अबूझमाड़ का एहनार विकास से वंचित, सुविधाओं के लिए तरसते ग्रामीण…

नारायणपुर। एक ओर देश चांद तक पहुंचने की उपलब्धि गिना रहा है, वहीं दूसरी ओर नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र का ग्राम पंचायत कुंदला का आश्रित गांव एहनार आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है. बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी आवश्यक सुविधाओं के बिना यह गांव विकास की मुख्यधारा से पूरी तरह कटा हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि न प्रशासन उनकी सुध लेता है, और न ही पंचायत स्तर पर कोई ठोस पहल की जाती है. गांव में एक प्राथमिक शाला भवन वर्षों पुराना है, जो अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है. छत से पानी टपकता है और पूरी संरचना इतनी कमजोर हो गई है कि ग्रामीणों ने इसे लकड़ी के बल्लियों के सहारे टिकाकर रखा हुआ है. स्कूल में 30 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन भय के माहौल में. बारिश के दिनों में हालत और भी खराब हो जाती है, जब छत से पानी टपकता है और बच्चों को किसी कोने में सिमटकर बैठना पड़ता है. ग्रामीणों ने कहा बच्चों को पढ़ाई के लिए भेजने में डर लगता है. अगर कभी छत गिर गई तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है, लेकिन प्रशासन को इसकी कोई परवाह नहीं. साथ ही विद्यालय परिसर में एकमात्र हैंडपंप है, जिसमें से आयरन युक्त पानी निकलता है, जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है. पीने का साफ पानी न मिलने से बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में ट्रांसफर तो है परंतु पिछले दो वर्षों से बिजली नहीं है. हालांकि, सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है, लेकिन एहनार गांव में इसका कोई असर दिखाई नहीं देता. एहनार गांव शाम होते ही अंधेरे में डूब जाता है. बच्चों को लालटेन और दीये की रोशनी में पढ़ाई करनी पड़ती है. वहीं आयरन युक्त पानी पीने के कारण गांव के लोगों में पेट संबंधी बीमारियां, त्वचा रोग और एनीमिया जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. स्वास्थ्य सेवाएं भी नदारद हैं, जिससे इलाज के लिए ग्रामीणों को कई किलोमीटर पैदल चलकर दूसरे गांव जाना पड़ता है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन और पंचायत के प्रतिनिधि केवल कागजी विकास दिखाने में लगे हैं. जब चुनाव आते हैं, तो नेता वादे करते हैं, लेकिन उसके बाद गांव की सुध लेने कोई नहीं आता. वहीं इस पूरे मामले पर जिला शिक्षा अधिकारी रमेश कुमार निषाद का कहना है कि,”हम जल्द ही गांव का निरीक्षण करेंगे. अगर भवन मरम्मत लायक हुआ, तो उसे दुरुस्त किया जाएगा. अन्यथा, नया भवन निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा.”

You May Also Like

error: Content is protected !!