रायपुर. प्रदेश के आरटीआई एक्टिविस्ट और सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को कई बिंदुओं में पत्र लिखकर पूर्व मुख्यमंत्री और जकांछ सुप्रीमो पर सरकारी बंगले का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है पत्र में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया गया है जिसमे कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी आवास खाली करवाने का फरमान जारी किया है।
‘OMG NEWS NETWORK’ को मिले पत्र में श्री शुक्ला ने कहा है कि कटोरातालाब स्थित सागौन बंगला अजीत जोगी को पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से प्रदाय किया गया है।
अजीत जोगी और उनके परिवार द्वारा इस बँगले का उपयोग खुद के द्वारा बनाई गई राजनीतिक पार्टी के लिए किया जा रहा है,सिर्फ नाम हेतु कोई अन्य स्थान के पते को राजनीतिक दल के कार्यालय हेतु दर्शा दिया गया है जबकि वहां कोई भी आता जाता नहीं है।
इस सरकारी आवास के मूल स्ट्रक्चर में परिवर्तन कर अजीत जोगी ने मीडिया हाउस का निर्माण कर लिया है,यह आवास आबंटन नियम का विपरीत है,इसी सरकारी आवास में अजीत जोगी और उनका परिवार अपने राजनीतिक हित साधने के लिए अपनी नवगठित पार्टी हेतु कभी पत्रकारवार्ता कर रहा है,कभी पुस्तक का विमोचन कर रहा है और सरकारी बंगले का दुरूपयोग कर आदर्श आचार संहिता का हनन किया जा रहा है।सरकारी आवास का राजनीतिक पार्टी के कार्यालय के रूप में दुरुपयोग किये जाने से रहवासियों को व्यवधान उत्पन हो रहा है पर पूर्व मुख्यमंत्री का नाम आने से सभी चुप हो जाते हैं।
सभी कृत्य छत्तीसगढ़ शासन के आवास आबंटन नियमों का खुलेआम दुरूपयोग है जिसकी शिकायत दो वर्ष पूर्व 18 जुलाई को रायपुर जिलाधीश को जनदर्शन में कई गयी थी परंतु उनके द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं कि गयी।सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अगस्त को एक जनहित याचिका पर फैसला देते हुए सभी पूर्व मुख्यमंत्रीयों से सरकारी आवास खाली करवाने का आदेश दिया है,जिसके तहत उत्तरप्रदेश तथा मध्यप्रदेश में सभी पूर्व मुख्यमंत्रीयों के सरकारी आवास खाली करवाए जा चुके हैं।वही पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी से सरकारी बंगले को खाली करवा कर उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करवाने हेतु 1 अगस्त को मुख्यसचिव छग शासन को पत्र भी लिखा था,परंतु उन्होंने अपने आपको सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर मानते हुए कोई कार्यवाही नहीं कि अजीत जोगी द्वारा भाजपा के साथ मिल सरकारी बंगले का दुरुपयोग किया जा रहा है,यह न सिर्फ आदर्श आचार संहिता का उलंघन है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी मखौल उड़ाना है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री से सरकारी आवास खाली करवाया जाना है।