रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023 (CG assembly elections 2023) के लिए मतगणना (chhattisgarh-election-results-2023) शुरू हो गई है. सत्ता के सिंहासन पर कौन बैठेगा, किसका भाग्य चमकेगा, किसे कुर्सी मिलेगी इसका फैसला चंद घंटों में हो जाएगा. जैसे-जैसे वोटों की गिनती हो रही है, उम्मीदवारों धड़कनें बढ़ रही है. जनता का फैसला किसे अपना नेतृत्व देगी इसका इंतजार सभी को है. इस ऊहापोह की स्थिति के बीच एक फैक्टर ये भी है कि हाईप्रोफाइल सीटों के अलावा जनता ये भी जानना चाहती है कि चुनावी मैदान में उतरे मंत्रियों की क्या स्थिति है. सबकी निगाहें प्रदेश के उन 13 मंत्रियों पर भी हैं जिन्होंने दोबारा अपनी किस्मत आजमानें के लिए मैदान में ताल ठोकी है.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (पाटन)
छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभाओं में सबसे चर्चित सीट इस बार पाटन (Patan) है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) यहां से चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में इस सीट का चर्चित होना स्वाभाविक है. ये सीट और ज्यादा इसलिए भी हाइलाइट है, क्योंकि भाजपा ने यहां से सीएम के खिलाफ दुर्ग सांसद विजय बघेल को मैदान में उतारा है. सीएम भूपेश और सांसद विजय में चाचा-भतीजे का नाता है. लिहाजा इस सीट पर चाचा और भतीजे के बीच मुकाबला है. बता दें कि 2018 में भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) को कुल 84,352 वोट मिले थे. वहीं उनके खिलाफ खड़े भाजपा के मोतीलाल साहू को 56,875 वोट मिले थे. भूपेश बघेल ने 27,477 वोटों से जीत दर्ज की थी.
उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव (अंबिकापुर)
अंबिकापुर (Ambikapur) विधानसभा सीट पर 2008 से कांग्रेस का दबदबा बरकरार है. प्रदेश के उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) यहां से उम्मीदवार हैं. सरगुजा राजपरिवार से आने वाले टीएस बाबा की अंबिकापुर में पकड़ मजबूत मानी जाती है. भाजपा ने यहां से राजेश अग्रवाल को सिंहदेव के खिलाफ खड़ा किया है. 2018 चुनाव की बात की जाए तो अंबिकापुर में कांग्रेस के टीएस सिंहदेव (TS Singhdeo) ने तीसरी बार 100439 वोटों से जीत दर्ज की थी. टीएस देव ने अनुराग सिंह देव को 39624 वोट से हराया था.
ताम्रध्वज साहू (दुर्ग ग्रामीण)
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा (Durg rural) राज्य की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है. प्रदेश सरकार में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू (Tamradhwaj Sahu) यहां से आते हैं. इस बार भी पार्टी ने फिर उन्हें मौका दिया है. दुर्ग ग्रामीण सीट से 2018 विधानसभा चुनाव में ताम्रध्वज साहू को 76,208 वोट मिले थे. वहीं भाजपा के जागेश्वर साहू को 49,096 वोट मिला था. ताम्रध्वज साहू (Tamradhwaj Sahu) ने 27,112 वोटों से जीत हासिल की थी. इस बार भाजपा ने यहां से ललित चंद्राकर को टिकट दिया है.
रविंद्र चौबे (साजा)
साजा (Saja) विधानसभा बेमेतरा जिले की महत्वपूर्ण सीट है. ये प्रदेश के शिक्षा मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता रविंद्र चौबे (Ravindra Choubey) की सीट है. वे यहां से लगातार चुनाव लड़ते रहे हैं. 2018 में रवीन्द्र चैबे ने बीजेपी उम्मीदवार लाभचंद बाफना को हराया था. 2018 में यहां कुल 79.8 प्रतिशत मतदान हुआ था. इस चुनाव में रवीन्द्र चौबे (Ravindra Choubey) ने लाभचंद बाफना को 31535 वोटों से हराया था. जो कि कुल वोट का 17.6 प्रतिशत था. इस बार भाजपा ने यहां से इश्वर साहू को उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि बीते महीनों ये सीट बिरनपुर घटना को लेकर चर्चा में थी.
