहिए। तब ही पब्लिक को लगेगा कि पुलिस की वजह से वह सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई अपराध है। जिसमें पब्लिक की सहभागिता बेहद जरूरी होती है।

अब मैं छत्तीसगढ़ का हो गया.

एसपी सिंह ने बताया कि उनका बचपन बनारस के गांव में बीता, लेकिन अब रायपुर निवासी हो गए हैं। उन्होंने बताया कि बीते 30-40 वर्षों से छत्तीसगढ़ में रह रहा हूं। खास बात यह है कि पिता की नौकरी की शुरुआत 1976 में बिलासपुर जिले से हुई थी। तब वे ढाई साल के थे। उन्होंने एमएससी रवि शंकर विश्वविद्यालय रायपुर से की, 1997 में पुलिस की नौकरी ज्वाइन की। जगदलपुर में पहली पोस्टिंग हुई। दूसरी भोपाल और फिर राज्य बनने के बाद कोंडागांव में पोस्टिंग मिली। नारायणपुर उस समय कोंडागांव का ही पार्ट हुआ करता था। जो अब अलग अलग जिले बन गए है। इसके अलावा एसपी सिंह ने दुर्ग भिलाई में सेवाएं दी और सीएम सिक्योरिटी की भी जिम्मेदारी पूरी की। उन्होंने कहा कि नारायणपुर के बाद बिलासपुर में एसपी के रूप में अब आप सबके बीच उपस्थित हूं।

घर वाले बनाना चाहते थे डॉक्टर.

एसपी रजनेश सिंह ने बीते दिनों की यादों को ताजा करते हुए बताया कि 12वीं क्लास पास करने के बाद घर वालों की सोच थी कि एक भाई इंजीनियर बने तो एक भाई डॉक्टर, मेरा भाई इंजीनियर तो बन गया। लेकिन मैं पीएमटी में सेलेक्ट नहीं होने के कारण डॉक्टर नहीं बन पाया। इसके बाद मैने पुलिस की नौकरी ज्वाइन कर ली।

मामा कमांडेंट,उस समय के कलेक्टर को देखकर मिली प्रेरणा.

एसपी सिंह ने बताया कि सीआरपीएफ कमांडेंट के रूप में उनके मामा पंजाब में पोस्टेड थे। उस समय 8-10 आतंकवादियों से मुठभेड़ करते हुए शहीद हुए। मुझे उनके कार्यों से गर्व प्रतीत हुआ, क्योंकि शहीद विशंभर के नाम पर उनकी याद में वहां मार्ग बनाया गया है। यहाँ से मुझे प्रेरणा मिली। इसके अलावा रायपुर में एसपी रुस्तम हुआ करते थे। जिनकी बचपन में गाड़ी उत्सुकता से देखने जाया करते थे। खिले चेहरे से कहा कि वह भी एक तरह से पुलिस में आने का कारण बना। उन्होंने कहा कि ग्लैमर कहें या करियर मैने पुलिस को अपना रास्ता चुना और इसमें जी-जान लगाकर काम करना शुरू कर दिया, यह चैलेंजिंग का काम था। इसलिए इसको सेलेक्ट किया।

जमीन कब्जा हो या लिव-इन रिलेशनशिप में पहले कभी जल्द एफआईआर नहीं होती थी। हमने इस पर काम करना शुरू किया है। ”चेतना अभियान” का लाभ भी साथ में मिल रहा है। यातायात की पाठशाला में चेतना के तहत काम किया गया है। साथ ही यातायात को सुचारू बनाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं साइबर क्राइम को लेकर जागरूकता के लिए पाठशाला प्रमुखता से चलाई जा रही है। जिसका फायदा लोगों को मिलने लगा है। साइबर के कई मामलों में दूर दराज या दूसरे राज्यों से भी अपराधियों को पड़कर लाते हैं। अपराध जान लेना ही काफी नहीं, अपराधी तक पहुंचना भी बहुत जरूरी है। साइबर क्राइम में 25 फ़ीसदी सफलता मिलती है, तो बाकी 75 फ़ीसदी लोगों को आस बन जाती है कि उनका भी काम देर सवेर हो ही जाएगा।

महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर अंकुश लगाने व जागरूकता की आवश्यकता.

एसपी सिंह ने कहा कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर अंकुश लगाने जागरूकता काम शुरू किया गया है। सीनियर सिटीजन के बीच, किटी पार्टी व स्कूल में बच्चों के बीच खेल के माध्यम से साइबर अपराध को लेकर जागरूक करने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि मेरे बिलासपुर आते ही एक छोटी बच्ची के साथ क्राइम हुआ था। जो काफी संवेदनशील मामला था, जिसने मुझे इस दिशा में गंभीरता के साथ काम करने के लिए प्रेरित किया।

लिव-इन-रिलेशन का मामला हमारा समाज स्वीकार नहीं करता.

