रायपुर.यह चुनावी अनुमान अमेरिका अथवा ब्रिटेन में इसलिए सफल होते हैं क्योंकि वहां पर दो दलीय चुनावी व्यवस्था है निर्दलीयों का कोई हस्तक्षेप नहीं है।इसके अलावा इन विकसित देशों में चुनावी सर्वे टॉप की यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे सांख्यकीकी संकाय के छात्रों द्वारा सम्पन्न करवाया जाता है।
भारत में चुनावी अनुमान लगाना लगभग असंभव है। तमाम तरह के राष्ट्रीय/राजकीय दलों के प्रत्याशी के अलावा अनेकों निर्दलीय मैदान में होते हैं,फिर जाति, धर्म,क्षेत्रवाद,धन का प्रभाव अलग से हावी होता है जबकि विकसित देशों के चुनाव इससे परे हैं। इसलिए अनेकों स्थिति परिस्थिति में अनुमान असंभव हैं।
भारत में 50 तरह के निजी चैनलों सहित अनेक अनेकों प्रकार की निजी एजेंसियां इस तरह के चुनावी सर्वे लाती हैं,अब इन सर्वे को अंजाम देने वाले अनपढ़ों को आप देख लेंगे तो निश्चित ही माथा पीटने से अपने आपको नहीं रोक पाएंगे। मैनें देखा है कैसे यह लोग एक पान की गुमटी के सामने बैठ जीत हार का सर्वे कागजों में लगा बना लाते हैं।
50 में किसी एक का चुनावी अनुमान सही निकल गया तो तीर, नहीं तो तुक्का..
फिर हमारे यहां चुनावी सर्वे को सट्टा बाजार प्रभावित करता है,खाईवाल अपने हिसाब से इन चैनल वालों को सेट करने के बाद लोगों से पैसा लगवाता है और लंबा माल अंदर करता है।
अंत में फिर ठगी जाती है हर बार की तरह जनता।