“रवि शुक्ला “
प्रदेश में एक स्लोगन काफी हिट हो रहा है वो भी खास कर पुलिस के ट्रैफिक और परिवहन विभाग में कि “सिस्टम में अनुसार रहिए और चलिए” फिर सुरक्षित रहिए”, जो इस हिसाब से नहीं चलेगा उसका विकेट डाउन, इस स्लोगन से यह तो साफ है कि किसी भी विभाग में अच्छी पोस्टिंग पाना है तो ऊपर तक देना होगा वरना निचला स्टाफ भी गुर्राने लगेगा।
“सिस्टम में अनुसार रहिए और चलिए” फिर सुरक्षित रहिए” इस स्लोगन की पड़ताल जब ‘OMG NEWS NETWORK’ ने कि तो पता चला कि किस बेस पर सिस्टम चल रहा है। मलाई दार पोस्ट के लिए पहले अच्छी सेटिंग फिर कुर्सी मिलते ही ‘माले हराम दिले बेरहम’ की तर्ज पर कमाई कर ऊपर से पेशकी भेजना। इस सिस्टम में खास कर पुलिस का ट्रैफिक अमला और दूसरी तरफ परिवहन विभाग का मेन रोल है। जो सिस्टम से नहीं चला उसकी शिकायत और तमाम तरह की परेशानियां,हो हल्ला मचा तो ऊपर के अफसर भी साइलेंट और सामने वाले को फ्री सलाह देते फिरते हैं कि सिस्टम से चलो,”सिस्टम में रहकर काम करो”।
सुशासन सरकार ने ऐसे लोगों की धीरे धीरे कर पोल खुलने लगी लगी है। नगरीय निकाय चुनाव के बाद सामने की पिच पर आकर खिलाड़ी खेलेंगे ऐसी पूरी उम्मीद है।
नहीं तो नीचे वाले गुर्राते है साहब.
“सिस्टम में अनुसार रहिए और चलिए” फिर सुरक्षित रहिए” का ऐसा स्लोगन कुछ अफसरों के कानों में गूंज रहा है कि न, न करे तो बड़े साहब का खास हमराह,सिपाही और अर्दली भी बिना परहेज के अपने से कई स्तर ऊपर के अफसर को गुर्राने से गुरेज नहीं कर रहे। बचा कूचा तो वसूली की टीम में शामिल कटरा आंख दिखा रहे हैं। जिन अफसरों का नाम डिपार्टमेंट और उनको जानने वाले इस स्टाइल के लिए जानते थे कि फलाना साहब किसी से सटेंगे नहीं उनका भी हाव भाव बदल गया है और साइलेंट जोन में कहते फिर रहे है कि सिस्टम से चलो,”सिस्टम में रहकर काम करो”।
सिस्टम के आगे बड़े बड़े तुर्रम अफसर भी फेल.
प्रदेश में सिस्टम का परवान ऐसा सिर चढ़ कर बोल रहा है कि इसके आगे बड़े बड़े तुर्रम अफसर भी फेल हो गए हैं। आलम तो कुछ ऐसा है कि सिस्टम की लाइन में चलने वालों को अफसर टच करने से कतरा रहे हैं। रहने दो, जाने दो, तुम्हारा क्या जाता है कि कहानी गढ़ सिस्टम की पटरी पर दौड़ने वालों की भीड़ में घुस जाओ जैसा फ्री की सलाह दे खुद को बचा रहे हैं क्योंकि वो खुद सिस्टम के हिसाब से ढल चुके हैं।