चंडीगढ़. साध्वियों से बलात्कार और पत्रकार हत्याकांड में रोहतक की सुनारिया जेल में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने कहा है कि राम रहीम को फरलो या पैरोल देने का निर्णय हरियाणा सरकार नियमों के तहत लेगी। यह आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एस.जी.पी.सी.) द्वारा दायर याचिका डिस्पोज ऑफ कर दी है। याचिका में डेरा प्रमुख को पैरोल या फरलो पर रिहा न करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार ऐसे मुद्दों पर निर्णय लेने में सक्षम है। हरियाणा सरकार पहले ही हाईकोर्ट को बता चुकी है कि डेरा प्रमुख संवैधानिक नियमों के तहत पैरोल और फरलो के हकदार हैं। इससे एक दिन पहले वीरवार को प्रमुख गुरमीत राम रहीम की 21 दिन की फरलो की मांग पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
किसी भी बंदी को उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता.
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल खेत्रपाल की डबल बैंच ने कहा कि किसी भी व्यक्ति जो बंदी है, उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता। एस.जी.पी.सी. ने यह याचिका डेरा प्रमुख को 50 दिन की पैरोल देने के बाद दाखिल की थी। इसी मामले में डेरा प्रमुख ने हाईकोर्ट से 21 दिन की फरलो देने के निर्देश देने की मांग की थी, ताकि वह इस अवधि के दौरान जेल से बाहर रहकर कल्याणकारी गतिविधियां में शिरकत कर सकें। फरलो पर रिहाई की मांग करते हुए दाखिल हुई अर्जी में कहा गया था कि उसे डेरे के कार्यक्रमों में शामिल होना है। याची की ओर से तर्क दिया गया है कि राज्य ने पहले ही 89 ऐसे दोषियों को पैरोल और फरलो प्रदान किया है, जिन्हें आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले 3 या अधिक मामलों में दोषी ठहराया गया है और सजा सुनाई गई है। हाईकोर्ट ने 7 अप्रैल, 2022 के अपने आदेश में फैसला किया था कि डेरा प्रमुख कट्टर अपराधी की श्रेणी में नहीं आते। हाईकोर्ट को यह भी बताया गया कि हरियाणा अस्थायी रिहाई अधिनियम 2022 के तहत पात्र दोषियों को हर साल 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिया गया है। डेरा प्रमुख की 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो पहले से ही विचाराधीन है।
हाईकोर्ट की अनुमति के बिना पैरोल देने पर लगाई थी रोक.
राम रहीम को बार-बार पैरोल मिलने के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। सरकार से यह भी पूछा गया था कितने कैदियों को अधिनियम के तहत पैरोल और फरलो दी जाती है। इसी के साथ आदेश दिया था कि हरियाणा सरकार हाईकोर्ट की अनुमति के बगैर राम रहीम को पैरोल और फरलो नहीं देगी।
हरियाणा में दो महीने बाद विधानसभा चुनाव, पैरोल पर भाजपा सरकार की नजर.
हरियाणा में दो महीने बाद ही विधानसभा चुनाव है। हरियाणा की कई सीटों पर डेरे का प्रभाव रहा है। इस बार भी डेरे ने भाजपा को समर्थन देने का ऐलान किया था। ऐसे में राम रहीम की पैराेल पर हरियाणा की भाजपा सरकार की भी नजर है। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद राम रहीम की पैरोल या फरलो देना हरियाणा सरकार के हाथ में रहेगा। अगर उसे नियमों के तहत पैरोल मिलती है तो यह भाजपा सरकार के लिए विधानसभा चुनाव में फायदेमंद साबित हो सकती है।
(सोर्स)