किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है रुद्राक्ष की खेती, अब सामान्य टेंपरेचर में भी इसे उगना आसान

रुद्राक्ष का धार्मिक महत्व हम में से अधिकतर लोग जानते हैं. रुद्राक्ष का महत्वं भगवान शिव से जुड़ा हुआ हैं एवं आमतौर पर भक्तों द्वारा सुरक्षा कवच के तौर पर या ओम नमः शिवाय मंत्र के जाप के लिए पहने जाते हैं. रुद्राक्ष का मुख्य रूप से भारत और नेपाल में कार्बनिक आभूषणों और माला के रूप में उपयोग किए जाता हैं. रुद्राक्ष अर्द्ध कीमती पत्थरों के समान मूल्यवान होते हैं. रुद्राक्ष में कई औषधीय गुण पाए जाते है. यह दिल की बीमारी व घबराहट से भी छुटकारा दिलाता है. इंडोनेशिया और नेपाल, भारत में बड़ी में मात्रा में रुद्राक्ष का निर्यात करते है, जिसका कारोबार अरबो में होता है.

भारत में रुद्राक्ष की 300 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. यह एक सदाबहार पेड़ है. भारत में इसकी खेती ज्यादा प्रचलित नहीं हैं. लेकिन भारत के कुछ इलाकों में इसकी खेती काफी बड़े स्तर पर कि जाती है. जिसमें मध्यप्रदेश, अरुणांचल प्रदेश, गढ़वाल, उत्तराखंड, हरिद्वार, बंगाल, असम और देहरादून के जंगलों में की जा रही है. वहीं मैसूर, नीलगिरी, कर्नाटक में भी रुद्राक्ष काफी संख्या में उगाए जाते हैं. इसके अलावा दक्षिण भारत के मैसूर, नीलगिरि और कर्नाटक में भी इसके पेड़ देखने को मिल जाते है. रामेश्वरम, गंगोत्री और यमुनोत्री के क्षेत्रों में भी रुद्राक्ष मिल जाता है. 

रुद्राक्ष की खेती कैसे करें?

रुद्राक्ष अधिकतर हिमालय की वादियों में उगाता है. लेकिन भारत के कई राज्यों में भी इसकी खेती होने लगी है. इसकी व्यपारिक खेती के लिए अच्छी ड्रेनेज वाली मिट्टी की उपयुक्त होती है. इसमें खाद के साथ नाइट्रोजन और अन्य पोषक तत्व भी भरपूर मात्रा में डालने होते है. मिट्टी, खाद, और कोकोपिट का मिक्सचर तैयार कर ले और उसमे इसके पौधों को लगाए. रुद्राक्ष के पौधे को बढ़ने के लिए ठंडक की जरुरत होती है. इसके पौधे ठंड में काफी अच्छे से बढ़ते है. इसलिए इसकी खेती ठंडी जगह ज्यादा होती है. लेकिन आप इसकी खेती सामान्य तापमान वाली जगह पर कर रहे हैं, तो इन बातों को विशेष ध्यान रखें कि इसके पौधों को सीधे धूप से बचाएं और 35 प्रतिशत से अधिक तापमान न होने दे.

रुद्राक्ष का पेड़ से पैदावार कब प्राप्त होती हैं?

रुद्राक्ष का पेड़ सदाबहार पेड़ है, इसका पौधा लगाने के 2 से 3 साल के पश्चता फल देना आरंभ कर देता है. यानि इसका पूर्ण रूप से विकसित पौधा 3 साल का समय लेता है और यह साल में कई बार फल देता है. नीले फल इसमें दिखने लगेंगे. उन नीले फलों के अंदर होता है रुद्राक्ष जिसे साफ कर और सुखाकर हम इस्तेमाल करते हैं. रुद्राक्ष के पौधों से अलग-अलग मुखी रुद्राक्ष निकलते हैं. जिनका आकार अलग-अलग होता है. रंग लाल-सफेद, भूरा, पीला और काला हो सकता है. 

रुद्राक्ष के एक फल की कीमत क्या होती है?

रुद्राक्ष की पुराणों से लेकर धार्मिक अनुष्ठानों तक मान्यता होने के कारण इसके यह बाजारों में काफी अच्छे दामों पर बिकते हैं. नेपाल में रुद्राक्ष की कीमत वहां के मुद्रा के अनुरूप दस रूपए से लेकर दस लाख रूपए तक होती है, जिसकी कीमत भारत में आने के बाद 50, 500 रूपए से लेकर हजार या पच्चीस लाख तक हो जाती है. रुद्राक्ष की कीमत उसके आकार और मुख के अनुसार कम ज्यादा होती है. इंडोनेशिया और नेपाल से आने वाले रुद्राक्ष की कीमत कम एवं आकार भी छोटा होता है. पाँच मुख वाले रुद्राक्ष की कीमत सबसे कम होती है, वहीं एक मुख, इक्कीस मुख तथा चौदह मुख वाला रुद्राक्ष बेहद महंगा होता है. नेपाल में मिलने वाला रुद्राक्ष सिक्के का आकार जो बेहद दुर्लभ और ‘इलयोकैरपस जेनीट्रस’ प्रजाति का होता है.

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