दुर्ग.अगले दो माह परीक्षाओं के दिन हैं और उसके बाद आप सबकी सफलता की कहानी सुनने व सुनाने का समय शुरू हो जाएगा दोस्तों याद रखना आपका जन्म ही सफलता के लिए हुआ हैं सफलता आपका अधिकार हैं बस उस अधिकार को पाने के लिए कुछ करने की अपने आत्मविश्वास को जगाने की जरुरत हैं।
परीक्षा तो एक सीढी है जिसे हर कोई पार कर लेता हैं आवश्यकता है अनुशासन-संयम और धैर्य की परीक्षा के नाम से केवल आप ही नही बल्कि हर इंसान को डर लगता हैं। यह समय न केवल आपके लिए बल्कि अभिभावकों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।आपकी तो केवल ज्ञान की परीक्षा हैं लेकिन अभिभावकों की समझदारी और धैर्य की परीक्षा हैं।
परीक्षा के समय तनाव स्वाभाविक होता है।आप पर शिक्षकों का और माता पिता व समाज का परोक्ष एवम् अपरोक्ष दबाव रहता हैं।
मैं जानता हूँ आप मे से बहुत सारे तनाव की परवाह नहीं करते होंगे लेकिन कुछ स्टूडेंट्स stress के शिकार हो जाते है जिन्हे यदि समय पर काउंसलिंग या साथ नहीं मिलता हैं तो वो डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं और कई बार अनुचित कदम भी उठा लेते हैं ।जिससे परिवार पर पहाड़ टूटने जैसी स्थिति पैदा हो जाती हैं।
इसलिए इस परीक्षा की घड़ी मे न केवल आपको को बल्कि अभिभावकों व शिक्षकों को सतर्क रहने की जरूरत है।
तनाव मे आने का मुख्य कारण होता हैं कि आपने समय प्रबंधन का सही पालन नहीं किया था।
अब इनसे बचने का उपाय यह है कि आज से ही अपनी स्टडी का सही प्लान कर लीजिये किस सबजेक्ट को कितना समय देना हैं यह तय कर ले एवं उसके अनुसार उसका पालन करें
यह समय ऐसा समय होता हैं कि आपका स्वस्थ रहना भी जरूरी हैं इसलिए खान पान का बहुत ध्यान रखने की जरूरत है।
परीक्षा पूर्ण होने तक घर से बाहर का खाना ना ही खाए तो बेहतर होगा।
साथ ही घर मे भी खाना खाने का प्लान भी उतना ही महत्वपूर्ण हैं जितना पढ़ने का प्लान कोशिश करें परीक्षा समाप्ति तक सादा भोजन का ही सेवन करें।तला हुआ या चटपटा खाना खाने से बचें।
सब सबजेक्ट को उनकी महत्ता के अनुसार समय दे।
पर्याप्त नींद भी बहुत जरूरी है।अच्छी नींद से शरीर की थकावट दूर हो जाती हैं एवं पढ़ने की क्षमता बढ़ जाती हैं। समय पर सो जाने की आदत डालें।
अपनी दिनचर्या को भी प्लान कर लीजिए सुबह जल्दी उठकर बाहर की ताजा हवा का आनंद लेने की कोशिश करे और सुबह की हल्की धूप में जरूर कम से कम 15 से 20 मिनिट तक घूम कर आ जाए।हल्का व्यायाम करने से शरीर मे चुस्ती रहती है आप लंबे समय तक बैठकर पढ़ाई कर सकते हैं।
पढ़ाई के बीच मे थोड़ा दिमाग को विश्राम भी देना जरूरी हैं।
परिवार के सदस्यों के साथ भी थोड़ा समय बिताना जरूरी हैं।इससे अकेलापन नहीं लगता हैं।
इतना सब करने के बावजूद भी आपको कोई समस्या हो ,पढ़ाई में मन नहीं लग रहा हो ,डिप्रेशन जैसा लग रहा हो तो अपनी इस समस्या को मम्मी- पापा, भाई- बहन, मित्रों और शिक्षकों के साथ शेयर कीजिए।कोई न कोई रास्ता निकल ही आएगा ।अपने को अकेला न समझे।यह परीक्षा केवल एक कक्षा की परीक्षा हैं न कि जीवन की ऐसा कोई विरले ही इंसान होगा जो हमेशा हर परीक्षा में पास हुआ हो किसी न किसी परीक्षा मे वो भी असफल रहा ही होगा।
परीक्षा प्रति वर्ष होती हैं लेकिन जीवन एक बार खो दिया तो दुबारा नहीं मिलेगा।इस समय आपको अपने आत्मविश्वास को बनाए रखने और धैर्य- संयम की जरुरत हैं न कि बैचेन निराश होने की
परीक्षा के समय अभिभावकों को भी सजग व सतर्क रहना चाहिए।इस समय बच्चों को आपके साथ की,आपके दो प्यार भरे शब्दों की जरूरत हैं।हमेशा नजर रखें कि बच्चे का व्यवहार मे अचानक बदलाव तो नहीं आ रहा।चिड़चिड़ापन ,कम खाना खाना,कम नींद की और सिर दर्द व माइग्रेन की शिकायत कर रहा है तो जरूर उसे गंभीरता से लिजिए डॉक्टर से सलाह जरूर लिजिए बच्चों का हौंसला बढ़ाते रहे
शिक्षकों को भी सतर्क रहने तथा ऐसे बच्चों की पहचान करके काउंसलिंग करने एवं अभिभावकों को सूचित करने की जरुरत है।
अपनी तरफ से बच्चों का हिम्मत व हौसला बढाए कभी भी हतोत्साहित न कीजिए।मनोबल बढाने वाली कहानियां बहुत कारगर रहतीं है।
साथियों एक बार फिर दोहराना चाहता हूँ कि आप सफल होने ही इस दुनिया में आए हो कोई भी आपको फेल नहीं कर सकता ।इस वाक्य को बार बार दोहराते रहिए।परीक्षा कक्ष मे घुसते समय भी और प्रश्न पत्र को हल करने से शुरु करने से पहले भी।