“मुंहफट”

‘रवि शुक्ला’

पूर्व मंत्री का जोड़ा सुरक्षित..

कोरोना बड़ी बुरी चीज है। इस वायरस ने आव देखा न ताव अपने नगर के लाल और लाली (पूर्व मंत्री की मंत्राणी) को ही लपक लिया, बेचारे क्या करते भागे अपोलो अस्पताल पहुंचे। वैसे तो यहां आम आदमी के लिए नो बेड की तख्ती लगी है लेकिन पूर्व स्वास्थ मंत्री को कैसे अपोलो दरवाजे से लौटा देता। आपदा में अवसर से अपोलो वाले तो बिल्कुल भी नही चूकते है। दो बेड तत्काल खाली हो गए,अब ये मत पूछना की खाली हो गए या खाली करा दिए गए।

चलो जो हुआ सो हुआ फिलहाल पूर्व मंत्री जोड़ा खतरे से बाहर है। फिर भी रेमडेसेवीर इंजेक्शन खोज ,ढूंढकर ठोकवाया जा रहा है ताकि उन पर महामारी की आंच भी न आने पाए।

अस्पतालों में झोंक दो अफसरशाही..

महामारी भीषण तरीके से फैल रही है,क्या करे हेल्थ वर्कर्स और पुलिस वाला अपनी जान बचाए या दूसरों के जान की परवाह करें। अरे सरकार के बड़े-बड़े ताहूतदारो ने लोगो को उनके हाल पर छोड़ दिया है तो अदना सा सिपाही या वार्ड बॉय क्या दुनिया बदल लेगा। समझ में ये नही आता कि केंद्र व राज्य की सरकारें अंधी और भैरी क्यों हो गई है।

सारे दफ्तर बंद है और आईएएस-आईपीएस,डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार घर में बैठकर मोटी तनख्वाह खा रहे हैं।

निकालो न इनको भी फील्ड में एक-एक आईएएस एक-एक आईपीएस ,डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदारो को लगा दो एक-एक अस्पतालों में फिर देखो व्यवस्था कैसे नही सुधरती है। तब इन्हें महामारी की असली दर्द समझ आएगा। वैसे ड्यूटी तो लगी है खास कर जिला प्रशासन के अफसरों की लेकिन वो भी बस कागजों में जिसमें सब का पद नाम और बकायदा मोबाइल नम्बर भी दिया गया है। मगर फील्ड में दिखते कोई नहीं है ये सूची सिर्फ अधिकारियों के ही वट्सप ग्रुप में घूम रही है। इधर कड़ी धूप के साथ बीच रोड़ में लॉक डाउन की चर्चा के बाद जिले के पुलिस कप्तान को हल्की हरारत लग रही है तो वही करीब 40 से अधिक मातहत कोरोना की चपेट में आ गए है फिर भी अदने कर्मचारी ड्यूटी बजा रहे हैं।

सिविल लाइन मीठा जहर..

जिले का सिविल लाइन थाना एक मीठे जहर की तरह हो गया है। किसी को सूट करता है तो महंगी मिठाई की तरह और जिसे रिएक्शन किया उसके लिए आफत है। इसलिए तो लंबे अंतराल के बाद भी एक बार फिर टीआई स्वर्णकार को यहां के मीठे का स्वाद मिल गया। 7 माह हुआ नही की वापस सिविल लाइन की परसी हुई थाली मिल गई।

बेचारे टीआई रात्रे करीब 6 माह में ही देहात निकल लिए अब इसे अपनी-अपनी तकदीर समझो या अपना-अपना जुगाड़, बड़ा थाना है सारे दफ्तर, अफसर और जजेस थाने के अंतर्गत आते हैं। उसे चलाना वैसे भी आसान नही तेज तर्रार अफसर ही इसे सक सकता है। राम भला करे स्वर्णकार जी का,वैसे इस तबादले को लेकर विभाग के अलावा कई जगह अलग-अलग तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म है।

अफसरी जिंदाबाद..

लॉक डाउन के पहले जनता बाजारों पर टूट पड़ी ऐसे की दीपावली की खरीदारी करने जा रही हो, अब जनता को ही क्या दोष दे,लॉक डाउन से पहले दीपावली की तरह रसद पहुचाने की नई परंपरा शुरू हो गई है। बेचारे मातहत दीपावली में तो साहबों के फल,फूल और मीठा पहुचाया करते है।

अब तो लॉक डाउन में किराना, पीने खाने की हर चीज और खास कर नवरात्रि को ध्यान में रख पेटी पैक सभी प्रकार के फल लेकर जाने नई रीति रिवाज शुरू हो गई है। ये दूसरा लॉक डाउन है जब ऐसा करना पड़ रहा है भला हो लॉक डाउन का अफसरी जिंदाबाद..

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