रायपुर.छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद अमित जोगी, सियाराम कौशिक और आरके राय को पार्टी से निकाला जा चुका है जबकि एक शख्स उपचुनाव में और दूसरा शख्स हाल के विधानसभा चुनाव में पार्टी छोड़कर अन्य दल में शामिल है। यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि वे दो लोग कौन है?
हालांकि अधिकृत तौर पर यह खबर पुष्ट नहीं है, लेकिन बाजार में ऐसी चर्चा है कि जो लोग कांग्रेस छोड़कर अन्य दल में गए थे उन्हें दो- दो करोड़ देने का सौदा हुआ था, लेकिन महज 40-50 लाख तक ही असली नोट दिया गया है, शेष डेढ़ करोड़ का भुगतान भी कर दिया गया है… मगर सारे के सारे नोट नकली है।
अब नकली नोट लेकर पार्टी बदलने वाले लोग अपने साथ हुए इस धोखे की किसी थाने में शिकायत भी नहीं कर पा रहे हैं। आखिर किस मुंह से शिकायत करेंगे? अगर थाने जाकर कहेंगे कि हमें फलां-फलां आदमी ने नकली नोट दे दिया है तो फंस जाएंगे। किसी भी तरह की शिकायत से या एफ आई आर से यह साबित हो जाएगा कि पैसे लेकर दल बदला गया था। जाहिर है ऐसी हरकत से उनका राजनीतिक कैरियर हमेशा- हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। नकली नोट देने का तो जुर्म बनता ही है… नकली नोट रखने पर भी जुर्म कायम हो जाएगा। थू… थू….. होगी सो अलग। इधर कुआं उधर खाई वाली स्थिति हैं। आखिर करें तो करें क्या?
बहरहाल छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों में यह खबर बड़ी तेजी से फैली हुई है। बातों- बातों में लोग यह भी कह रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में जब लोग पत्रकारों की सेक्स सीडी बनाने के बारे में सोच सकते हैं। ईवीएम के जरिए जनमत पलटने की साजिश रच सकते हैं तो फिर यहां कुछ भी हो सकता है। एक राजनीतिक विश्लेषक की टिप्पणी है- छत्तीसगढ़ में मतगणना के बाद कुछ प्रत्याशी अपनी कीमत लगा सकते हैं। ऐसे सभी प्रत्याशियों को यह अवश्य सोचना चाहिए कि जीत के बाद वे जनता के साथ कितना बड़ा धोखा करने जा रहे हैं। अगर वे धोखा करेंगे तो जाहिर सी बात है उन्हें भी धोखा मिलेगा। हो सकता है उन्हें भी सूटकेस में नकली नोट मिलें।