जयपुर: राजस्थान सरकार अब पंचगव्य पर रिसर्च के लिए सेंटर खोलने जा रही है. आयुर्वेद में पंचगव्य (दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र) के गुणों की चर्चा है. सदियों पुराने मान्यताओं और आयुर्वेद में किए गए दावों को वैज्ञानिक आधार देने के लिए अब राजस्थान की बीजेपी सरकार ने सेंटर खोलने का फैसला किया है. राजस्थान सरकार का गोपालन विभाग पूरे रिसर्च की बागडोर संभालेगा. साथ ही निजी विश्वविद्यालयों की भी मदद ली जाएगी. गोपालन विभाग के निदेशक डॉ. लालसिंह ने बताया कि राजस्थान में कुल 1.21 करोड़ गौवंश है. यहां नागौरी, थारपारकर, राठी, कांकरेज और गिर जैसी उत्तम गौवंश की नस्लें उपलब्ध है.
सरकार का मानना है कि इस दिशा में रिसर्च के जरिये ग्रामीण अर्थव्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकेगा. रिसर्च सेंटर की योजना का गो-सेवकों ने स्वागत किया है. हिंगोनिया गोशाला के सिद्धा स्वरूप दास का कहना है कि आयुर्वेद में पहले से ही पंचगव्य की मान्यता है. अब अगर इसे वैज्ञानिक मान्यता मिल जाए तो गाय की उपयोगिता और महत्ता दुनिया भर में बढ़ेगी. गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने गोधन में वृद्धि और नस्लों में सुधार के लिए गोपालन विभाग बनाया था.
आयुर्वेद में गाय के गोबर से चर्म रोगों का उपचार भी किया जाता है. वहीं आयुर्वेद अब गोमूत्र से कैंसर का इलाज करने का दावा भी कर रहा है. बता दें, कि आयुर्वेद में पंचगव्य का निर्माण गाय के दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर के द्वारा किया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार पंचगव्य द्वारा शरीर के रोगनिरोधक क्षमता को बढ़ाकर रोगों को दूर किया जाता है. आयुर्वेद में गाय के गोबर से चर्म रोगों का उपचार भी किया जाता है. वहीं आयुर्वेद अब गोमूत्र से कैंसर का इलाज करने का दावा भी कर रहा है|