बिलासपुर. भाई-बहन के अट्टू रिश्ते का त्यौहार रक्षाबंधन को लेकर इस बार नक्षत्रों के फेरबदल के कारण रक्षा सूत्र बंधवाने के समय को लेकर काफी उलझनें हो रही है। वार्षिक कलेक्डर की माने तो आगामी गुरुवार यानी 11 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जाना है। वही शुक्रवार 12 अगस्त को भी रक्षाबंधन मनाया जाएगा ऐसी चर्चा जोरों पर चल रही। इस उलझन को लेकर पंडितों की भी अलग अलज राय है तो वही पंडित अनिल पाण्डेय ने ग्रहों की दिशा दशा देख रक्षाबंधन की तिथि को लेकर अपना एक निष्कर्ष निकाला है।
रक्षाबंधन कब मनाए.
रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है! परन्तु शास्त्र कहता है कि.
पूर्णिमायां भद्रारहितायां श्रिमुहूर्ताधिकोदय व्यापिन्यामपराह्वे प्रदोषे वा कार्यम्!!
(निर्णयशिन्धु)
अर्थात – जब पूर्णिमा तिथि हो और भद्रा ना हो तब अपराह्न काल में या प्रदोष काल में रक्षाबंधन का कर्म किया जाना चाहिए.
पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त 2022 दिन गुरुवार को प्रात: 10:38 बजे से प्रारंभ हो जायेगी, परन्तु ठीक उसी समय अर्थात 10:38 बजे से ही भद्रा भी प्रारंभ हो जायेगी, जो रात्रि 20:51 बजे समाप्त होगी.अत: भद्रा काल जो रक्षासूत्र बांधने के लिए निषिद्ध है उसमें रक्षा नही बांधना चाहिए वर्ना परिणाम बड़ा भयानक होता है. इस विषय में एक कथा भी प्रचलित है कि जब रावण ने अपनी बहन शूर्पणखा के पति विद्युतजिह्वा की हत्या कर दी थी तो शूर्पणखा ने अपने पति की हत्या का प्रतिशोध लेने के लिए अपने भाई रावण के विनाश की प्रतिज्ञा की थी लेकिन रावण के शक्ति और सामर्थ्य के सामने वह कुछ भी कर पाने में समर्थ्य नही थी तो अन्ततः उसने भद्राकाल में अपने महाबली भाई रावण के कलाई में रक्षासूत्र बांध दिया और एक वर्ष के अन्दर ही रावण के द्वारा माता सीता का हरण किया गया और प्रभु श्रीराम ने लंका पर चढाई किए और रावण का अन्त कर दिया.
कब बांधे रक्षासुत्र.
11 अगस्त को प्रात: काल 10:30 पर पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होगी उसी समय भद्रा प्रारंभ होने से रात्रि आठ बजकर इक्क्यावन मिनट तक रक्षा सूत्र कदापि ना बांधे. रात्रि 20:51 के बाद रक्षासूत्र बांधा जा सकता है.चूंकि 12 अगस्त को 3 घटी 2 पल तक तक अर्थात प्रात: 07:05 तक पूर्णिमा तिथि है.अत: 12 अगस्त को प्रात: 07:05 तक भाईयों के कलाई में रक्षासुत्र बांध सकते है.
पंडित अनिल पाण्डेय ने अनुरोध किया है कि सभी बहनें यदि वास्तव में अपने भाई के आयु और यश की रक्षा करना चाहती है तो शुभ मुहूर्त में आधुनिक रक्षासूत्र के साथ साथ पीले रंग के साफ कपड़े में एक चुटकी साबूत चावल, एक चुटकी पीली सरसो के दाने और कोई सूवर्ण की वस्तु रखकर पोटली बनाकर भाई के दाहिने कलाई में अवश्य भगवान नरसिंह का स्मरण करते हुए बांधे तथा भाई के माथे पर केसर, कुमकुम, दही का तिलक करके धन वृद्धि के लिये अक्षत अर्थात चावल माथे पर लगाकर मंगल कामना करें. यदि केसर ना हो तो हल्दी या रोली का प्रयोग कर सकती हैं.
रक्षा बंधन पर्व निर्णय.
ध्यान दे इस वर्ष 11 अगस्त दिन गुरुवार को प्रातः 09 बजकर 35 मिनट से पूर्णिमा तिथि लग जाएगी जो 12 अगस्त शुक्रवार को प्रातः 07:25 तक ही रहेगी.
