•मुख्यमंत्री ‘कोड-ए-थान‘ कार्यक्रम में हुए शामिल.
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि स्वामी आत्मानंद तथा स्वर्गीय डॉ. चन्दूलाल चन्द्राकर के श्री घनश्याम दास बिड़ला के साथ अच्छे संबंध रहे है। यही कारण है कि बिड़ला समूह से मेरा भावनात्मक जुड़ाव है। हमारे प्रिय स्वर्गीय डॉ. चंदूलाल चंद्राकर ने हिन्दुस्तान टाईम्स अखबार में अपनी सेवाएं दी थी। इसी तरह स्वामी आत्मानन्द जी भी बिड़ला हाउस में प्रतिवर्ष उपनिषद पर व्याख्यान देने जाते थे। श्री बघेल ने कहा कि कोड-ए-थान के माध्यम से युवाओं को नई तकनीक को जानने और समझने का अवसर मिला है। वर्तमान समय में इसकी आवश्यकता अधिक बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि युवा ऊर्जा के सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने से बड़ी से बड़ी उपलब्धि आसानी से हासिल होती है और यह उपलब्धि व्यक्तिगत नहीं बल्कि समाज, प्रदेश व देश के लिए होती है। प्रदेश के युवाओं में असीम ऊर्जा है। केवल उसे सही दिशा देने की आवश्यकता है। मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार युवा ऊर्जा को सही दिशा देने के लिए लगातार काम कर रही है। हमारी सरकार शिक्षा के मंदिर अर्थात स्कूलों के जीर्णाेद्धार के लिए अलग से 1100 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया है। अंग्रेजी में शिक्षा के लिए 350 से अधिक स्वामी आत्मानंद शासकीय स्कूल खोले गए है। मुख्यमंत्री ने तकनीक के अच्छे व बुरे प्रभावों के बारे में भी अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि इसका सही उपयोग देश को आगे बढ़ने में मदद करेगा, लेकिन इसके दुष्प्रयोग से भयावह परिणाम हो सकते है। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश के युवाओं को केवल कक्षा 12वीं तक ही अंग्रेजी माध्यम में शिक्षित नहीं करना चाहते बल्कि उन्हें अंग्रेजी में उच्च शिक्षा देने के लिए 10 अंग्रेजी महाविद्यालय खोलने का भी निर्णय लिया है। सम्बोधन के दौरान मुख्यमंत्री ने स्वामी आत्मानंद स्कूल के अस्तित्व में आने की पूरी कहानी बच्चों से साझा की.
मुख्यमंत्री ने बच्चों के सवालों का दिए जवाब.
कोड-ए-थान कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री और स्कूली छात्राओं के बीच संवाद हुआ और उन्होंने बच्चों के जिज्ञासाओं के जवाब भी दिए। स्वामी आत्मानंद स्कूल के छात्र द्वारा शिक्षा और रोजगार को लेकर सवाल पूछने पर मुख्यमंत्री ने बताया कि शिक्षा और रोजगार साथ साथ चलते है, शिक्षा और रोजगार सबको मिलना चाहिए। लेकिन एक बात जरूरी है कि शिक्षा लेकर रोजगार की तरफ बढ़ने से आप अधिक बेहतर परिणाम दे सकते है। यदि पसन्द के फील्ड में आगे बढ़े तो सफलता की संभावना अधिक रहती है। गांधी जी मेधावी नहीं थे, लेकिन उन्होंने सही रास्ता चुना और उनको आज दुनिया जानती है। एक छात्रा ने मुख्यमंत्री से पूछा कि आईएएस बनने के लिए क्या करना होगा? जवाब में मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि समय का पाबंद होने से सफलता मिलेगी। सभी कामांे को तय समय में करने पर आप अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते है। आईएएस बनना सरल है लेकिन आईएएस बनकर समाज और देश के लिए समर्पित होकर कार्य करने के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी है। आप मुख्यमंत्री कैसे बने? एक बच्चे के सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि लगातार आमजनों की समस्याओं को दूर करने का प्रयास करते रहना और मुख्यधारा में रहकर उनका नेतृत्व करने से यह सफलता मिली है इसका कोई शॉर्टकट नहीं है।