‘रवि शुक्ला’
जेल का खेल और सरकार बेखबर..
लगता है जेल का खेल सरकार समझ नहीं पा रही है,जेल तो ऐसा है कि हर माह लाखों का वारे न्यारे हो जाएं। मगर पता नहीं क्यों सरकार के कारिंदे इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। जेल सुपरिटेंडेंट को रिटायर हुए 5 माह से अधिक हो गया। अभी तक नई पोस्टिंग नहीं की गई है प्रभार वाद में सिस्टम चल रहा है।
लेकिन आखिर कब तक वैसे भ्रष्टाचार और कमाई करने वाले लोगों की राय है कि ऐसा ही मौका सबसे शानदार होता है कोई नहीं तो दंडाधिकारी को बिठा दो और दाना,पानी, मोबाइल हर सुविधाओं का शुल्क 4 गुना दाम पर वसूलते जाओ, सब सेट हो जाएगा तो हर माह जेल में 5 लाख से ऊपर का धंधा कहीं नहीं गया हद हो गई इतने बड़े कमाई के धंधे पर सरकार की नजर नहीं जा रही है।
थानेदारों की पौ बारह..
जिले में अभी सबसे ज्यादा अगर चल रही है तो थानेदारों की साइबर हो चाहे कोयला या कबाड़ी,दारुखोरी समेत तमाम काले धंधे थानेदारों की सेटिंग से चल रहा है। गुड गडेरी आन खाए कुकना बपुरा मार खाए की तर्ज पर बेचारे डीएसपी स्तर के अधिकारी अपनी नौकरी चला रहे हैं कोई छोटा मोटा कोयले कबाड़ी का हिस्सा बांटा मिल जाए तो बहुत है बाकी सब तनख्वाह के भरोसे चल रहा है।
ज्यादा कुछ बोल भी नहीं सकते थानेदार पहले बड़े अफसरों का पेट भरे की डीएसपी का दाना पानी दे सब मिलाकर कुछ तो डीएसपी प्रमोशन के इंतजार में हैं ताकि थोड़ा बहुत माल बटोर सके तो वही माह दो माह में दो डीएसपी विभाग को टाटा बाय बाय कर (रिटायर) हो रहे हैं। इनमें एक कि खुराक तो बड़ी अच्छी है तो वही सिंपल सोबर और अपने काम से काम तक मतलब रखने वाले डीएसपी को हाइवे रोड़ के एक थानेदार खुद सारा माल अंदर कर रहे हैं तो डीएसपी को शुरू से ही ओने पौने नहीं निपटा रहे है।
(👆यह नजारा है बिलासपुर के मिट्टी तेल लाइन ‘स्मार्ट सिटी’ कहे जानी वाली रोड़ का ,जो राजेंद्र नगर से बलराम टाकीज और नेहरू नगर को जोड़ती है अब जिला प्रशासन ने इसे सजा सवार तो दिया मगर पाथ वे पर लगे पेड़ पौधों को लोग उखाड़ फेक रहे है ऐसा हो भी क्यो न आखिर निगम अफसरों को इधर झांकने की जो फुर्सत नही )
मंत्रालय से नाराज बड़े साहब..
प्रदेश में पुलिस महकमे के बड़े साहब ने सरकार की इतनी मदद की, तो क्या फायदा हुआ, मंत्रालय वाले अपनी मनमर्जी कर रहे हैं। डीएसपी स्तर के पुलिस अफसरों की डीपीसी को लेकर एक से एक पेच लड़ाए जा रहे हैं। कई डीएसपी स्तर के ऐसे अधिकारी हैं जिनको डीपीसी के दांवपेंच के चलते एडिशनल एसपी बनने का लाभ नहीं मिल पाया, बेचारे रिटायर हो गए कमाना-धामना तो दूर की बात है। एडिशनल एसपी प्रमोट नही हो पाने के मलाल रखने वाले रिटायर्ड डीएसपी अपने जमाने के काफी चर्चित पुलिस अफसर थे।
इनमें कुछ तो सरकार तो कुछ विभाग के बड़े अफसरों के करीबी माने जाते रहे है। दुःख तो इस बात का है कि एक रिटायर्ड डीएसपी तो सरकार के साथ बड़े साहब के भी काफी करीबी थे। जिन्होंने डीपीसी को लेकर एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था मगर असफल रहे अगर सब कुछ उनकी मेहनत के अनुरूप होता तो उनके साथ नए बैच के युवा डीएसपी की एडिशनल एसपी बनने की नैया पार लग जाती खैर विभाग और सरकार के लिए इतना कुछ करने बाद भी हासिल कुछ नही आया।
इधर बड़े साहब ज्यादा सीट मांग रहे हैं और मंत्रालय देने को राजी नहीं बेकार में मंत्रालय फटे में टांग अड़ा रहा और सरकार है कि कुछ बोलने को तैयार नहीं है थक हार कर बड़े साहब ने डीपीसी समेत तमाम फाइलों में साइन करने से इंकार कर दिया आखिर इनकी भी तो प्रेस्टीज इशू का सवाल है, समझ नहीं आता कि मंत्रालय कौन सा दूध का धुला है और अंततः मंत्रालय ने अपने हिसाब से डीपीसी के आंकड़े में फाइनल नाम पीएचक्यू को थमा दिया है।
नए थानों के लिए इंतजार..
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार को लगभग ढाई साल होने जा रहा है। अब जो फील्डिंग होगी वह बहुत सोच समझ के होगी सरकार की गुड बुक में रहने वालों को अच्छे जिलों में ओहदेदार कुर्सी मिलने का सिलसिला शुरू हो गया है, ताकि चुनाव से पहले कांग्रेस अफसरों का चक्रव्यू बना सके ऐसे में माना जा रहा है कि जिले के पुलिस कप्तान भी सरकार की गुड बुक में है जिनका राजधानी में प्रमोट होकर जाने के चांस है।
खैर कई थानेदार और एसआई को इससे क्या लेना देना, सिर्फ महीने 2 महीने की तो बात है, आगे जब नए साहब आएंगे तो जिले के थानों में अपने हिसाब से नकेल कसेंगे इसलिए लाइन व जिले में अलग थलग पड़े टीआई और एसआई माह 2 माह का इंतजार करने के मूड में है ताकि ने अफसर को चारा डाले और ठीक जगह तैनाती मिल जाए।
इधर जिले के पुलिस कप्तान जाते जाते कहीं कुछ थानों के विकेट ना गिरा दे जिन पर उनकी पहले से नजर इसमें एक नाम रेत घाट से लगे एक थाने का है जहां कप्तान ने एसआई को बिठा कर रखा है खबर है कि पिछले कुछ दिनों से इस एसआई के कामकाज से कप्तान नाराज बताए जा रहे हैं और चोरी छुपे जुए का फड बिठाए जाने की बात अब किसी से छुपी नही है।