‘मुंहफट’

‘रवि शुक्ला’

बांसुरी और आईपीएस..

घोर नक्सली इलाके यानी खून खराबे की जगह जहा कम से कम पुलिस वालों का सांस लेना भी मुश्किल हो, वहां उनका मुखिया बांसुरी का दीवाना हो तो फिर क्या कहने।बेकार में लोग बोलते है कि दुनिया जल रही है और नीरो बांसुरी बजा रहा है।

संगीत के फायदे पुलिस कप्तान से बेहतर कप्तान से बेहतर कोई नहीं समझ सकता तभी तो रोज सुबह जैसे ही अर्दली को बांसुरी बजाने का इशारा मिलता वह शुरू हो जाता तो कप्तान साहब 10 से 15 मिनिट तक सुध बुध खोकर मगन हो जाते है। भई ऐसे अशांत इलाके में शांत और ध्यानमग्न रहने का इससे बेहतर तरीका कुछ और नही हो सकता। युवा आईपीएस का नया बैच है और पहली कप्तानी की पोस्टिंग बस्तर के एक जिले में, ऐसे में बांसुरी के संगीत से बड़ा और कौन साथी हो सकता है।

पुलिस से नागा हारे..

वो कहावत है न कि नंगे से खुदा हारे, लेकिन अपने शहर में तो पुलिस से नागा हारे, सोचो अपने शहर की पुलिस कितनी महान है। सरेआम नागा बाबा से मारपीट की इधर दुनिया के सीसीटीवी फुटेज को देखने वाली पुलिस अपने थाने का पूरा फुटेज नही दिखा पा रही है।

बाबा के सवा लाख का माल किसी ने डकार लिया। थक हार कर लुटे पीटे नागा बाबा ने पुलिस को माफ भी कर दिया वो भी इस उम्मीद में की किसी तरह नागा बाबा के अखाड़े के कागजात भर लौट दे वो भी पुलिस नही कर पाई तो क्या करे बेचारा नागा बाबा।

तहसीलदार के पौ बारह..

कहते हैं दिया बुझते से पहले भभकता जरूरी है। सुनाई में आ रहा है कि जिले के एक गड़बेल तहसीलदार का तबादला होने वाला है या कहे महाशय निपटने वाले है। उनकी रवानगी कब होगी यह तो पता नही पर जाने से पहले तहसीलदार के आतंक की दास्तां किसी से छुपी नही है। जिसकी नही उसकी जमीन पर उंगली,धन लक्ष्मी के बिना तो बड़े-बड़े लोगो से बात करना पंसद नही करते।

भगवान जाने कौन सा जैक लगा कि आए है जिसके कारण उन्हें बड़े अफसर भी बोलने से कतराते हैं, वैसे इन तहसीलदार के तबादले की चर्चा आम और खास के साथ तहसील कार्यालय के भीतर भी चल रही है। अब सोचो इतने बड़े वाले को निपटा के जो तहसीलदार आ रहे हैं वो न जाने कितने बड़े धुरंधर होंगे। अब कांग्रेस की सरकार है भुगतना तो पड़ेगा ही आलम तो ये है कि राजस्व विभाग में आम के आम गुठलियों के दाम भी लगने लगे हैं।

फिर जुए का शोर..

सौ दिन चले अढ़ाई कोस,,बिल्कुल यही हो रहा है जिले में पुलिस विभाग में एक बड़े अफसर के आते ही अचानक कुछ चर्चित जुए के अड्डे बंद हो गए और नालदार अपना ठिकाना छोड़ कही न कही बिदक लिए। हाईवे रोड़ पर स्थित जुए का फड़ हो या इंड्रस्टीलय एरिया के थाना क्षेत्र का कुलमिलाकर देहात तक खबर पहुची और फड़ बंद करा दिया गया। इधर मातहतों की नजरें लगी रही कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। खैर अब एक बार फिर जुए का फड़ जोरो से शुरू हो गया है ऐसी चर्चा है कि वही कोतवाली थाना क्षेत्र का नामी जुआरी इंड्रस्टीलय एरिया कवर कर रहा है तो वही वीआईपी इलाके के थाना क्षेत्र में भी जुए की महफिल सज रही है।

इस बार सेटिंग जरा तगड़ी है तभी तो वीआईपी थाना इलाके के साथ शहर के बीच का जुआरी फिर से जुआरियों की महफिल सजा रहा है। बेचारे देहात और छोटे नालदार इंतजार में लगे है कि कब ऊपर से फरमान आए और माल सेट कर बावन परियों का कारोबार शुरू हो।

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