जांजगीर-चांपा। जिला अस्पताल जांजगीर-चांपा और बीडीएम अस्पताल चांपा के डॉक्टरों एवं स्टाफ ने प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल के खिलाफ मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया था। उन्होंने सिविल सर्जन को पद से हटाने की मांग करते हुए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था। इस मामले में डॉक्टरों और नर्सों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए कलेक्टर आकाश छिकारा ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। कलेक्टर द्वारा गठित इस तीन सदस्यीय जांच समिति में अपर कलेक्टर ज्ञानेन्द्र सिंह को अध्यक्ष बनाया गया है, जबकि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी स्वाति वंदना सिसोदिया और डिप्टी कलेक्टर भावना साहू को सदस्य नियुक्त किया गया है।
क्या है पूरा मामला?
जिला अस्पताल जांजगीर-चांपा और बीडीएम अस्पताल चांपा के डॉक्टरों एवं स्टाफ ने सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल पर तानाशाही रवैया अपनाने, मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और पद का दुरुपयोग करने के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने अस्पताल परिसर में जमकर नारेबाजी की और फिर कलेक्ट्रेट तक रैली निकालकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था।

सीनियर स्टाफ नर्स सालोमी बोस ने बताया था कि सिविल सर्जन ने उन्हें धमकाते हुए कहा, “तुम्हारी नेतागिरी नहीं चलेगी, मैं तुम्हें निपटा दूंगा। मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, मेरा स्वास्थ्य मंत्री रिश्तेदार है और कलेक्टर मेरा दोस्त है। मैं तुम्हारा ट्रांसफर करवा दूंगा और सीआर खराब कर दूंगा।”

वहीं, डॉक्टर इकबाल हुसैन ने आरोप लगाया कि सिविल सर्जन ने अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारने के बजाय सीनियर डॉक्टरों को दबाव में लेना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा, “वह स्टाफ नर्सों से बदसलूकी करते हैं और अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। वह खुद को स्वास्थ्य मंत्री का रिश्तेदार और कलेक्टर का करीबी बताकर स्टाफ पर दबाव बनाते हैं। अस्पताल की व्यवस्थाओं में सुधार के बजाय सिर्फ बाहरी सजावट कर दिखावा किया जा रहा है।”
डॉक्टरों एवं स्टाफ के ज्ञापन सौंपने के बाद कलेक्टर आकाश छिकारा ने कहा था, “हमने डॉक्टरों और स्टाफ की शिकायतों को गंभीरता से लिया है। जांच समिति को निष्पक्ष रूप से जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” अब इस मामले की जांच के लिए समिति गठित कर दी गई है।
सिविल सर्जन ने दी सफाई
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए सिविल सर्जन डॉ. दीपक जायसवाल ने कहा कि जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए उन्होंने कई सख्त कदम उठाए, जिससे डॉक्टरों और स्टाफ को अधिक जिम्मेदारी से काम करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, “मैंने अस्पताल में मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने की कोशिश की है, जिससे अब डॉक्टर और स्टाफ पूरी मुस्तैदी से काम कर रहे हैं। किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया गया है, बल्कि प्रशासनिक कसावट के लिए निर्देश दिए जाते हैं।”
अब सबकी नजर जांच रिपोर्ट पर
अब सबकी नजर जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी है, जो अस्पताल के माहौल और प्रबंधन से जुड़े कई अहम खुलासे कर सकती है। अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो सिविल सर्जन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई संभव है। वहीं, अगर आरोप निराधार पाए जाते हैं, तो प्रदर्शनकारी कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

