सीवीआरयू का प्रथम दीक्षांत समारोह संपन्न, राज्यपाल समेत कई अतिथियो ने की शिरकत..

बिलासपुर.शिक्षा हमे सशक्त और समर्थ बनाती हैं शिक्षा चरित्र को प्रबुद्व करने, समझने समझाने और समृद्ध करके सभ्यता के विस्तार की तकनीक भी है। यदि शिक्षा आपको इस योग्य बनाती है, कि आप अपने जीवन, समाज और देश की समस्याओं की पहचान करने में सक्षम है तो इसका अभिप्राय है कि विश्वविधालय ने आपके व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं। किन्तु यह इसका अंत नहीं है। इन गुणों को अपने व्यक्तित्व का स्थायी अंग बना लेने में ही शिक्षा की सार्थकता है।

उक्त विचार प्रदेश की राज्यपाल और डॉ.सी.वी.रामन् विवि की कुलाध्यक्ष आनंदीबेन पटेल ने सीवीआरयू के प्रथम दीक्षांत समारोह में व्यक्त किए। दीक्षांत समारोह में उन्होंने विद्यार्थियों को पदक और उपाधि प्रदान की। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए राज्यपाल आनंदी बेन ने कहा कि हम सभी गौरवान्वित हैं और यह विश्वास हैं कि आप सभी आगामी जीवन में और भी बड़ी सफलताएं अर्जित करेंगे। आपकी यह सफलता एक ऐसे नए जीवन की शुरूआत है, जो कि चुनौतियों तथा प्रतिस्पर्धाओं से तो भरी ही है। इसके साथ ही साथ ऐसे अवसरों से भी भरपूर है, जिससे आप अपने व्यक्तित्व को एक सार्थक पहचान दे सकेंगे और सफलता के उच्चतम शिखर पर पहुॅचगें। इस मुकाम तक पहुॅचने में आपके ¬द्वारा इस विश्वविद्यालय से अर्जित ज्ञान सहायक सिद्ध होगा।

उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकार हर्ष हुआ है कि विश्वविद्यालय को नैक द्वारा बी-प्लस ग्रेड से प्रत्यायित किया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा विश्वविद्यालय को वर्ष 2018 का स्वच्छता रैंकिग में देश में तीसरा स्थान हासिल हुआ है। इस तरह यह प्रदेश का सबसे स्वच्छ विश्वविद्यालय बन गया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कोटा में स्थापित होकर अपने गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने एवं अपने उत्कृष्ट अधोसंरचना के कारण, कई राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय पुरूस्कारों से सम्मानित छत्तीसगढ़ का पहला एवं सबसे बड़ा निजी विश्वविद्यालय है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया एवं स्किल इंडिया से कदमताल करने वाला छत्तीसगढ़ का यह पहला विश्वविद्यालय है, जहां पर प्रदेश के एक मात्र दीनदयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र के स्थापना की अनुमति यू.जी.सी. द्वारा प्रदान की गई हैं। विश्वविद्यालय के दीनदयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कौशल प्रशिक्षण हेतु स्टेट का रिसोर्स सेंटर भी बनाया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं के कौशल विकास हेतु विश्वविद्यालय परिसर में स्किल एकेडमी की स्थापना की गई है, एवं विश्वविद्यालय परिसर में ही प्रधानमंत्री कौशल केन्द्र संचालित है।

