पंडित अनिल पांडेय.
मंगलवार 14 जनवरी को स्थानीय समय अनुसार प्रात: के 08 बजकर 56 मिनट पर सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे अत: यह ही संक्रांति का संचरण काल है!
संक्रान्ति का पंचांग –
मास-माघ, पक्ष-कृष्ण, तिथि- प्रतिपदा, दिन-मंगलवार, नक्षत्र-पुष्य, योग-प्रीति, करण-तैतिल, लग्न – मकर!
🔴 संक्रान्ति विशेषता 🔴
🔸स्थिति – सुप्त,
🔸फल – अशुभ,
🔸वाहन – गधा,
🔸उपवाहन – मेंढ़ा,
🔸फल – सुभिक्ष,
🔸वस्त्र – सफेद,
🔸शस्त्र – डंडा,
🔸पात्र – कांसा,
🔸भक्ष्य – पकवान,
🔸लेपन – मिट्टी,
🔸जाति – पक्षी,
🔸पुष्प – केतकी,
🔸वस्त्र – भोजपत्र,
🔸अवस्था – युवा हास्य,
🔸विंशोपक – गजा,
🔸 बल – 8 विश्वा,
🔸जगल्लग्न – मकर,
🔸संक्रान्ति मुँख – दक्षिण दिशा में मुँख,
🔸दृष्टि – वायव्यकोण में,
🔸संक्रान्ति गमन – पश्चिम दिशा में,
🔸संक्रान्ति का नाम – महोदरा,
🔸मुहूर्त – 45 मुहूर्त की!
🔴 संक्रांति का पुण्यकाल 🔴
संक्रान्ति का जो सबसे महत्वपूर्ण पक्ष होता है वह होता है उस संक्रांति का पुण्यकाल! जिसका निर्धारण व कालज्ञान होना अति आवश्यक हैं! क्योंकि यही वह समय होता है जिसमें स्नान-दान, जाप आदि कर्म का कई गुना अधिक प्रभाव व फल प्राप्त होता है! शास्त्र का मत है कि –
*”अह:सङ्क्रमणे पुण्यमह: सर्वं प्रकीर्तितम्!”*
*”रात्रो सङ्क्रमणे पुण्यों दिनार्धं स्नानदानयो:!!”*
*”तस्मात् मुनीन्द्रै: सङ्क्रान्तेरर्वाक् षोडशनाडिका:!”*
*”पश्चात् षोडश संप्रोक्ता सथूला: पुण्यतमास्तथा!!”*
सूर्य के अयन संक्रांति अर्थात कर्क और मकर संक्रांति को छोड़कर बाकी की सभी संक्रांति काल के 16 घड़ी पहले व 16 घड़ी बाद का समय पुण्यकाल माना जाता है परन्तु जब अयन संक्रांति हो तो मकर की संक्रान्ति के 20 घड़ी पहले से (8 घंटा) लेकर 40 घड़ी (16 घंटा) आगे की पुण्यकाल होता है ! अत: मकर की सौम्यायन संक्रांति काल रात्रि 08 बजकर 56 मिनट से 20 घड़ी आगे का समय अर्थात 01:56 से लेकर 08:56 से 16 घंटा आगे सायं 17:56तक का समय संक्रान्ति का पुण्यकाल माना जायेगा! संक्रांति के पुण्यकाल में स्नान-दान, जप आदि करना सर्वथा श्रेष्ठ फलदायी रहेगा!
🔴 संक्रान्ति का महापुण्यकाल 🔴
इस संक्रान्ति का सबसे मुख्य और विशेष समय जिसे महापुण्यकाल कहा जाता है वह – प्रात: 08:56 से 11:23 तक रहेगा!
🔴 संक्रांति का प्रभाव 🔴
चुँकि यह संक्रान्ति मंगलवार को चर नक्षत्र पुनर्वसु में हो रही है, अत: इस संक्रान्ति का नाम “महोदरा” संक्रान्ति होगा तथा यह 45 मुहूर्त की होगी! यह संक्रान्ति चोरों को, घोरा तथा शूद्रों के लिए सुखप्रद रहेगी तथा पहले त्रीभाग में होने के कारण राजाओं, शासकों तथा विप्रों में आपसी कलह होगा तथा नेताओं के लिये नेष्ठ व घातक है! मंगलवारी संकान्ति होने के कारण इस मास में पित्त, कफ और वात के प्रकोप से पीड़ा बढेगी, देश विदेश में राजनैतिक मतभेद, वर्षा की कमी तथा पित्त रोगों की अधिकता होगी! पुनर्वसु नक्षत्र में पैदा हुए किसी बहुत प्रभावशाली व प्रसिद्ध नेता पर संकट आयेगा! देश विदेश में महंगाई नये आयाम तक पहुँचेगी, देश तथा विदेश के कुछ देशों में आकाशीय बिजली गिरने, वर्फबारी तथा ओलावृष्टि से कुछ हानियां भी होंगी!
*”यत्रमासे महीसुनो र्जायन्ते पंचवासरा:!”*
*”रक्तेनपूरिता पृथ्वी छत्रभंगस्तदा भवेत !!”*
*”बुधस्य पंचवारास्यु यत्रमासे निरन्तरम् !”*
*”प्रजाश्च सुख सम्पन्ना सुभिक्षं च प्रजायते !!”*
अर्थात – वसुन्धरा पर कही युद्ध, अन्याय, उपद्रव, धार्मिक संघर्ष, आतंकवादी घटना के चलते रक्तपात होगा! कही सत्ता का संघर्ष, उठापटक, छीना छपटी, षडयंत्र बढकर जानलेवा रूप ले लेगा! परन्तु ऐसा नही है कि सभी देशों में ऐसा ही होगा, कुछ देश में विकास की नई कहानी लिखी जायेगी, नये उद्योगों, व्यवसायों को बल मिलेगा, उद्योग-धंधों, रोजी रोजगार का विस्तार होगा! पैदावार अच्छी होगी, सौख्य-सम्वृद्धि तथा भोग और विलासिता में वृद्धि होगी! भारत कुछ ऐसा करेगा की दूसरे देश उसको देखकर सीखने का प्रयास करेंगे।