देश में विपक्षी गठबंधन के मजबूत पैरोकार रहे CPI(M) महासचिव सीताराम येचुरी का गुरुवार (12 सितंबर) को निधन हो गया है। उन्होंने 72 साल की उम्र में दिल्ली एम्स (Delhi AIIMS) में अंतिम सांस ली। कॉमरेड सीताराम येचुरी भारत के शीर्ष वामपंथी नेताओं में से एक थे। येचुरे ने अपने दम पर 5 दशकों तक ‘लाल झंडे’ को बुलंद रखा। आइए जानते हैं इनकी 10 खास बातेंः-
- सीताराम येचुरी का जन्म 12 अगस्त, 1952 की तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के तेलुगु ब्रह्माण परिवार में हुआ था। पिता एसएस येचुरी आंध्र प्रदेश परिवहन विभाग में इंजीनियर थे और मां कलपक्म येचुरी गर्वमेंट ऑफिसर थीं। सीताराम येचुरी की पत्नी और बच्चे सीताराम युचेरी की पत्नी बीबीसी की तज तर्रार पत्रकार सीमा चिश्ती हैं। येचुरी ने सीमा चिश्ती से दूसरी शादी थी, येचुरी की पहली पत्नी वामपंथी कार्यकर्ता और नारीवादी डॉ. वीना मजूमदार की बेटी थीं। जिससे उनका एक बेटा और एक बेटी है।
- येचुरी की शुरूआती शिक्षा हैदराबाद के ऑल सैंट हाईस्कूल से हुई। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वह 1969 में दिल्ली आ गए। न्होंने प्रेसिडेंट्स एस्टेट स्कूल, नई दिल्ली में दाखिला लिया और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर पहले स्थान पर रहे। इसके बाद, उन्होंने सेंट स्टीफंस कॉलेज, दिल्ली से अर्थशास्त्र में बी.ए. (ऑनर्स) की पढ़ाई की. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अर्थशास्त्र में एम.ए. किया, दोनों में प्रथम श्रेणी हासिल की। उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी करने के लिए जेएनयू में दाखिला लिया, जिसे आपातकाल के दौरान उनकी गिरफ्तारी के साथ रद्द कर दिया गया था।
- येचुरी जेएनयू में छात्र राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल हुए। वह 1974 में स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया में शामिल हुए और बाद में सीपीएम के सदस्य बन गए। इसके बाद सीपीआई (एम) और इसके उद्देश्यों को जारी रखते हुए जेएनयू में, उन्होंने वामपंथी विचारधाराओं को काफी बढ़ावा दिया 1977 से 1978 तक जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। पार्टी के भीतर कई अहम पदों पर काम किया है। 1992 में पोलित ब्यूरो और सेंट्रल कमेटी के सदस्य भी शामिल हैं।
- येचुरी की रणनीतिक सोच और वाकपटुता ने उन्हें भारतीय वामपंथी राजनीति में सबसे प्रभावशाली आवाज़ों में से एक बना दिया है। 2015 में प्रकाश करात के बाद पार्टी के महासचिव बने। 2018 में वे इस पद पर फिर से चुने गए। सीताराम येचुरी चुनौतियों के बावजूद लाल झंडा करते रहे बुलंद सीपीआई(एम) के महासचिव के रूप में येचुरी का कार्यकाल अप्रैल 2015 में शुरू हुआ था।
- 2008 में जब सीपीएम ने अमेरिका के साथ असैन्य परमाणु समझौते को लेकर मनमोहन सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था, तब उन्होंने खूब सुर्खियां बटोरी थीं।
- सीताराम येचुरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव और पार्टी के संसदीय समूह के नेता रह चुके हैं। वह 2016 में राज्यसभा में सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। आपातकाल में जेएनयू में रहते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद वह लगातार तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। 1984 में उनको सीपीआई एम की केंद्रीय समिति में शामिल किया गया था। 2015 में उनको पार्टी का महासचिव चुना गया। येचुरी 2005 में पश्चिम बंगाल से राज्यसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने सदन में कई मुद़्दे उठाए।
- सुरजीत की विरासत को आगे बढ़ाया
- सीताराम येचुरी एक भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – मार्क्सवादी (CPI-M) के पांचवें महासचिव थे। वे वर्तमान में येचुरी CPI-M के संसदीय समूह के नेता और पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य भी रहे। वे एक प्रसिद्ध स्तंभकार, अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते थे। सीताराम येचुकी को पार्टी के पूर्व महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत की गठबंधन निर्माण विरासत को आगे बढ़ाने के लिए जाना जाता है। उन्होंने 1996 में संयुक्त मोर्चा सरकार के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम का मसौदा तैयार करने के लिए पी चिदंबरम के साथ सहयोग किया था। साल 2004 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के गठन के दौरान गठबंधन निर्माण प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- येचुरी के नेतृत्व में पार्टी ने चुनावी असफलताओं और आंतरिक संघर्षों सहित कई चुनौतीपूर्ण समय का सामना किया है। इन चुनौतियों के बावजूद, वे पार्टी के सिद्धांतों और लक्ष्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में अडिग रहे। आलोचनाओं का सामना करने के बावजूद, येचुरी अपने विचारों के लिए दृढ़ समर्थक बने हुए हैं जिससे उन्हें समर्थकों और आलोचकों दोनों से सम्मान मिला। सीपीआई(एम) के भीतर और बाहर कई युवा राजनेताओं को प्रेरित करते आए हैं।
- उन्होंने हाल ही में कोलकाता की घटना को लेकर बयान दिया था। साथ ही नए आपराधिक कानूनों को लेकर दायर याचिका में विपक्षी गठबंधन इंडिया का समर्थन किया था। वामपंथी नेताओं के तौर पर उनकी अलग पहचान है। वह हमेशा वामपंथी विचारधारा को लेकर आवाज उठाते रहते हैं।