बिलासपुर. प्रेस क्लब के तत्वावधान में पत्रकार मिलन समारोह और परिसंवाद कार्य्रकम आयोजन किया गया मौका था वरिष्ट पत्रकार बजरंग केड़िया जन्मदिन का जिसमें शहर के तमाम नामी मीडिया पर्सन के साथ साहित्यकार और श्री केड़िया को करीब से जानने वाले लोग मौजूद रहे।पत्रकारिता के नए दौर और चुनौतियों पर वक्ताओं ने अपने विचार रखे तो वही वरिष्ट पत्रकारों का सम्मान भी किया गया।
कानन पेंडारी के सामने वंडर वर्ल्ड में रविवार की सुबह शहर के पत्रकारों और साहित्यकारो का जमावड़ा रहा वरिष्ट पत्रकार बजरंग केड़िया को 81 वे वर्ष पर प्रवेश करने की खुशी और उन्हें मंगलमई शुभकामनाएं देने प्रेस क्लब के द्वारा पत्रकार मिलन समारोह के साथ पत्रकारिता के नए दौर और चुनौतियां (परिसंवाद) का आयोजन किया गया था।
सब से पहले श्री केड़िया ने अपने परिवार समेत केक काटा जिसके बाद कार्य्रकम को आगे बढ़ाया गया मंच का संचालन वरिष्ट पत्रकार राजेश दुआ ने किया तो वही प्रेस क्लब के सचिव वीरेंद्र गहवई ने श्री केड़िया को महान विभूति बताया और उनकी जीवनी पर प्रकाश डाल कहा कि कार्य क्षमता,विनम्रता और सरल सहजता आपकी पहचान है सचिव ने प्रेस क्लब की ओर से श्री केड़िया के स्वस्थ और शतायु होने की कामना कर श्री फल और शाल से उनका सम्मान किया। इससे पूर्व श्री केड़िया,प्रेस क्लब अध्यक्ष तिलक राज सलूजा व अन्य अथितियों ने पौधारोपण किया जिसके बाद बजरंग केड़िया का सम्मान और अंतिम में परिसंवाद पर चर्चा की गई।
केड़िया जी मेरे बड़े भाई..पाठक..पत्रकारिता का नया दौर और चुनौतियां पर परिसंवाद की शुरुआत विनय पाठक पूर्व अध्यक्ष राज भाषा आयोग ने की उन्होंने श्री केड़िया को अपना बड़ा भाई बताया और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के 80 वे जन्मदिन की तर्ज पर इस आयोजन को सहस्त्र चंद्र दर्शन की उपाधि दी उन्होंने श्री केड़िया के साथ बिताए बीते पलों को भी याद किया।
खुशी की बात..अग्रवाल..श्री केड़िया के सखा शहर के साहित्यकार द्वारिका अग्रवाल ने इसे बहुत खुशी का पल बताया उन्होंने श्री केड़िया की जीवनी पर बात करते हुए उनके अस्तित्व का संकट सब के बीच साझा किया पुराने दौर की बात कर उन्होंने बताया कि जब श्री केड़िया की बहन की ब्याह था उस वक्त उनकी परिस्थितिया अनुकूल नहीं थी मगर मारवाड़ी की गाड़ी कभी रुकती नही का फंडा श्री केड़िया ने अपनाया और उस दौर को भी पार कर गए। व्यापारी से लेकर पत्रकारिता में आने और कड़ी दर कड़ी एक बड़े बैनर के अखबार के संपादक बनने श्री केड़िया का किस्सा उन्होंने सुनाया।
मेरी सफलता की एक वजह है केड़िया..IAS त्रिवेदी..कायर्क्रम में आईएएस सुशील त्रिवेदी ने भी शिरकत किया श्री केड़िया के जीवन सफर पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि 20 साल पहले वह बिलासपुर के कलेक्टर थे जब एमपी में हार्टीकल्चर का कामकाज देखा तब भी श्री केड़िया से दूरी कम नही हुई उनके प्लाट में आम की बगिया भी सजाने का जिम्मेदारी मेरी थी श्री त्रिवेदी ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयुक्त की कमान संभालने के बाद प्रदेश का चुनाव कराया मगर बिलासपुर की राजनीति अलग ही रही तब श्री केड़िया से चर्चा ही उनका सहारा रहा दोनों के पारिवारिक संबंध होना बता कर उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय श्री केड़िया को दिया वही परिसंवाद को लेकर उन्होंने कहा कि आज के पत्रकारिता के दौर में गांव-गरीब की चिंता छोड़ अब पत्रकारिता चमक की तरफ जा रही हैं उन्होंने अभिव्यक्ति की आजादी का सीधा संबंध आर्थिक व्यवस्था को बताया तो वही अपनी कलेक्टरी के दौरान वरिष्ट पत्रकार ज्ञान अवस्थी और रुद्र अवस्थी की बात कर वरिष्ट पत्रकार निर्मल माणिक द्वारा उनकी खिलाफत के बारे में खबर लिखने पर भी चटखारे लिए।
सवाल पत्रकारिता की विश्वसनीयता का..गोहिल..युवा व वरिष्ट पत्रकार यशवंत गोहिल ने मंच पर आते ही सीधा परिसंवाद पर सब का ध्यान आकर्षित किया उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के दायरे का विकास हुआ तकनीक और मूल्य की बात कर श्री गोहिल ने कहा कि खबरों को रोकना संभव नही है एक नही तो दूसरा नही तो तीसरा और चौथा अखबार उस खबर को लगायेगा वैसे अब तो सोशल मीडिया का जमाना है संसाधन जरूर बढ़ गए है पर संकट पत्रकारिता के विश्वनीयता की है।
आज मौका है आप बीती बताने का..केड़िया..अंतिम में वरिष्ट पत्रकार बजरंग केड़िया ने मंच साझा किया उन्होंने कहा कि मेरा दावा है कि मुझसे ज्यादा मेरे करीबी लोग मुझे जानते है अपनी जिंदगी पत्रकारिता के साथ पठन पाठन में गुजर गई आज मौका है आप बीती बताने का अपनी उम्र का आधा पड़ाव पार कर चुके श्री केड़िया ने जैसे ही बोलना शुरू किया उसी समय तेज बारिश शुरू को गई थी मगर उन्होंने दोगुनी तेजी से अपनी बात रखी पुरानी बातों को याद कर उन्होंने अपनी सफलता की वजह अपनी टीम को दिया व्यवसाई से पत्रकारिता के फील्ड में आने का सवाल अक्सर लोग उनसे पूछते है उन्होंने बताया कि बचपन मे गांव में रहने के दौरान मारवाड़ी वाचनालय के देखरेख का जिम्मा उनके पास आ गया था जहां से किताबों को पढ़ते पढ़ते यहाँ तक पहुचा हु।यादों और शुभकामनाओ को संजो कर रखे कल मैं भी एक इतिहास बन जाऊँगा वही सब का स्नेह देख उन्होंने कहा कि अपने दोस्तों की अहमियत बना कर चलो उन्हें संभाल कर रखो और कभी रूठ जाएं तो मना लो।