नई दिल्ली . केंद्र सरकार ने संगठित अवैध निवेश और अंशकालिक नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी करने वाली सौ से अधिक वेबसाइट को बंद कर दिया है. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इन वेबसाइट का संचालन विदेश में बैठे लोग कर रहे थे.
सूत्रों के अनुसार, विदेश में बैठे इन आरोपियों ने ज्यादातर सेवानिवृत्त कर्मचारियों, महिलाओं और बेरोजगार युवाओं को अंशकालिक नौकरी (पार्ट टाइम जॉब) देने की आड़ में लोगों को निशाना बनाया.गृह मंत्रालय की इकाई ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (आई4सी) ने अपनी ‘राष्ट्रीय साइबर अपराध जोखिम विश्लेषण इकाई’ (एनसीटीएयू) के जरिये बीते वर्ष संगठित निवेश और कार्य आधारित अंशकालिक नौकरी (टास्क बेस्ड पार्ट टाइम जॉब) के नाम पर धोखाधड़ी करने वाली वेबसाइट्स की पहचान की थी. उसने इन्हें बंद किए जाने की सिफारिश की थी. इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी कानून, 2000 के तहत इन वेबसाइट्स को प्रतिबंधित कर दिया है.यूपीआई ऐप पर लेनदेन से पहले सत्यापन करें सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि अलग-अलग यूपीआई ऐप पर प्राप्तकर्ता के नाम का सत्यापन करें. अगर प्राप्तकर्ता कोई अनजान व्यक्ति है तो यह फर्जी खाता हो सकता है और योजना फर्जी हो सकती है. इसी तरह, उस स्रोत की पहचान करें जहां से शुरुआती कमीशन प्राप्त होता है. बयान में कहा गया कि आम नागरिकों को अनजान खातों से लेनदेन से बचना चाहिए क्योंकि ये न केवल धनशोधन बल्कि आतंकवाद के लिए वित्त पोषण में भी संलिप्त हो सकते हैं.
अनजान खातों पर लेनदेन से बचने की सलाह
● सरकार ने नागरिकों को सलाह दी है कि इंटरनेट पर ज्यादा कमीशन देने वाली योजनाओं में निवेश से पहले सावधानी बरतें
● अगर अनजान व्यक्ति व्हाट्सऐप या टेलीग्राम पर संपर्क करे तो बिना जांच-पड़ताल के किसी भी तरह से वित्तीय लेनदेन करने से बचें
● ठगों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे फोन नंबर और सोशल मीडिया खातों की सूचना राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल को दें
ऐसे करते हैं धोखाधड़ी
ऐसी धोखाधड़ी में गूगल और मेटा जैसे मंचों पर लक्षित डिजिटल विज्ञापन दिए जाते हैं. इसमें ‘घर बैठे जॉब’, ‘घर बैठे कमाई कैसे करें’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता है. पहले वीडियो लाइक, सबस्क्राइब करने, मैप रैटिंग जैसे काम कराए जाते है जिसके लिए कमीशन मिलता है. बाद में पैसे निवेश की बात कहकर ठगी की जाती है.
विदेश से कर रहे ठगी
आर्थिक अपराध में लिप्त इन वेबसाइट का संचालन विदेश में बैठे लोग कर रहे थे. ये लोग डिजिटल विज्ञापन, चैट मैसेंजर और फर्जी खातों का इस्तेमाल कर रहे थे. आर्थिक धोखाधड़ी से मिली रकम का क्रिप्टो करेंसी, विदेशी एटीएम निकासी और अंतरराष्ट्रीय फिनटेक कंपनियों के जरिए भारत से बाहर धनशोधन किया जा रहा था.