इसके अतिरिक्त इस वर्ष पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा भी प्रारंभ हो जायेगी जो की रात्रि 08:25 तक रहेगी। इस प्रकार भद्रा से रहित पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को रात्रि 08:26 से लेकर अगले दिन 12 अगस्त को प्रातः 07:16 तक रहेगी. इस अवधि में रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त रहेगा।
अधिक ज्योतिषीय विश्लेषण हेतु निम्निलखित पोस्ट को अवश्य पढ़े.
वस्तुत: इस वर्ष रक्षा बंधन पर्व अर्थात श्रावणी पूर्णिमा की तिथि 11 अगस्त में प्रातः काल 09:35 से लगभग रात्रि 08:30 तक भद्रा व्याप्त होने के कारण इस अवधि में रक्षाबंधन का कार्य कदापि नहीं करना चाहिए क्योंकि शास्त्र मत है कि.
भद्रायाम द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा, श्रावणी नृपति हंति ग्रामम दहति फाल्गुनी.
अर्थात भद्रा व्याप्त होने पर श्रावणी (रक्षाबंधन) तथा फाल्गुनी (होलिकादाह) आदि विशेष रूप से त्याग देना चाहिए.
तब ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर क्या किया जाए.
इसके लिए भी शास्त्र ही समाधान प्रस्तुत करते है की
तत्सत्वे तु रात्रावपि कुर्यादिति निर्णयामृते
अर्थात यदि कभी ऐसी स्थिति भी उत्पन्न हो जाए तो ये दोनो कार्य (रक्षाबंधन वा होलिकादाह) रात्रिकाल में भद्रा की समाप्ति के बाद भी करना शास्त्र सम्मत है।
देखे निर्णयसिंधु का द्वितीय परिच्छेद पृष्ठ संख्या 248.
श्रावणी पर्व यानी रक्षा बंधन और होली में
स्वर्गे भद्रा शुभं कुर्यात पाताले च धनागमे.
यह सूक्त काम नहीं करेगा इन दोनों पर्वों में किसी भी तरह की भद्रा त्याज्य है.
ध्यान दे आजकल कुछ विद्वानों का मत आया है की इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व अगले दिन उदयातिथि प्रमाण मानकर अर्थात 12 अगस्त को सम्पूर्ण दिन मनाया जाए तो मेरे अनुसार यह भी शास्त्र सम्मत नही है क्योंकि निर्णयसिंधु ग्रंथ में ही लिखा है कि.
इदम प्रतिपद्युतायाम न कार्यम, नंदायाम दर्शने रक्षा बलिदानम दशाशु च, भद्रायाम गोकुलक्रीड़ा देशनाशाय जायते.
मदरत्न,ब्रम्ह वैवर्त पुराण.
अर्थात नंदा तिथि (प्रतिपदा) युक्त पूर्णिमा अथवा प्रतिपदा तिथि में रक्षाबंधन आदि कार्यों को कभी नहीं करना चाहिए इससे सम्पूर्ण देश की हानि होती है।
इसके अतिरिक्त भी 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि त्रिमुहूर्तव्यापिनी नही है मात्र प्रातः 07:18 तक ही है इसके बाद प्रतिपदा लग जा रही अतः 12 अगस्त प्रतिपदा तिथि को रक्षाबंधन का पर्व मानना सर्वथा अनुचित है।
उपरोक्त शास्त्रमत को देखते हुए मेरा मानना है की हम सभी को रक्षा बंधन का पर्व 11 अगस्त दिन गुरुवार को भद्रा उपरान्त रात्रि 08:30 से रात्रि 11: 30 तक मनाना सर्वाधिक श्रेष्ठ वा शास्त्र सम्मत रहेगा।
इसके अतिरिक्त यदि इस अवधि में जो कोई रक्षाबंधन नही कर सके तो अगले दिन 12 अगस्त शुक्रवार को प्रातः 05:35 सूर्योदय के उपरान्त प्रातः 07:15 तक ही रक्षाबंधन का कार्य करना चाहिए इसके बाद प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ हो जाने के कारण वर्जित है।
लेकिन यह विशेष परिस्थितियों में करना चाहिए पूर्णिमा के साथ प्रतिपदा ग्राहृय नहीं है। यानी अच्छा नहीं माना गया है।
आप सभी को श्रावण मास, श्रावणी उपकर्म वा रक्षा बंधन पर्व की हार्दिक अनंत शुभकामनाएं।
आपका शरीर स्वस्थ रहे आप दीर्घायु हों आपका जीवन मंगलमय हो।