पूर्व अध्यक्ष देवेंद्र पांडेय पर दुर्भावनापूर्ण, पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर लगाया गया आरोप,न्यायालय ने भी विभिन्न भ्रष्टाचार के मामले में लगाई रोक.

बिलासपुर. देवेन्द्र पाण्डेय को पुलिस विभाग से मिल रहा संरक्षण ऐसा ननकी राम कंवर द्वारा खबर प्रकाशित कर आरोप लगाये गए थे।कि व्यक्ति देवेन्द्र पाण्डेय अध्यक्ष एवं सीईओ. डीसी ठाकरे मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित मुख्यालय नेहरू चौक बिलासपुर के विरूद्ध शिकायतकर्ता व्ही.पी.खरे कपील नगर नया सरकण्डा बिलासपुर द्वारा राज्य आर्थिक अपराध अनवेषण/एन.टी. करप्शन ब्युरो के
समक्ष शिकायत कर उससे रिश्वत मांगे जाने एवं अधिकारों का दुरूपयोग कर बैंक सेवा नियमों के विपरीत कार्य करते हुये आर्थिक हित लाभ प्राप्त किया।

शिकायत कर्ता की उक्त शिकायत के आधार पर राज्य आर्थिक अपराध अनवेषण/एन.टी.करप्शन ब्युरो द्वारा सूचना देने के दिनांक 27-08-2011 को एक रोजनाम्चा क्रमांक
171/2011 दर्ज किया। तथा जांच उपरांत प्रथम दृष्टया कोई भी आर्थिक अपराध होना नहीं पाया।

बिंदेश्वरी प्रसाद खरे द्वारा जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक बिलासपुर मर्यादित में इंजीनियर के पद पर कार्यरत था। जिसके द्वारा व्यापक रूप से भ्रष्टाचार किया गया था जानकारी के अनुसार जिला-बिलासपुर ग्राम ककरा एवं जिला-कोरबा ग्राम बरपाली एवं कोरबी के गोदाम का उसके द्वारा घटिया निर्माण कराया गया था। इसी कारण उस तत्कालीन गृह जेल एंव सहकारिता मंत्री ननकी राम कंवर द्वारा दोनो गोदामों का लोकार्पण करने से इंकार कर दिया तथा मंच से ही उद्बोधन के दौरान जिला सहकारी बैंक मर्यादित बिलासपुर के सी.ई.ओ. डी.सी.ठाकरे ‘को मौखिक आदेश दिया कि भवन निर्माण में जो भी दोषी हो उसके विरूद्ध तत्काल जांच कर कार्यवाही करें इस पर सी.ई.ओ. द्वारा
जांच कराया गया। घटिया गोदाम निर्माण के सम्बन्ध में छ.ग शासन के पी.डब्ल्यु.डी. विभाग के इंजीनियर एवं कृषि मंडी बोर्ड के इंजीनियर से जांच कराया गया जांच में कई जगह भ्रष्टाचार के गंभीर साक्ष्य मिले उक्त जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन
गृह सहकारी मंत्री ननकी राम के मौखिक आदेश पर बिंदेश्वरी प्रसाद खरे (व्ही.पी. खरे) को निलंबित कर थाना उरगा जिला कोरबा छ.ग. में एक प्रथम सूचना प्रतिवेदन अंतर्गत धारा 420, 467, 468, 471, 472, एवं 34 के तहत 17-09-2011 को
दर्ज किया गया। और बाद में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया बर्खास्त होने के बाद उनके द्वारा अवैध तरीके से बैंक के गोपनीय दस्तावेज प्राप्त किये गये। जिसमें कूटरचना कर उसे बैंक के सी.ई.ओ. एवं अध्यक्ष द्वारा किया गया भ्रष्टाचार बताया गया। इस सम्बन्ध में माननीय उच्च न्यायालय ने ई.डबल्यू. से जवाब मांगा तब संबंधित ने जांच अधिकारी के द्वारा जवाब पेश किया। प्रतिउत्तर में शपथ पूर्वक कहा गया कि प्राप्त शिकायत बदले की भावना से की गई और आरोपों को आधारहीन बताया गया। उसी से चिढ़कर उक्त शिकायत कर्ता व्ही.पी.खरे द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में एक पीटीशन नं. एम.सी.आर.एल.सी. नम्बर 76/2012 प्रस्तुत किया। जिसमें हुये आदेश दिनांक 05-03-2012 के विरूद्ध एक स्पेशल लीव्ह पीटीशन अपील क्रिमिनल नं. 3193/2012 बिंदेश्वरी प्रसाद खरे विरुद्ध छ.ग. शासन वगैरह के नाम से प्रस्तुत किया जो 04-05-2012 को निरस्त कर दिया गया। तथा उसे यह आदेश दिया गया कि वह अपनी व्यथा को रीट पीटिशन के माध्यम से सम्बंधित न्यायालय में जाकर बताये। जिसके आधार पर उक्त शिकायतकर्ता बिंदेश्वरी प्रसाद खरे द्वारा एक रीट पीटिशन क्रिमिनल नं. 157/2013 माननीय उच्च न्यायालय छ.ग. बिलासपुर में बिंदेश्वरी प्रसाद खरे विरूद्ध छ.ग. शासन पक्ष क्रमांक 3 ननकीराम कंवर में तत्कालीन गृह मंत्री का उत्तरवादी था। जिसमें उत्तरवादी क्र . देवेन्द्र पाण्डेय तथा उत्तरवादी क्र 6 डी.सी.ठाकरे है प्रसतुत किया। उक्त रीट पिटीशन क्रिमिनल में दिनांक 13-05-2019 को आदेश पारित करते हुए माननीय न्यायाधिपति श्री संजय के अग्रवाल ने केन्द्रीय अनवेषण ब्युरो अथवा विशेष जांच दल गठित करके इनके द्वारा जांच की मांग एक व्यक्ति अधिकार के रूप में नहीं कर सकता तथा ऐसे जांच का निर्देश आपवादी तथा असाधारण मामले जिनका राष्ट्रीय अथवा देश व्यापी प्रभाव है में दिया जा सकता है। इस तरह का निष्कर्ष देते हुए बिंदेश्वरी प्रसाद खरे का रीट पिटिशन क्रिमिनल निरस्त कर दिया गया। स्वयं शिकायत कर्ता व्ही.पी.खरे के विरूद्ध थाने में आपराधिक प्रकरण भी दर्ज हो चुका है समस्त घटना एवं कार्यवाही नमकी राम कंवर के गृह मंत्री के कार्यकाल वर्ष 2011 का है। उक्त पुरानी घटना में हुए समस्त कार्यवाही की जानकारी श्री ननकी राम कंवर को अच्छी तरह से है उक्त पुरानी घटना के सम्बन्ध में वर्ष 2022 में इस तरह का झुठा एवं विवादित खबर छपवाकर आपके द्वारा एक सोची समझी चाल के तहत बिना कोई जानकारी प्राप्त किये उसे अपमानित अभित्रस्त एंव क्षुब्ध किया गया है। 11 वर्ष पुरानी घटना के सम्बन्ध में इस तरह की अपमानजनक लेख छपवाकर न्यायालय के आदेशों का अवहेलना किया गया है।

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