बिलासपुर. जिले के आरटीओ विभाग में एक बाबू साहूकार और प्राइवेट में आरटीओ में पांव जमाए बैठे पंडित की बड़ी चल रही है। वैसे तो सरकार ने उसे बाबूगिरी का कामकाज सौंपा है। मगर साहूकारी ऐसे सिर चढ़ कर बोल रही है की जो भी नए बड़े साहब आते है उन्हे अपनी टीम के साथ हाईजेक कर पूरा इंतजाम अली बनने का जिम्मा साहूकारी के कंधो पर आ जाता है, सब के जुबान पर बस एक ही बात अरे भई वो तो साहब का खास बना बैठा है।
आदर्श आचार संहिता के बीच इस बार दीपावली का त्यौहार आ गया। इससे साल में एक बार कुछ अच्छा पाने की चाह रखने वाले बड़े निराश हो गए है और कहते फिर रहे हैं कि करेला ऊपर से नीम चढ़ा। त्योहारी सीजन में आरटीओ विभाग से एक साहूकार और पंडित निकले हैं। ‘जो हुक्म मेरे आंका’ की तर्ज पर शहर में घूम – घूम कर न जाने किस बात का ईनाम बांट रहा है। वैसे तो सरकार ने इन्हे आरटीओ विभाग में बाबूगिरी के लिए बिठाया है लेकिन काम बड़े साहब से भी बड़ा, आरटीओ ऑफिस का सारा काला,पिला, हरा नीला और गुलाबी कामकाज में जमकर साहूकारी चल नही रही बल्कि दौड़ रही है कहा जा रहा है कि आरटीओ ऑफिस में पिछले करीब एक साल से एक दूबर पातर पंडित युवक को निजी तौर पर रखा गया है जिसे इशारे पर शहर में आम और खास को इनाम बांटा जा रहा है।
खुद को बड़े साहब का खास बता माले हराम दिले बेरहम की सोटाई चल रही है। ऊपर से लेकर नीचे तक सब इनकी चमचई से परेशान है मगर क्या करे बोलने की हिम्मत जो नही कर रहे क्योंकि बाबूगिरी की आड़ में बड़े साहब का इंतजाम अली का जो चोले की जो साहूकारी चल रही है उसके आगे सब बौने बन गए हैं।
एसएसटी और एफएसटी की नही पड़ रही नजर.
विधान सभा चुनाव के मद्देनजर जिले में आचार संहिता लागू है जगह जगह चेकिंग पॉइंट लगे हैं लेकिन ईनाम से लदी आरटीओ के साहूकार की गाड़ी पर लगता है कि एसएसटी और एफएसटी की नजर नही पड़ रही है। ऐसा भी हो सकता है कि आरटीओ के बड़े साहब का बाबू सरकारी तंत्र का फायदा उठाकर शहर में घूम घूम कर इनाम देने में लगा हुआ है। कही ये खाई खजाना किसी राजनीतिक पार्टी का चुनावी माल तो नही, {ये हम नहीं शहर में चल रही चर्चाएं बोल रही है }
साहब बदल गए नही बदली तो साहूकारी.
आदर्श आचार संहिता के बीच आरटीओ ऑफिस के इस साहूकार की चर्चा आते ही जब पड़ताल की गई तो बता चला कि उक्त साहुकार खुद को जिले के आरटीओ का खास बताता फिरता है, ऑफिस की बाबू गिरी की आड़ में मोटा माल लेकर वो सब कुछ करता है जो आरटीओ भी नही कर पाते। बताया जा रहा है कि सरल और सौम्य पिछले वाले आरटीओ का तबादला पड़ोसी जिले में हो गया है। अब नए आरटीओ आ गए हैं जो खुशनुमा मिजाज और मिलनसार है। इसके बाद भी आरटीओ ऑफिस की साहूकारी में कोई फर्क नहीं पड़ा और उसका काम बदस्तूर जारी है।
आखिर कौन है ये पंडित?
मार्केट और आरटीओ ऑफिस में यह भी चर्चा जोरों पर है कि बीते करीब साल से दूबर पातर पंडित शख्स कौन है। बताया जा रहा है की पंडे के तौर पर उसे प्राइवेट में रखा गया है जो आरटीओ का लेखा जोखा करता है। अब इनाम चुनावी है या और कुछ, उक्त पंडित के इशारे पर बाबू की साहूकारी चल रही है।