बिलासपुर. सिम्स के बायोकेमिस्ट्री विभाग द्वारा आयोजित सिकल सेल स्वास्थ्य शिविर का दूसरा दिन मरीजों और छात्रों दोनों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुआ। इस निःशुल्क शिविर में आज 90 मरीजों ने अपनी जांच और उपचार का लाभ उठाया। शिविर का उद्देश्य न केवल सिकल सेल रोगियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करना है, बल्कि मेडिकल छात्रों को शोध और मरीजों के प्रति संवेदनशीलता के गुण भी सिखाना है।
दूसरे दिन शिविर में मेडिसिन और शिशु रोग विभाग के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने अपनी सेवाएं दीं। मरीजों की सिकल सेल से संबंधित जांच, जैसे HPLC परीक्षण, रक्त जांच और जैव रासायनिक परीक्षण किए गए। इसके साथ ही, रोगियों को उनकी स्थिति के अनुसार विशेष दवाइयां निःशुल्क प्रदान की गईं।
शोध के साथ मरीजों की सेवा का प्रशिक्षण.
शिविर का एक प्रमुख पहलू छात्रों के लिए शोध और व्यवहार कौशल का प्रशिक्षण रहा। बायोकेमिस्ट्री विभाग के स्नातकोत्तर छात्रों ने मरीजों और उनके परिजनों की काउंसलिंग की और उन्हें सिकल सेल रोग के साथ जीवन जीने के व्यावहारिक तरीके समझाए। शिविर में इंटर्न और फाइनल ईयर के छात्रों ने भी भाग लिया। उन्होंने न केवल मरीजों के नमूनों की प्रक्रिया में भाग लिया, बल्कि यह भी सीखा कि मरीजों से संवाद करते समय सहानुभूति और धैर्य का क्या महत्व होता है।
एमबीबीएस पाठ्यक्रम में शोध का महत्व.
एमबीबीएस छात्रों के लिए इस शिविर ने एक बड़ा संदेश दिया – चिकित्सा में शोध केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है। छात्रों ने सीखा कि मेडिकल क्षेत्र में शोध का बड़ा हिस्सा मरीजों के साथ संवाद और उनके जीवन की चुनौतियों को समझने में भी है। बायोकेमिस्ट्री विभाग के विशेषज्ञों ने छात्रों को यह सिखाया कि मरीजों के दर्द को समझना और उन्हें राहत प्रदान करना भी शोध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। छात्रों ने यह भी सीखा कि चिकित्सा के क्षेत्र में उपचार और शोध को साथ लेकर कैसे काम किया जा सकता है। छात्रों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “हमें इस शिविर में यह समझने का मौका मिला कि मरीजों की जरूरतें क्या हैं और उन्हें कैसे बेहतर सेवा दी जा सकती है। यह सीखना हमारे मेडिकल करियर का अहम हिस्सा रहेगा।”
छात्रों का अनुभव और सीख.
शिविर में छात्रों को मरीजों की देखभाल के व्यावहारिक अनुभव के साथ यह भी सिखाया गया कि शोध और उपचार एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने महसूस किया कि सिकल सेल जैसी आजीवन रहने वाली बीमारी के मरीजों के साथ संवाद, उनकी भावनाओं को समझना और उन्हें राहत प्रदान करना, चिकित्सा सेवा का अहम हिस्सा है। शिविर में छात्रों ने न केवल तकनीकी कौशल सीखे, बल्कि मरीजों के प्रति मानवीय संवेदनशीलता का भी अनुभव किया। उन्होंने यह समझा कि मेडिकल फील्ड में अच्छा डॉक्टर बनने के लिए मरीजों के प्रति सहानुभूति और उनके दर्द को महसूस करना कितना जरूरी है।
डॉ प्रशांत निगम ने बताया की यह शिविर न केवल मरीजों के लिए है, बल्कि यह छात्रों को सिखाने का भी एक माध्यम है कि चिकित्सा और शोध कैसे साथ-साथ किए जा सकते हैं।” उन्होंने कहा कि यह अनुभव छात्रों को बेहतर डॉक्टर और शोधकर्ता बनने की दिशा में प्रेरित करेगा। तीन दिवसीय शिविर के तीसरे और अंतिम दिन की तैयारी जोरों पर है। उम्मीद है कि अंतिम दिन भी मरीजों और छात्रों के लिए ज्ञान और अनुभव का विशेष अवसर बनेगा।