राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रमुख अनुशंसा – प्राथमिक शिक्षा में बुनियादी रूप से “भारतीय ज्ञान परंपरा” के समावेश के अनुपालन में पहल

रायपुर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की प्रमुख अनुशंसा – प्राथमिक शिक्षा में बुनियादी रूप से “भारतीय ज्ञान परंपरा” के समावेश के अनुपालन में राज्य शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद् के संचालक दिव्या उमेश मिश्रा के दिशाबोध में अभिनव अकादमिक पहल की जा रही है. अब प्रत्येक माह मानव-शिक्षा के प्रमुख अनुशासनों जैसे – समाज, भाषा व साहित्य, कला, संस्कृति, चिंतन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, धर्म, अध्यात्म, दर्शन, मनोविज्ञान, चिकित्सा, खगोलशास्त्र, धातुकर्म विज्ञान, संहिता, सौदंर्य शास्त्र, लोक एवं वाचिक परंपरा, इतिहास एवं पुरातत्व, पर्यावरण एवं जनजातीय समुदाय के पारंपरिक ज्ञान आदि विषयों के राष्ट्रीय स्तर के बौद्धिक विशेषज्ञों के साथ राज्य के प्रशिक्षकों, छात्रा-अध्यापकों के परस्पर संवाद का आयोजन किया जाएगा, ताकि वे शिक्षण-प्रशिक्षण कार्य में स्वयं को भी अद्यतन बना सकें. इसी कड़ी की शुरुआत करते हुए पहला व्याख्यान संपन्न हुआ, जिसमें भारतीय मिथकों के विशेषज्ञ और सुप्रसिद्ध रचनाकार, संस्कृतिविद् व भारत सरकार के प्रसार भारती दूरदर्शन के पूर्व उपमहानिदेशक उद्भ्रांत (रमाकांत शर्मा, दिल्ली) शामिल हुए

मुख्य वक्ता उद्भ्रांत ने कहा कि हमारी भारतीय ज्ञान परंपरा दुनिया की सबसे अनूठी परंपरा है जिसमें धर्मं, अध्यात्म, ज्ञान, विज्ञान कला, संस्कृति,जीवन का हर पहलू शामिल है . ‘वसुधैव कुटुंबकम’ अर्थात पूरी वसुधा ही हमारी कुटुंब है, इस समग्रता में देखती है . भारतीय ज्ञान सिर्फ सूचना नहीं है बल्कि यह उसे आत्म साक्षात्कार नैतिक उत्थान और विश्व कल्याण की बुनियादी शिक्षा है. यह प्रकृति, ब्रह्मांड, मानव जीवन और नैतिकता के गहरे सवालों से रूबरू कराती है. इसकी जड़ें केवल धर्म और अध्यात्म तक ही नहीं, वरण गणित, खगोल शास्त्र, चिकित्सा, योग, दर्शन, भाषा, साहित्य कला, सौंदर्यशास्त्र जैसे ज्ञान के सभी क्षेत्रों में गहरी धँसी हुई है.

भारतीय ज्ञान जितना लिखित है उतना ही अलिखित, जो शताब्दियों से सतत् प्रवाहमान है . यह मौखिक परंपरा अर्थात् वाचिक साहित्य और वेदों, उपनिषदों, महाकाव्यों से लेकर आज तक रचे गये सतसाहित्य में सतत् प्रवाहशील है . इसे आधुनिक विज्ञान की तकनीकि और नित-प्रतिदिन अपडेट होते टूल्स जैसे एआई (कृत्रिम बुद्धिमता) के माध्यम से भी कैसे विकसित किया जा सकता है, यह शिक्षाविदों के लिए विचारणीय है.

इसके पूर्व राज्य शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद्, रायपुर के अतिरिक्त संचालक जयप्रकाश रथ ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि उद्भ्रांत देश के उन कुछ बौद्धिक रचनाकारों हैं, जिन्होंने हिंदी साहित्य के लगभग सभी विधाओं में अपना लोहा मनवाया है.इस कार्यक्रम में एससीईआरटी के अकादमिक सदस्यों के अतिरिक्त शिक्षा महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य आलोक कुमार शर्मा, डाइट रायपुर के प्राचार्य बीएल देवांगन एवं दोनों संस्थाओं के अकादमिक सदस्य तथा एमएड, बीएड, डीएलएड के छात्राध्यापक सम्मिलित थे. इस अवसर पर भिलाई के प्रसिद्ध शायर मुमताज सहित अन्य विशिष्ट व्यक्ति भी उपस्थित थे.

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