‘विजया पाठक’
मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ के जनसम्पर्क आयुक्त इन दिनों चर्चाओं में हैं। मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क आयुक्त पी. नरहरि जहां अपनी नाकामियों के लिए चर्चाओं में हैं वहीं छत्तीसगढ़ के जनसम्पर्क आयुक्त तारण प्रकाश सिन्हा अपनी खूबियों से तारीफें पा रहे हैं। ये दोनों अफसर सरकार के प्रमुख पदों पर आसीन हैं क्योंकि सरकार की सफलता और विफलता का प्रचार-प्रसार का जिम्मा इनके जिम्मे है, लेकिन मध्यप्रदेश के जनसम्पर्क आयुक्त सरकार की लुटिया डुबोने में लगे हुए हैं।
इतिहास में पहला ऐसा अफसर है जो सरकार के महत्वपूर्ण विभाग में आसीन है जिसने पिछले 10 माह में मीडिया की नजरों में कमलनाथ सरकार का पलीता लगा दिया है। इसके पहले के जनसम्पर्क आयुक्ते रहे मनोज श्रीवास्तव, राकेश श्रीवास्तव जैसे तमाम अफसरों ने जनसम्पर्क को बखूबी चलाया है। खासकर सरकार और सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री की छवि को धूमिल नही होने दिया। जहां तक कि जब भी मीडिया में सरकार के विरूद्ध माहौल बनता था ये अफसर अपनी काबिलियत से साध लेते थे, सरकार को आंच नही आने देते थे। इस तरह का कार्य वर्तमान में छत्तीेसगढ़ के जनसम्पंर्क आयुक्त कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के आयुक्त सरकार और मुख्यमंत्री की चिंता रहती है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ की मीडिया में सरकार के विरूद्ध कुछ भी प्रकाशित नही होता है। उनके पास मीडिया से मिलने का समय भी है और मीडिया संस्थांनों की परेशानियों को हल करने का ज्ञान भी है।
यह बात सत्य है कि जब तक प्रचार-प्रसार का सशक्त और प्रभावी माध्यम जनसम्पर्क में माहौल ठीक नही रहेगा, तब तक सरकार कितनी भी अच्छी योजनाएं बना ले, उनका लाभ जमीनी स्तर तक नहीं पहुँच सकता। इसलिए जरूरी है कि मध्यप्रदेश सरकार को सबसे पहले जनसम्पर्क सुधारना होगा और यहां के प्रमुख को सुधारना होगा। ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन जनसम्पर्क आयुक्त के कारण मध्यप्रदेश की सरकार को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।