मोहम्मद अकबर (कवर्धा)
कबीरधाम जिले का जिला मुख्यालय होने की वजह से कवर्धा (Kawardha) सीट काफी चर्चित सीट है. 2018 में कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद अकबर (Mohammad Akbar) ने बीजेपी के अशोक साहू को हराया था. पिछले चुनाव में यहां 82.2% वोटिंग हुई थी. जिसमें मोहम्मद अकबर (Mohammad Akbar) ने अशोक साहू को 24.7% वोटों के मार्जिन (59284 वोटों से) से हराया था. ये सीट हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह का गृहग्राम है. उन्होंने अपना पहला चुनाव कवर्धा से ही लड़ा था. वे यहां से विधायक रह चुके हैं. इस बार भाजपा ने यहां से विजय शर्मा को मौका दिया है.
कवासी लखमा (कोंटा)
छत्तीसगढ़ का अंतिम विधानसभा कोंटा (Konta) हमेशा से ही चर्चा में रहा है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने की वजह से भी यह सीट चर्चा में रहती है. यह क्षेत्र सुकमा (Sukma) जिले में आता है. यह क्षेत्र आबकारी मंत्री कवासी लखमा (Kawasi Lakhma) का है. कोन्टा (ST) विधानसभा सीट से साल 2018 में कांग्रेस (Congress) उम्मीदवार कवासी लखमा की जीत हुई थी. वे यहां से कई बार विधायक चुनकर आए हैं. 2018 में लखमा (Kawasi Lakhma) ने बीजेपी उम्मीदवार धनीराम बारसे को हराया था. यहां 2018 में 52.6 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इस चुनाव में लखमा ने धनीराम बारसे को 6709 वोटों से मात दी थी. इस बार भाजपा ने यहां से सोयम मुका को प्रत्याशी बनाया है. साथ ही यहां सीपीआई नेता मनीष कुंजाम भी मैदान में हैं. जिससे यहां त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है.
शिव कुमार डहरिया (आरंग)
रायपुर जिले की महत्वपूर्ण सीटों में से एक आरंग (Aarang) सीट में इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है. प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री शिव कुमार डहरिया (Shiv Kumar Dahria) यहां से वर्तमान विधायक हैं. आरंग (SC) विधानसभा सीट से साल 2018 में शिवकुमार डहरिया ने बीजेपी उम्मीदवार संजय ढीढी को हराया था. पिछले चुनाव में यहां 76.1 प्रतिशत मतदान हुआ था. 2018 में डहरिया ने संजय ढीढी को 25077 वोटों से हराया था. इस यहां कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है. भाजपा ने यहां गुरु खुशवंत सिंह को उम्मीदवार बनाया है. जो कि सतनामी समाज के गुरु हैं. चूंकि शिव डहरिया भी इसी समाज से आते हैं, इस लिहाज से यहां का मुकाबला भी देखने लायक है.
अनिला भेड़िया (डौंडीलोहारा)
बालोद जिले की डौंडीलोहारा सीट (Daundi Lohara) अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है. डौंडीलोहारा सीट में 2018 में कांग्रेस की जीत हुई थी. महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया (Anila Bhendia) यहां से वर्तमान में विधायक हैं. कांग्रेस उम्मीदवार अनिला भेंड़िया (Anila Bhendia) ने बीजेपी के लाल महेंद्र सिंह टेकाम को हराया था. यहां 78.9 प्रतिशत वोट पड़े थे. अनिला भेंड़िया ने लाल महेंद्र सिंह टेकाम को 20.5% वोटों के अंतर से यानी 33103 वोटों से हराया था. इस बार भाजपा ने यहां से देवलाल ठाकुर को मैदान में उतारा है.
