बिलासपुर. पहले एक्सीडेंट फिर थाने में शिकायत उसके बाद जो हुआ उससे पूरा गांव आक्रोशित हो गया। बिल्हा थाना अंतर्गत भैंसगोड़ से एक युवक के आत्महत्या के बाद बड़ा बवाल खड़ा हो गया। इस घटना में बिल्हा पुलिस पर मारपीट और रकम की मांग करने का गंभीर आरोप लगा है इधर गांव के युवक की मौत से गुस्साए समाज के लोगों और आप पार्टी के नेताओ ने मंगलवार की दोपहर से देर रात तक थाने में बैठे रहे, कुछ देर का चक्काजाम भी किया गया था। मामले की गंभीरता को भांपते हुए एडिशनल एसपी पुलिस बल के साथ मौके पर डटे रहे तो वही एसएसपी ने घटना की वजह बने एक आरक्षक को पहले लाइन अटैच किया उसके बाद भी पुलिस की फजीहत कम नही हुई तो उक्त आरक्षक को सस्पेंड करने का फरमान जारी कर दिया है।
मिली जानकारी के अनुसार बिल्हा भैंसगोड़ निवासी हरिश्चंद्र गेंदले अपनी बाइक से में जा रहा था। इसी बीच उसका एक छात्रा के साथ एक्सीडेंट हो गया था। युवती ने घटना की शिकायत बिल्हा थाने में कर दी। आरोप है कि पुलिस हरिश्चंद्र घर गई थी। लेकिन युवक नही मिला तो उसके पिता को पुलिस थाने ले आई और मारपीट की, जब इस बात का पता युवक को चला तो वह भी थाने पहुंच गया और पिता को मार खाते देख युवक मना करने लगा।। फिर भी आरक्षक रूपलाल चंद्रा नही माना तो क्षुब्ध होकर हरिश्चंद्र ने ट्रेन के सामने कूदकर अपनी जान दे दी। आत्महत्या की खबर गांव में आग की तरह फैल गई। जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने थाने का घेराव कर दिया। मामले में समाज के प्रमुख और आप पार्टी मांग को लेकर बिल्हा पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कुछ देर के लिए चक्काजाम भी कर दिया था।
देर रात तक डटे रहे समाज के लोग.
मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को आरक्षक चंद्रा की वजह से दिन से लेकर रात तीन बजे तक जिला पुलिस की फजीहत होती रही। नीचे से लेकर ऊपर तक पुलिस अफसरों के सिर का दर्द बनी बिल्हा पुलिस के कामकाज को लेकर मृतक के समाज के लोगो ने पैसे के लेनदेन और मारपीट करने का गंभीर आरोप लगा पुलिस को कटघरे में खड़ा किया।
एक तरफ एडिशनल एसपी ग्रामीण राहुल देव शर्मा पुलिस बल के साथ आक्रोशित लोगों के मान मनौव्वल में भिड़े रहे तो वही समाज के लोग पुलिस के सामने डटे रहे, देर शाम एसएसपी पारूल माथुर ने आरक्षक रूपलाल चंद्रा को लाइन अटैच कर दिया, लेकिन इसके बाद भी समाज के लोग नही माने और देर रात करीब तीन बजे तक बिल्हा थाना परिसर में बैठे रहे। इस पूरे मामले की जांच के लिए एसएसपी ने जांच टीम का गठन कर दिया है और आरक्षक चंद्रा को सस्पेंड कर दिया है।
बारह साल बाद फिर उबला बिल्हा विस.
इस घटना ने एक बार फिर बिल्हा में बारह साल पहले अक्टूबर 2010 में पुलिस की मारपीट से हुई बिलासपुर के तेलीपारा निवासी सतीश श्रीवास उर्फ तन्नू की दुःखद मौत की घटना की याद को ताजा कर दिया है।उस वक्त भी बिल्हा पुलिस पर आरोप लगा था कि शनिचरी स्थित महेश साउंड के संचालक तन्नू की साउंड सिस्टम को लेकर पुलिस से विवाद हुआ था और तत्कालीन टीआई आलोक दत्ता और उनके थाना स्टाफ ने तन्नू की रातभर जमकर पिटाई की जिससे उसकी मौत हो गई थी,घटना के दूसरे दिन सुबह तन्नू की लाश रेलवे ट्रैक पर पड़ी मिली थी। इस घटना में भी बिल्हा पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर आरोप लगें थे और बिल्हा विधानसभा लोगो के गुस्से से खूब उबला था वही इस मामले में भी खूब राजनीति हुई और हासिल आई शून्य की तर्ज पर मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
थाना इंचार्ज की भूमिका पर उठ रहे सवाल.
बिल्हा में हुए बवाल के बाद टीआई अंजना केरकेट्टा की भूमिका पर भी लोग बड़े सवाल खड़े कर रहे हैं।चर्चा है की क्या आरक्षक चंद्रा को सस्पेंड करने से बिल्हा पुलिस पर लगा धूल जाएगा। आखिर थाना प्रभारी की भी कोई जिम्मेदार तय होनी चाहिए, बताया जा रहा है कि बिल्हा थाने आरक्षक चंद्रा के इशारे के बिना एक चिड़िया भी नही बैठ सकती थी। टीआई का सिपा सलाहकार आरक्षक किसके कहने पर इतना बड़ा कदम उठाया होगा। बिना टीआई की जानकारी के इतना बखेड़ा आखिर कैसे खड़ा हो गया वही सूत्रों की माने तो टीआई केरकेट्टा पर भी देर से सही कार्रवाई की गाज गिर सकती है।
घटना दो दिन पुरानी.
मिल रही जानकारी के अनुसार घटना सोमवार की है जिस छात्रा से मृतक का एक्सीडेंट हुआ था वह नाबालिक है। घटना के बाद एक्सीडेंट की थाने में शिकायत की गई थी। वही आरक्षक चंद्रा ने युवक की खोजबीन करते उसके घर तक गया और उसके पिता को थाने ले आया था। कुछ देर बाद मृतक भी थाने पहुंच गया था पुलिस की माने तो बवाल के बीच पुलिस ने थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे के सारे फुटेज चेक कर लिए और आक्रोशित लोगों को भी दिखाया। जिसमें कहीं पर मारपीट करने या पैसे के लेनदेन की कोई बात सामने नहीं आई है।