‘ रवि शुक्ला ‘
आईएएस का नंदन, वंदन और अभिनंदन.
छत्तीसगढ़ में एक यंग आईएएस अफसर हैं जिनका नंदन फिर वंदन और सब मिलाकर अभि नंदन देख जिसे समाज अदना सा स्टाफ समझ और बोलता है वो इन आईएएस अफसर से मिलकर गदगद हो जाते हैं। अपने नाम के अनुरूप मुस्कराहट भरा खिला चेहरा, माथे पर तिलक मां दंतेश्वरी के अनन्य भक्त और जुनूनी बॉडी फिटनेस स्वामी विवेकानंद के सिद्धांतों का अनुसरण करने वाले आईएएस का नंदन खुद को किसी के दिल में उतारने के लिए जरा भी चूकते नहीं, भई ऐसा है जहां पर अफसरी दिखाना होता है वहां तो कड़क भी हो जाते हैं। ऐसे ही थोड़ी राष्ट्रपति पुरस्कार के अलावा ढेर सारे अवार्ड अपने नाम किया है और हो भी क्यों न छत्तीसग़ढ के माटी पुत्र जो है। हाल में आईएएस अफसर का नगरीय निकाय चुनाव के दौरा हुआ फटाफट काम निपटाया और एक छोटे स्टाफ को सुन भाई जल्दी से अपने कुछ कपड़े लेता आ फिर चलते हैं महा कुंभ में डुबकी लगाने खाना मेरे साथ ही खाना ओके, ऐसा नंदन, वंदन अफसर के मुख से सुनते ही स्टाफ पूरी तरह से आईएएस अफसर का अभिनंदन हो गया। 2013 बैच के इन अफसर ने यह साबित कर दिया कि इतनी पढ़ाई करने के बाद भी अफसरी दिमाग में नहीं चढ़ी कि सब को टशन दिखाए बल्कि दिल में समा जाने का हुनर ऐसा होना चाहिए। इससे ये तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि नंदन साहब जहा भी जिस पोस्ट कुर्सी पर रहे और आगे भी रहेंगे उनके दर से कुछ न कुछ लेकर ही जाएगा। हम भी चाहेंगे कि समय जैसा भी हो नंदन, वंदन और अभिनंदन जारी रखें, ‘ सैल्यूट ‘.
सोनी जी की मूसुर -मूसुर.
हाय बीजेपी के बेचारे सोनी जी इस बार नगर निगम के चुनावी दंगल में कांग्रेस के एक युवा चेहरे से पछाड़ खा गए। बड़े दुःख की बात है बताओ भला तीन बार यानी 15 साल का रिकॉर्ड टूट गया वो भी शहर का हार्ट ऑफ द सिटी कहे जाने वाले वार्ड एरिया से उफ्फ गलत हो गया। चुनाव रिजल्ट के कुछ दिन तक सदमे में रहे सोनी जी को पटाखे की आवाज से भी नफरत सी हो गई भले वो बूम बाम कोई और अपनी खुशी में क्यों न कर रहा हो फिर सदमे से बाहर आने के बाद निकले वार्ड की परिक्रमा में जहां उन्हें जीत के बाद जादू मतलब गायब हो जाने वाले पार्षद की उपाधि दी गई थी। मेल मुलाकात की सब का मन टटोला अरे भई अनुभवी नेता है। टिकिट के लिए नगर लल्ला सामने पैरों पर गिरना ही क्यों न पड़ा हो, किसी ने देखा बहुतों ने नहीं देखा लेकिन बात बंगले से बाहर आने में कितना टाइम लगता है। अब अगली बार की तैयारी में जुट गए हैं। सब का बराबर हाल चाल पूछ रहे हैं। इन सब के बावजूद मलाल यह है कि हार गया वो गम नहीं लेकिन ऊपर से लेकर नीचे तक बीजेपी की सरकार है। साला मलाई मख्खन के दिन है वो हाथ से निकल गया बड़ा ही मन दुःखी है ऐसा सोनी जी कहते फिर रहे हैं कोई बता रहा था।
वर्दी में भोला.