आधुनिकता और पाश्चात्य के बीच सामंजस्य बनाने की जरूरत है और उसके लिए बहुत जरूरी है कि हम मर्यादाओं का उल्लंघन न करें, क्योंकि आधुनिकता और पाश्चात्य के बीच एक बारीक लाइन होती है। हमें संस्कृति के साथ जोड़ने का प्रयास किया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि लिव-इन-रिलेशन का मामला हमारा समाज स्वीकार नहीं करता है। युवा इसको समझे और अपना ध्यान करियर बनाने लगाएं और पढ़ाई करें। यही जीवन को प्रभावित करता है।

कई अपराधों में आई कमी, रात में भी बढ़ाई गई गस्त.

एसपी की माने तो क्राइम पर प्रॉपर्टी ऑफेंस, चोरी, लूट समेत अन्य अपराध में मैं गर्व से कह सकता हूं कि इसमें बेहतर काम किया गया। जिसकी वजह से इस तरह के अपराधों में कमी आई है। कई मामलों में सामानों की बरामदगी में 80% सफलता मिली है। जिसे अचीवमेंट कह सकते हैं। वहीं चोरी के मामलों में 35 फ़ीसदी की कमी आई है। इसके अलावा जवानों की रात्रि गस्त बढ़ाई गई है। जिससे लोगों को फायदा मिलने लगा है। साथ ही उन्होंने बताया कि जवानों को राइफल दी गई है। वहीं कहा कि जिले में 20 से 40 पॉइंट ऐसे बनाए गए हैं जहां से सड़क दुर्घटना या अन्य अपराधों पर नियंत्रण किया जा रहा है।

कलेक्टर के साथ यातायात सुविधा सुगम करने बनाया जा रहा रोड मैप.

यातायात कैसे सुलभ हो इस बारे में जिला और पुलिस प्रशासन मिल कर काम कर रहा है। कलेक्टर के साथ कई ऐसे स्थलों का दौरा व निरीक्षण कर चिन्हित किया जा रहा है,ताकि समस्याओं का समाधान किया जा सके। सिम्स से गोल बाजार के बीच अतिरिक्त कार्य करने की जरूरत है। कलेक्टर के साथ भी कुछ जगहों को चिन्हित किया है। जहां अंडरग्राउंड वायरिंग करने की जरूरत है।

लेफ्ट साइड टर्निग से कब्जा हटाया जाएगा.

शहर में लेफ्ट साइड टर्निंग के मामले में भी एक बेहतर काम करने जा रहे हैं। अवैध कब्जों की समस्या है, जिस पर कडाई के साथ काम किया जाएगा। कुछ चौक-चौराहों को रिस्ट्रक्चर करना जरूरी है। महाराणा प्रताप चौक में ब्रिज, मुहाने तक आ गया है, जिसकी वजह से परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रयास किया जा रहा है कि रिस्ट्रक्चर के साथ सिग्नल की भी समस्या खत्म की जाए। व्यापार विहार में और एक दो स्थानों पर सिग्नल की टाइमिंग में सुधार की जरूरत है। वहीं कई जगह पर 90 फीट की सड़क 50 फीट मिलती है। 40 फीट कब्जा हो जाता है और दुकानदार अपना सामान फैला लेते हैं। जरूरी है कि प्रशासन और व्यवसाई मिल कर बैठे और इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएं। ट्रैफिक की समस्या कुछ हद तक इससे खत्म हो जाएगी। ट्रैफिक एनफोर्समेंट से ज्यादा जरूरी ट्रैफिक इंजीनियरिंग की जरूरत महसूस हो रही है। जिले में 6 ब्लैक स्पॉट है, जिन्हें चिन्हित कर उनमें सुधार किया जा रहा है। तीन ग्रे स्पॉट आईडेंटिफाई किए गए हैं, जहां दुर्घटनाएं होती है।

हेलमेट करेंगे अनिवार्य.

एसपी ने कहा कि ई-चालान के तहत ऐसे कार ड्राइवर को भी दायरे में लिया जाएगा, जो मोबाइल में बात करते हुए ड्राइविंग करते हैं। इसी तरह हेलमेट को लेकर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि शहर के अंदर हेलमेट को पूरी तरह से लागू नहीं किया जाएगा, लेकिन शहर से बाहरी क्षेत्रों में हेलमेट को लेकर कड़ाई से पालन कराया जाएगा। वहीं शहर के अंदर भी 8 से लेकर रात 12 बजे तक शराब पीकर वाहन चलाने वालों को या इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के लिए हेलमेट अनिवार्य किया जाएगा।

You May Also Like

error: Content is protected !!