•विश्व आदिवासी दिवस: छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को अधिकार संपन्न बनाने की नई पहल.
•कमार पर्यावास अधिकार प्राप्त करने वाला पहला जनजाति समूह.
•मगरलोड विकासखण्ड के पाली के विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह कमार को मुख्यमंत्री के हाथों मिला पर्यावास अधिकार मान्यता पत्र.
•पर्यावास अधिकार से विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के पारंपरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आजीविका, अधिकारों और रहवास का होगा संरक्षण एवं संवर्द्धन.
•जनजाति क्षेत्रों का हो सकेगा बेहतर सशक्तिकरण.
पर्यावास अधिकार –
वन अधिकार अधिनियम 2006 की धारा 2 (ज) में पर्यावास अधिकारों को परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार सामान्यतः पर्यावास अधिकार पीव्हीटीजी के पर्यावास क्षेत्र के अंतर्गत उनके पारंपरिक एवं रूढ़िगत सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और आजीविका से संबंधित पारिस्थितिकी तंत्र पर पारंपरिक रूप से निर्भरता एवं जैव विविधता अथवा पारंपरिक ज्ञान का अधिकार मान्य करने के साथ उनके संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु मान्यता प्रदान करता है। पर्यावास अधिकार प्रदान करने की यह पहल अन्य विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूहों तथा कमार जनजाति समुदाय की अन्य पालियों, उपक्षेत्रों के लिए भी एक मार्गदर्शिका सिद्ध होगा एवं शीघ्र ही अन्य विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूहों के लिए भी इस दिशा में प्रयास किया जाएगा।
सामुदायिक और सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों के उपयोग के लिए चलाया जाए जनजागरूकता अभियान – मुख्यमंत्री श्री बघेल
मुख्यमंत्री ने किया ग्राम सभाओं में जागरूकता अभियान के द्वितीय चरण का शुभारंभ
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों को अधिकार सम्पन्न बनाने का महत्वपूर्ण कार्य किया गया है। समर्थन मूल्य पर धान, लघु वनोपजों, मिलेट्स की खरीदी के साथ व्यक्तिगत, सामुदायिक वन अधिकार पत्र, सामुदायिक वन संसाधन के अधिकार प्रदान किए गए हैं। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जहां वन अधिकार मान्यता पत्र के माध्यम से आदिवासियों और वनवासियों को दी गई जमीन की ऋण पुस्तिका बनाई गई है। ऋण पुस्तिका बनने से पट्टेधारियों के लिए समर्थन मूल्य पर कृषि और लघु वनोपजों तथा मिलेट्स उपज बेचना संभव हो रहा है। इसके साथ ही साथ उन्हें कृषि कार्यों के शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण भी उपलब्ध हो रहा है।
पर्यावास अधिकार मान्यता प्रक्रिया पुस्तिका सहित विभिन्न प्रकाशनों का विमोचन
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह को पर्यावास अधिकार की मान्यता देने की प्रक्रिया के संबंध में प्रकाशित पुस्तिका का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग की योजनाओं की प्रगति से संबंधित पुस्तिका ‘समावेशी विकास के बढ़ते सोपान’ शीर्षक से प्रकाशित कॉफी टेबल बुक, आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा प्रकाशित पुस्तकों ‘छत्तीसगढ़ की जनजातीय वाचिक परम्पराएं’, ‘बस्तर दशहरा’ ‘आदिनाद जनजाति वाद्ययंत्र’ ‘स्मारिका’ का भी विमोचन किया।
आदिवासी जननायकों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के गौरवपूर्ण स्मरण के रूप में डाक टिकट एवं विशेष आवरण जारी
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के आदिवासी जननायकों द्वारा स्वतंत्रता संग्राम में किये गये योगदान के गौरवपूर्ण स्मरण के रूप में डाक टिकट एवं विशेष आवरण का विमोचन किया। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न जनजातियों के वाद्य यंत्रों पर आदिम जाति विकास विभाग द्वारा तैयार किए गए वृत चित्र का प्रदर्शन किया गया।
आदिम जाति तथा अनुसूचित जनजाति विकास मंत्री श्री मोहन मरकाम ने इस अवसर पर कहा कि आज मगरलोड पाली के विशेष रूप से कमजोर जनजाति कमार समूह को राज्य में प्रथम पर्यावास अधिकार मुख्यमंत्री द्वारा प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि चाहे लघुवनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी की बात हो या धान की समर्थन मूल्य में खरीदी हो, मिलेट् का न्यूनतम समर्थन मूल्य हो, हमारी सरकार द्वारा जनजाति हितों को ध्यान में रखा गया है। विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के युवाओं को नौकरी देने के बात हो, चाहे जनजाति क्षेत्रों में सुपोषण अभियान हो, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना हो, आदिवासी परब सम्मान के माध्यम से अनुसूचित क्षेत्र के पंचायतों को सशक्त करना हो, हमारी सरकार और मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने जनजाति हितों को प्राथमिकता दी है।
मगरलोड-पाली के परिवारों को मिला पर्यावास अधिकार
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा प्रदेश में पहली बार धमतरी जिला के विकास खंड मगरलोड अंतर्गत 22 पीव्हीटीजी पाली के परिवारों के व्यक्तियों को पर्यावास अधिकार प्रदान किए गए हैं। इन अधिकारों के माध्यम से पीव्हीटीजी समुदाय के प्रथागत व्यवस्थाओं, संस्कृति के साथ पारम्परिक अधिकारों को शासकीय दस्तावेज में अभिलिखित करने तथा सुरक्षा, संरक्षण एवं संवर्धन में सहयोग मिलेगा। पीढ़ियों से चली आ रही पारम्परिक आजीविका और पारिस्थितिकी ज्ञान की सुरक्षा और संवर्धन हो सकेगा। विभिन्न विभागों की योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से शासन द्वारा इन क्षेत्रों का सशक्तिकरण और विकास किया जा सकेगा। पीव्हीटीजी विकास अभिकरण के माध्यम से समुदाय अनुकूल अधोसंरचना विकास में सहायता मिलेगी।