जिले की प्रहार पुलिसिंग में कहने को तो अदना सा लेकिन बड़ा भोला भाला सिपाही काम करता है। इसकी मक्खन पॉलिश की आदत इतनी बखूबी की अच्छे अच्छे थानेदार भोला के मुरीद हो जाते हैं। भई जी हुजूरी के साथ कमाऊ पूत होना अपने में एक काबिलियत का प्रमाण है। जिस थाने में भी रहा फिलहाल झील के उस पार बरसों से पदस्थ है। बस टीआई से जी साहब जी साहब, भोला आसमान से चांद तारे भी तोड़ कर ले आते हो अच्छा था। फिर क्या भोला का जवाब की फलाने से बात करता हूं हुजूर कुछ न कुछ व्यवस्था तो हो ही जाएगी। सिविल टीम में काम करने का जज्बा टीआई की जमकर भरपाई और अगर गलती से थाने की रोजमर्रा ड्यूटी पर लगा दिया गया तो उसी टीआई और स्टाफ की बात इधर उधर करने से भी नहीं चूकता। पुलिस कप्तान चाहे कड़क मिजाज ही क्यों न हो टीआई का खासम खास भोला की चाकरी नहीं हिलती। इसकी खासियत भी ऐसी की हंसते मुस्कुराते भोला सब का भला करने की जुगत में लगा रहता है। अंगद के पैर की तरह शहरी थाने से कुर्सी न हिले बाकी सब ठीक है वाला भोला सिपाही को निजात ना ही मिले ऐसा कुछ थानेदार के मन में भी चलता है, रही बात बड़े साहब की तो उनको समझा लिया जाएगा यही आखरी सत्य है।
सिंह साहब द ग्रेट.
कहते हैं अगर कप्तान अच्छा हो तो सारी टीम का वारा न्यारा हो जाता है। राज्य के दूसरे बड़े जिले में कप्तानी कर रहे सिंह साहब द ग्रेट के कामकाज से ऊपर वाले भी गदगद है। एनडीपीएस की कारवाई हो या क्राइम कंट्रोल सिंह साहब तपाक से प्रहार पर प्रहार बरसा देते हैं। हाल ही में अवैध तरीके से कमाई गई काली कमाई वाले सफेदपोशो पर प्रहार के एक्शन के बाद सिंह साहब का नंबर और बढ़ गया है। कांग्रेस की भूपेश सरकार में बदहाली झेल चुके सिंह साहब को जैसे ही सुशासन सरकार ने मौका दिया तो वो अच्छे अच्छों के छक्के छुड़ा दिए फिर चौके लगाने की कोई बात ही नहीं,पुलिस महकमा भी सिंह साहब की ट्रिंग ट्रिंग से कांप उठता है। थानेदार की कमाई और थाने का पानी, जूस तक भी मुंह में नहीं लगाने वाले सिंह साहब बड़े दूसरे मिजाज के हैं। भले ही मातहत उन्हें पचा नहीं पा रहे हैं लेकिन उनका कहना है काम तो करना होगा वरना रास्ता नाप लीजिए कुछ तो उनके मिजाज और खुद की काम चोरी के कारण जिले से बाहर निकलने में ही अपनी भलाई समझ नौ दो ग्यारह होने की जुगत में है। कोई बता रहा था कि प्रदेश के कड़क और तेज तर्रार डिप्टी सीएम प्लस ग्रह मंत्री शर्मा जी की भी पहली पसंद सिंह साहब द ग्रेट है। वैसे मार्च के अंतिम तक उनके यहां से रवानगी की चर्चा जोरों पर है पर यह भी कहा जा रहा है कि अभी जिले में अपराध और अपराधियों के साथ पुलिस विभाग को सुधारे के लिए सिंह साहब द ग्रेट को रख उनके कुछ और पैटर्न देखने की जरूरत है।
खनिज विभाग की बेगम.
जिले के खनिज विभाग में एक बेगम का जल जला कायम है। बोलने को तो वो क्लर्क है लेकिन खनिज विभाग में आए हर किसी का काम बेगम को चढ़ावा चढ़ाए बिना काम नहीं होता फिर वो बीजेपी के पूर्व मंत्री की आंधी हो या सत्ता का कोई भी नेता, बेगम को हरी पत्तियां दिए बिना नो पासिंग, सारा सिस्टम सेट है इनके ऊपर एक और मोहतरमा बैठती है जो बगैर माल लिए मौके का निरीक्षण के लिए खिसकती तक नहीं फिर सब से ऊपर पंडित मिश्री जी मिठास इतनी की क्या कहने लेकिन चासनी में मोटी मलाई की मिलावट, बिना दक्षिणा दिए मजाल है किसी की फाइल आगे चली जाए। जिले के मुखिया अफसर के ठीक पीछे बैठ खनिज विभाग की बेगम एंड गैंग मजे से सोट सारा खनिज अपनी जेब में डाल रहे हैं।
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