राज्यपाल ने कहा कि यह भी खुशी की बात है कि विश्वविद्यालय का चयन भारत सरकार के उन्नत भारत अभियान के लिये भी किया गया है। इस प्रकार से विश्वविद्यालय माननीय प्रधानमंत्री के स्किल इंडिया डिजीटल इंडिया स्वच्छ भारत अभियान से सतत् रूप से कदमताल कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। मुझे यह जानकर भी खुशी हो रही है कि अपने स्थापना के महज बारह वर्षों की छोटी अवधि में विश्वविद्यालय ने एमएचआरडी, यूजीसी द्वारा अनुशासित अधिकांश अकादमिक एवं प्रशासनिक सुधारों को लागू किया है। उन्होेंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है, कि महान वैज्ञानिक नोबल पुरस्कार विजेता डॉ. सी. वी. रामन् जी के नाम पर स्थापित यह विश्वविद्यालय अपनी दृश्टि एवं उद्श्यों के अनुरूप उच्च स्तरीय ज्ञान के प्रसार एवं पोषण हेतु किये जा रहे प्रयासों के कारण देश-दुनिया में उच्च-षिक्षा के एक महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल होगा। समारोह में विवि के पूर्व कुलपति प्रो.ए.एस.झाड़गांवकर को पुरस्कृत किया गया और उनके योगदान को सभी ने याद किया। इस अवसर पर निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष अंजनी शुक्ला, आईसेक्ट के डायेरक्टर सिद्वार्थ चतुर्वेदी, दूरवर्ती शिक्षा के निदेशक और दीक्षांत समारोह के समन्वयक अरविंद तिवारी कुलसचिव गौरव शुक्ला सहित बड़ी संख्या में जिला प्रशासन,पुलिस प्रशासन के अधिकारी,प्राध्यापक,विद्यार्थी उपस्थित थे।

अगले साल 400 विद्यार्थी को मिले पदक..

विश्वविद्यालय में प्रथम दीक्षांत समारोह में 297 विद्यार्थियों को पदक प्रदान किया गया। इस पर हर्ष व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने कहा कि अगले साल 400 विद्यार्थियों को पदक दिया जाना चाहिए, उन्होने विद्यार्थियों से कहा आप मेहतन से पढ़ाई करते रहित हम पदक देते रहेंगे।

जब नारी बली होगी तो समाज और देश बली होगा..

आनंदीबेन ने सभी से कहा कि लड़कियों को पढ़ाई कराइए, क्योंकि जब नारी शक्ति पढ़ लिख कर आगे बढ़ेगी तो समाज और देश आगे बढ़ेगा। उन्होनें महिला उद्यमियों से प्रेरणा लेने की बात कहते हुए स्वयं के रोजागर शुरू करने कहा। इस अवसर पर उन्हांेंने बच्चों को फल वितरित करके स्नेह किया। कार्यक्रम में महिला स्व सहायता समूह को प्रोत्साहित करने की बात कही। उन्होने कहा सभी को रोजगार देने वाला बनाना चाहिए, तब हमारा देश तेजी से विकास करेगा।

शिक्षा के साथ आत्मनिर्भर बनाना विवि का उद्देश्य-चौबे..

इस अवसर पर डॉ. सी. वी. रामन् विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे ने विश्वविद्यालय के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि 03 नवंबर 2006 को छत्तीसगढ़ प्रदेश के बिलासपुर जिले में वनांचल एवं आदिवासी क्षेत्र में इस विवि की स्थापना की गई थी। यह विश्विद्यालय प्रदेश का ही नहीं बल्कि पूरे मध्य भारत का पहला निजी विश्वविद्यालय है। श्री चौबे ने बताया कि यह कई अन्य क्षेत्रों में भी प्रथम स्थान पर है। छात्र संख्या की दृश्टि से यह प्रदेश का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है, कौशल विकास की दृश्टि से यह प्रदेश का एकमात्र विश्वविद्यालय है, जिसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा दीनदयाल उपाध्याय कौशल केंद्र एवं कौशल विकास मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री कौषल केंद्र प्रदान किया गया है। यह प्रदेष का एकमात्र विष्वविद्यालय है, जिसे यूजीसी द्वारा दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम चलाने की अनुमति सतत् रूप से वर्श 2009 से प्राप्त है।

