धान भी नहीं बिका, ऊपर से सिर पर 9 करोड़ से ज्यादा का कर्ज, किसान बोले- अब सरकार ही है सहारा

गरियाबंद. झिरिपानी निष्टीगुड़ा समिति के 28 गांव के अलावा डोहल, झराबहाल, धुगियामुड़ा, मूड़ागांव, मूंगझर, सोनामुन्दी, केंदुपाटी और टेमरा के 1818 किसान एक दाना धान नहीं बेच पाए हैं. इन पर इसी खरीफ सीजन का जिला सहकारी बैंक में 9.95 करोड़ का ऋण बकाया है. बैंक के नियम के मुताबिक 15 मार्च तक लोन को चुकाना होता है. ऐसा नहीं किया तो 16 मार्च से लोन की राशि पर ब्याज दंड यानी 12 प्रतिशत ब्याज लगना शुरू हो जाएगा.

अक्टूबर महीने में बैंक ने समिति के माध्यम से नोटिस जारी किया था. नोटिस मिलते ही कर्जदार किसानो की नींद उड़ी हुई है. किसान लगातार सीएम के समक्ष ज्ञापन सौंपने के साथ ही सड़क में रैली निकालकर अपनी मांगों को अवगत करा रहे हैं. प्रतिनिधि मंडल जिला प्रशासन के हर उस दफ्तर में दस्तक दे रहे हैं. जंहा से उन्हें उम्मीद है. आज भी किसान नेता जय कृष्ण नागेश, असलम मेमन, जदु राम, जगमोहन के नेतृत्व में लगभग 50 कृषक का प्रतिनिधि मंडल, कृषि, तहसील और एसडीएम के समक्ष जाकर अपनी मांगों पर हुई कार्रवाई के बारे में पूछते नजर आए.कृषक नीलांबर मरकाम, श्याम सुंदर, शशीधर, शोभाराम ने बताया कि 26 गांव के कृषक एक भी दाना धान नहीं बेच पाए हैं. कर्ज भी पटाने लायक नहीं हैं. फसल क्षतिपूर्ति राशि और बीमा योजना का लाभ 1 मार्च तक नहीं मिला तो उनकी स्थिति अगले सीजन किसानी करने लायक नहीं रहेगी. बैंक में डिफॉल्टर होते ही उन्हें अगले सीजन का ऋण नहीं मिलेगा. पहले से काफी कर्ज है, साहुकारी कर्ज भी बढ़ जाएगा. किसानों ने कहा कि मार्च तक उनकी मांगे नहीं पूरी हुई तो आमरण अनशन करने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं रह गया है.

बीमा राशि पर टिकी निगाहें

सत्ता बदलते ही कर्ज माफी की आस खत्म हो गई. क्षतिपूर्ति की मामूली रकम से किसानों की भरपाई संभव नहीं है. ऐसे में अब फसल बीमा योजना पर अन्नदाताओं की निगाहें टिकी हुई हैं. अब तक नुकसान की रिपोर्ट प्रशासन ने जो बनाई है, उस अनुपात में बीमा का क्लेम मिलता है तो किसानों की भरपाई कुछ हद तक हो सकेगी.जानकारी के मुताबिक निजी बीमा कंपनी अनुबंध के आधार पर लोन की राशि का 6 प्रतिशत यानी ढाई करोड़ से ज्यादा देवभोग तहसील से लेगी. योजना के तहत कृषक अंशदान के रूप में बीमा प्रीमियम का 2 प्रतिशत यानी की 88 लाख का भुगतान कृषकों को दी गई ऋण राशि में हो चुकी है. शेष राशि तय अनुपात में कंपनी राज्य और केंद्र सरकार से लेगी.

धान नहीं बेचने वालो को मिलेगी क्षतिपूर्ति राशि

तहसीलदार गेंद लाल साहू ने कहा कि पटवारी और आरईओ की रिपोर्ट के आधार पर प्रभावित कृषकों की लिस्टिंग की गई है. जिसमें धान विक्रय करने वालों के नाम विलोपित किए जा रहे हैं. सभी को आरबीसी 6(4) के तहत 8500 रुपये प्रति हेक्टयर के दर पर क्षतिपूर्ति राशि जल्द दी जाएगी.

मार्च के पहले सप्ताह में मिल सकेगी क्लेम की राशि

कृषि उपसंचालक चंदन राय ने बताया कि जिला स्तर की सभी प्रकिया पूर्ण हो चुकी है. बीमा कंपनी ने रिपोर्ट का प्रति परीक्षण भी कर लिया है. प्रीमियम की शेष राशि राज्य से लेने के बाद अब केंद्र से लेने की प्रकिया जारी है. इसके खत्म होते ही तय प्रतिशत के आधार पर बीमा की राशि का भुगतान मार्च के पहले सप्ताह तक होने की पूरी संभावना है.

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