भारत में बढ़ रहे ब्रेस्ट कैंसर के मामले, आइए जानें शहर की किन महिलाओं ने इस बीमारी से जीती जंग और डॉक्टरों की राय.

बिलासपुर. महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या काफी बढ़ रही है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह मनाया जाता है। जिससे दुनिया भर की महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूक किया जाता है। भारत में भी इस बीमारी का प्रसार तेजी से हो रहा है। हर साल लाखों महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर का शिकार हो रही हैं, जिसकी वजह से उनकी जान तक चली जाती है। लेकिन अधिकतर महिलाओं को इस बात की जानकारी नहीं है कि अगर समय रहते ब्रेस्ट कैंसर का इलाज हो जाए तो बीमारी से बचा जा सकता है।

आज हम एक ऐसी ही महिलाओं बारे में बताने जा रहे हैं जिनके परिवार में ब्रेस्ट कैंसर की वजह से दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। इस बीमारी की वजह से अपनो को खोने के बाद ये महिलाऐं ब्रेस्ट कैंसर की चपेट में आ गई। लेकिन बीमारी का डटकर सामना करते हुए उन्होंने जीत हासिल की और अब हर महिला को इस बारे में जागरूक करने का काम कर रहीं हैं ताकि उनकी तरह कोई अपनी मां, बहन, बेटी को न खोए।

इन्होंने जीती ब्रेस्ट कैंसर से जंग.

अनीता दुआ, श्रीमती आराधना त्रिपाठी, रेणु बाजपेयी श्रीमती केडिया सभी ब्रेस्ट कैंसर सर्वाइवर हैं। इन्होने समय रहते ब्रेस्ट कैंसर का इलाज कराया और आज वह एकदम स्वस्थ हैं। उन्हें ब्रेस्ट कैंसर हुए लगभग पांच साल हो गए हैं। हालांकि इस बीमारी की वजह से उन्हें काफी कुछ खोना भी पड़ा। लेकिन किसी ने हार नहीं मानी। ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जागरूकता न होने की वजह से किसी और महिला को उनके जैसी परेशानी न हो, इसके लिए अनीता दुआ, श्रीमती आराधना त्रिपाठी, रेणु बाजपेयी, श्रीमती केडिया अपने अनुभवों के जरिए महिलाओं को इस बीमारी के प्रति जागरूक कर रहीं हैं और ब्रेस्ट कैंसर मरीजों का हौसला बढ़ाने का काम कर रही हैं।

ये सभी जानती हैं कि महिलाओं के लिए यह बीमारी शारीरिक और मानसिक तौर पर कितनी घातक हो सकती है। इसलिए ये अब ब्रेस्ट कैंसर पीड़ितों को प्रेरित करती हैं कि वह हिम्मत से इस बीमारी से लड़े। और ब्रेस्ट कैंसर पीड़ितों से मिलती हैं और बीमारी के बारे में जागरूक करती हैं। कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी ब्रेस्ट कैंसर को लेकर संबोधित कर चुकी हैं।

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो रोगी को मानसिक रुप से ज्यादा क्षति पहुंचाती है.इस बीमारी में अक्सर रोगी अपनी मौत का इंतजार करते रहते (Spandan boosted the spirits of women suffering from cancer ) हैं. लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इस बीमारी से ग्रसित होने के बाद इससे लड़ते हुए समाज के लिए मिसाल बन रहे हैं. ऐसा माना जाता है कि कैंसर का इलाज पूरी तरह से संभव नहीं हो पाया है.लिहाजा इससे ग्रसित लोग बीमारी के दौरान डरे रहते हैं.लेकिन अब कुछ महिलाओं ने इस बीमारी के डर को मरीज के अंदर से निकालने का बीड़ा उठाया है.इन महिलाओं में खास बात ये है कि ये खुद कैंसर की बीमारी से पीड़ित थी।

इस अवसर पर स्पंदन संस्था के कार्यकर्ता जो की कैंसर सर्वाइवर भी हैं श्रीमती आराधना त्रिपाठी, रेणु बाजपेयी, श्रीमती केडिया ने ब्रेस्ट कैंसर मरीजों हौसला बढ़ाया.

डॉक्टरों ने जताई खुशी.

अपॉलो हॉस्पिटल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉक्टर मनोज नागपाल ने बताया की अब अंचल के कैंसर मरीजों को महानगरों की तर्ज पर सभी सुविधाएं एक ही छत के नीचे अपोलो हॉस्पिटल में उपलब्ध होंगी।

डॉ अमित वर्मा ने इस बात पर खुशी जताई कि ये सभी महिलाएं कैंसर को हराकर अब दूसरी महिलाओं को हिम्मत दे रही हैं, उन्हें हर तरह की मदद उपलब्ध करा रहीं है जो कि प्रशंसनीय है.

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