IPS डांगी की नक्सलियों के नाम पाती,कहा हथियारों के साथ हिंसा का रास्ता छोड़िये जियो और जीने दो क्योंकि जिंदगी ना मिलेगी दुबारा..

राजनांदगांव. डीआईजी रतन लाल डांगी ने बीजापुर जिले मे माओवादियों द्वारा 10 वीं कक्षा के छात्र की हत्या की खबर पर व्यथित होकर आलेख के माध्यम से नक्सलियों से पूछा

क्या इसी का नाम क्रांति है..

अति माओवाद प्रभावित जिला बीजापुर से खबर आई है की नक्सलियों ने एक 10 वीं कक्षा में पढने वाले नौजवान आदिवासी बालक की जंगल क्षेत्र में कंगारू कोर्ट लगाकर पीट पीट कर हत्या करके शव को भी जला दिया गया है।परिवार जनों व ग्रामीणों को भी धमकी दी गई है कि वो पुलिस को खबर करेंगे तो उनका भी अंजाम बुरा होगा।
कुछ माह पूर्व भी सुकमा जिले में भी एक नौजवान बालक की हत्या भी इसलिए कर दी गई कि वो शहर में जाकर हास्टल मे रहकर अपना व आदिवासी भाईयों कि भविष्य सुनहरा बनाना चाहता था।लेकिन नक्सली बहुत पहले से ही शिक्षित युवाओं को अपना दुश्मन समझते रहें हैं।
आदिवासियों को शिक्षा से वंचित करने पहले तो अंदरूनी क्षेत्रों मे स्कूलों को बम लगाकर ब्लास्ट कर दिए।फिर भी कोई युवा गांव से बाहर रहकर पढाई करने जाते हैं तो नक्सली उस बालक को वापस बुलाने के लिए परिवारजनों पर दबाव बनाते हैं।फिर भी कोई छात्र नहीं आता है तो नक्सली सदस्य उसके घर आने का लगातार इंतजार करते हैं।जब कभी छात्र अपने गांव लौटता है तो वो उसका अपहरण करके घने जंगल में ले जाकर अन्य ग्रामीणों के सामने बेरहमी से मौत के घाट उतार देतें है।जिससे भविष्य में कोई बालक पढ़ने के बारे में सोचने की भी हिम्मत न करें।
यही रणनीति अपनाकर नक्सली आदिवासी समाज के लोगों को शिक्षा ग्रहण करने से वंचित रखने मे सफल हो जा रहे है।नक्सलियों का मानना है कि एक शिक्षित आदिवासी उनके आंदोलन के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
एक तरफ कहते हैं कि वो आदिवासी जनता के अधिकारों के लिए सशस्त्र क्रांति को जायज ठहराने की कोशिश करते हैं लेकिन दूसरी तरफ शिक्षित आदिवासी युवाओं को ही मौत के घाट उतार रहें हैं।
जब आदिवासी युवा ही नहीं बचेगा तो यह अधिकार किसके काम आएंगे।
हिंसा का रास्ता छोड़िए, हथियारों सहित आकर अच्छी जिन्दगी जियो और जीने दो।
जिन्दगी नहीं मिलेगी दुबारा।

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