जयसिंह अग्रवाल (कोरबा)
कोरबा (Korba) सीट अनारक्षित सीट है. यह कोरबा का जिला मुख्यालय भी है. प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल (Jaisingh Agarwal) यहां से वर्तमान विधायक हैं. 2018 में कांग्रेस उम्मीदवार जयसिंह अग्रवाल ने बीजेपी उम्मीदवार विकास महतो को हराया था. यहां 71.1 प्रतिशत मतदान हुआ था. जयसिंह अग्रवाल (Jaisingh Agarwal) ने विकास महतो को 11806 वोटों से से हराया था. इस बार भाजपा ने यहां से लखन देवांगन को मौका दिया है.
गुरु रुद्र कुमार (नवागढ़)
नवागढ़ (Nawagarh) सीट बेमेतरा जिले में आती है. जो कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. वर्तमान में कांग्रेस के गुरुदयाल बंजारे यहां से विधायक हैं. लेकिन इस बार पार्टी ने यहां से प्रदेश के पीएचई मंत्री गुरु रुद्र कुमार (Guru Rudra Kumar) को टिकट दी है. रुद्र गुरु सतनामी समाज के गुरु हैं और समाज का बड़ा चेहरा हैं. 2018 में कांग्रेस के गुरुदयाल सिंह बंजारे ने बीजेपी उम्मीदवार पूर्व मंत्री दयालदास बघेल को हराया था. 2018 में यहां 72.2 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. गुरुदयाल सिंह बंजारे ने दयालदास बघेल को 33200 वोटों से हराया था. इस बार भाजपा ने यहां से पूर्व मंत्री और पिछले बार के प्रत्याशी दयालदास बघेल पर फिर से भरोसा जताया है.
उमेश पटेल (खरसिया)
खरसिया विधानसभा सीट (Kharsia) रायगढ़ जिले की महत्वपूर्ण सीट है. जो कि अनारक्षित है. लंबे समय से ये कांग्रेस का अभेद किला बना हुआ है. प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल (Umesh Patel) यहां से वर्तमान विधायक हैं. 2018 में उमेश पटेल ने बीजेपी के ओपी चौधरी को हराया था. 2018 में यहां 86.3 फीसदी वोटिंग हुई थी. उमेश पटेल (Umesh Patel) ने ओपी चौधरी को 16967 वोटों से हराया था. इस बार भाजपा ने यहां से महेश साहू को प्रत्याशी बनाया है.
अमरजीत भगत (सीतापुर)
सरगुजा की सीतापुर (Sitapur) विधानसभा सीट खास सीटों मे से एक है. यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. खाद्य मंत्री अमरजीत भगत (Amarjeet Bhagat) यहां से वर्तमान विधायक हैं. 2018 में अमरजीत भगत ने भाजपा प्रत्याशी प्रोफेसर गोपाल राम को हराया था. पिछले चुनाव में यहां 78.5 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. अमरजीत भगत (Amarjeet Bhagat) ने प्रोफेसर गोपाल राम को 36137 वोटों से हराया था. इस बार अमरजीत भगत के खिलाफ भाजपा ने राम कुमार टोप्पो को उम्मीदवार बनाया है.
मोहन मरकाम (कोंडागांव)
कोण्डागांव सीट (Kondagaon) अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. प्रदेश के आदिम जाति कल्याण मंत्री मोहन मरकाम (Mohan Markam) यहां से वर्तमान विधायक हैं. 2018 में मोहन मरकाम ने बीजेपी की लता उसेंडी को हराया था. यहां 80.7 प्रतिशत मतदान हुआ था. मोहन मरकाम (Mohan Markam) ने लता उसेंडी को 1796 वोटों से हराया था. इस बार भाजपा ने यहां से फिर से लता उसेंडी पर भरोसा जताया है.