‘विजया पाठक’
छिंदवाड़ा से विधानसभा निर्वाचन के लिए सीएम कमलनाथ ने नामांकन दाखिल किया था। नामांकन में कॉलम ए में किसी प्रकार की एफआईआर होने के कॉलम में नहीं अंकित किया था। जबकि कमलनाथ पर मामला दर्ज है। यह मामला व्यापमं के प्रकरण में अदालत के निर्देश पर राजधानी के श्यामला हिल्स थाने में 420,467,471,120बी के तहत दर्ज है।
यह मामला नवंबर 2018 का है मामला काफी संगीन है क्योंकि इस तरह की जानकारी छिपाना संगीन माना जाता है। उस समय प्रदेश भाजपा ने इस मामले को भी उठाया था। इस मामले के उजागर होने के बाद सीएम कमलनाथ के उपर लगे आरोपों की फेहरिस्त में एक मामला और जुड़ गया है। वैसे भी इन पर गैर कानूनी और अपराध के इतने मामले दर्ज हैं कि छोटे-मोटे अपराधों को तो गिना ही नहीं जाता है। लेकिन सवाल उठता है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के नाते नामांकन में गलत जानकारी देना और किसी जानकारी को छुपाना कहां तक न्यायोचित है।
कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ निर्वाचन आयोग को भी इन पर कार्रवाई की जानी चाहिए। यह भी सच है कि प्रत्येक चुनाव में इस तरह के दर्जनों मामले सामने आते हैं लेकिन देर सबेर उन पर कार्रवाई भी होती है। यहां सीएम का मामला होने के कारण इसे दबा दिया गया है। जहां तक सीएम कमलनाथ की बात की जाए तो विवादों और अपराधों से इनका गहरा नाता रहा है। ताजा मामला तो 1984 के सिख दंगों का है। इस मामले में कमलनाथ को दोषी माना गया है। मामले की जांच चल रही है और बहुत जल्द कार्रवाई भी होगी। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में बने कमलनाथ के रिसोर्ट के निर्माण में भी कई कानूनी अनियमितताएं सामने आई हैं। अब कांग्रेस हाईकमान को सोचना है कि वह कमलनाथ की कारगुजारियों को कहां और कब तक झेलती है और एक मुख्यमंत्री के कारण पार्टी बदनामी का दाग लेकर कब तक चलती है।