श्री चौबे ने बताया कि विश्वविद्यालय की पितृ संस्था आईसेक्ट भी देष की श्रेश्ठ कौशल विकास संस्थाओं में शुमार है, जो देश के 27 राज्यों में लगभग 20,000 कौषल विकास केंद्रो का संचालन कर रही है, जिसने ग्रामीण क्षेत्रों में 5 विश्वविद्यालयों की स्थापना की है और जिसे तत्कालीन राश्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी द्वारा राश्ट्रीय इनोवेशन अवॉर्ड तथा वर्ल्डइकॉनामिक फोरम द्वारा सामाजिक उद्य़मिता पुरूस्कार प्राप्त हो चुका है। इस क्षेत्र में विश्वविद्यालय की स्थापना का मूल उद्देश्य दूरस्थ ग्रामीण अंचल के विद्यार्थियों को, उच्च शिक्षा सुविधायें सुलभ कराना था। विश्वविद्यालय का नामकरण देष के महान वैज्ञानिक नोबेल पुरस्कार विजेता चंद्रषेखर वेंकट रामन् के नाम पर इस लक्ष्य के साथ किया गया था कि, ग्रामीण विद्यार्थियों को विज्ञान एवं तकनीकी की शिक्षा सुलभ हो सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपने निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के लिये सतत् रूप से प्रयासशील है एवं अपने विद्यार्थियों को कुशल एवं आत्मनिर्भर बनाने के साथ क्षेत्र के सर्वागीण विकास एवं विद्यार्थियों के सर्वागीण विकास एवं शोध के नये मापदण्ड तय करने हेतु अपनी पूरी क्षमता के साथ सतत् रूप से काम कर रहा है। श्री चौबे ने कहा कि डॉ. सी. वी. रामन् विश्वविद्यालय की स्थापना भले ही ग्रामीण – आदिवासी क्षेत्र में हुई है पर अपनी दृष्टि और कार्य पद्धति में यह किसी भी आधुनिक वैश्विक संस्थान की तरह कार्य करता रहा है। उन्होेंने उपाधि प्राप्तकर्ताओं एवं पदक प्राप्तकर्ताओं को बधाई दी एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।

सनातन परंपरा के वाहक हों विद्यार्थी-प्रो.दुबे..

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आर.पी.दुबे ने कहा कि भारत की यह सनातन काल से परंपरा चली आ रही है,कि ज्ञान की इस गौरवशाली परंपरा के आप सभी विद्यार्थी संवाहक हैं। हम इस बात के प्रति सचेत है कि विवि का मुख्य उत्तरदायित्व देश के लिए ऐसे नागरिक तैयार करना है कि जो आपके क्षेत्र में कौशल विकास से युक्त हो, समाज के प्रति उन्हें अपनी जिम्मेदारी का बोध हो और राष्ट्र के प्रति जिनकी निष्ठा अक्षुण्ण रहे।

शिक्षा से ही विनम्रता और नैतिक मूल्यों को सृजन- सोइन..

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसईसीआर के महाप्रबंधक सुनील सिंह सोइन ने कहा कि शिक्षा ऐसी हो जो न सिर्फ ज्ञानदायी हो बल्कि जीवन में विनम्रता और नैतिक मूल्यों का सृजन एवं संपोषण भी करती हो। अगर आपने इस विश्वविद्यालय से विषयी ज्ञान के साथ-साथ इन मूल्यों को भी अर्जित किया है तो आप सही अर्थो में ज्ञान के अनुयायी हैं। विनम्रता को एक श्रेष्ठ मानवीय मूल्य माना गया है। उन्होंने अपने अनुभव से जीवन के मंत्र विद्यार्थियों से साझा किए। उन्होंने कहा कि कड़ी मेहनत करने से सफलता कदम चुमती है। उम्र के इस पड़ाव में युवाओं को बिना फल के चिंता किए सकारात्मक दिशा में लगातार कार्य करते रहना चाहिए।

सफल नागरिक बनाना हमारा उद्देश्य-गौरव.

इस अवसर पर विवि के कुलसचिव शुक्ला ने कहा कि छात्रों को सफल नागरिक बनाना शिक्षा एवं शैक्षिक संस्थानों के महत्वपूर्ण उद्ेश्यों में से एक है। सीवीआरयू विधार्थियों में सहिष्णुता, अनुशासन, विधि अनुशासन, विधि अनुपालन और समयबद्धता आदि मानवीय गुणों के समुचित विकास की भी प्राथमिकता पर कार्य कर रहा है। इसी प्रकार से अध्ययनरत छात्रों को यह भी शिक्षा दी जा रही है, कि सच्चा एवं सफल लोकतंत्र स्वैच्छिक अवलोकन एवं आत्मानुशासन पर निर्भर करता है न कि किसी संस्था अथवा निकाय द्वारा इसे बलपूर्वक लागू करने पर। ऐसी शिक्षा विद्यार्थियों को मानवता एवं मातृभूमि के प्रति उत्तरदायी बनने के लिए प्रेरित करेंगी।

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