जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 5 विधायकों को मनोनीत करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया

Jammu & Kashmir News: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) द्वारा 5 विधायकों को मनोनीत करने का मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है। मामले में सुनवाई से इंकार करते हुए शीर्ष न्यायालय ने याचिकाकर्ता को पहले हाई कोर्ट जाने का आदेश दिया है।

याचिकाकर्ता रविंदर कुमार शर्मा की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सीधे सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं करेगा। पहले इसे हाई कोर्ट में सुना जाना चाहिए।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह एक बुनियादी संरचना का मुद्दा है। आप इसके सहारे चुनाव से मिले जनादेश को रद्द कर सकते हैं। याचिका पर जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि ये हम जानते हैं, आप हाई कोर्ट में इस मामले को ले जाइए। उन्होंने ये भी कहा कि कई मामलों में जहां हमने पहली बार में याचिकाओं पर सुनवाई की है, हम देखते हैं कि उसस कई चीजें छूट जाती हैं।

लाइव लॉ के अनुसार जस्टिस खन्ना ने कहा कि उन्होंने ऐसा नहीं किया है। इस पर सिंघवी ने कहा कि लेकिन उनके पास ताकत तो है. मान लीजिए कि यह 5 कल संशोधन करके 10 हो जाएंगे। सिंघवी की इस दलील पर जस्टिस ने कहा कि हाई कोर्ट जाएं। हम इस पर स्टे लगा सकते हैं, लेकिन हम यहां सब कुछ तय नहीं कर सकते।

जानिए क्या है पूरा मामला

बता दें कि  जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव परिणाम आने से 24 घंटे पहले उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) ने 5 विधायकों को मनोनित किया था। दरअसल नई सरकार के गठन में पांच मनोनीत विधानसभा सदस्यों (विधायकों) की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। जम्मू-कश्मीर जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में इस संशोधन के अनुसार, जिसने सरकार को पांच सदस्यों को मनोनीत करने का अधिकार दिया है, जो कश्मीरी विस्थापित व्यक्तियों और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) के लोगों का प्रतिनिधित्व करेंगे, उन्हें निर्वाचित प्रतिनिधियों की तरह ही पूर्ण विधायी शक्तियां और विशेषाधिकार प्राप्त होंगे।

इस नई व्यवस्था के साथ जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पांच मनोनीत सदस्यों समेत कुल 95 सदस्य हो जाएंगे, जिससे सरकार बनाने के लिए बहुमत की सीमा 48 सीटों तक बढ़ जाएगी। उपराज्यपाल गृह मंत्रालय की सलाह के आधार पर इन सदस्यों को मनोनीत करेंगे। यह प्रक्रिया जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन के बाद होगी, जिसे इन मनोनयनों को पेश करने के लिए 26 जुलाई, 2023 को और संशोधित किया गया था।

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