गरियाबंद जिले में स्थित सिकासेर डैम में एक बेहद दुर्लभ प्रजाति की Golden Mahseer Fish

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में स्थित सिकासेर डैम (Sikaser Dam) में एक बेहद दुर्लभ प्रजाति की Golden Mahseer Fish पाई जाती है. वाइल्ड लाईफ के जानकार बताते है कि ये मछली भारत में मुख्य रूप से हिमालय के नीचले हिस्सों में बहने वाली नदियों में पाई जाती है, इस मछली की विशेषताएं ये है कि ये बारिश के तेज बहाव वाले स्थान में ही मछली अंडा देती है. पूरे छत्तीसगढ़ में अब तक केवल सिकासेर डैम में ही ये दुर्लभ Golden Mahseer Fish पाई गई है. हालांकि छत्तीसगढ़ में Mahseer Fish की 3-4 प्रजातियां पाई जाती है.

वन विभाग के एक सूत्र ने  नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पिछले दिनों नोवा नेचर नामक संस्था ने इस मछली के यहां पाए जाने की सूचना के बाद 5-6 दिनों का कैंप लगाया था और उक्त संस्था की तरफ से इस मछली के संरक्षण के लिए वन विभाग को पत्र भी लिखा गया है.
सूत्र ने बताया कि इस मछली को ग्रामीण टेस्टी समझकर इसका शिकार कर रहे है, चिंताजनक बात ये है कि जब इस मछली के प्रजन्न का वक्त होता है और तेज बहाव में ये पानी के विपरित ओर अंडा देने जाती है तभी इसका शिकार मछवारे करते है.

17 से 20 किलो होता है वजन

वाइल्ड लाइफ के जानकार बताते है कि इस मछली का वजन 17 से 20 किलो तक होता है, लेकिन लगातार हो रहे इनके शिकार की वजह से अब इनके वजन में भी कमी आई है क्योंकि मछलियों के अच्छी तरह से ग्रोथ होने के पहले ही इनका शिकार कर लिया जाता है.

पूरे विश्व में मौजूद है 47 प्रजातियां

1848 में प्रकाशित एक किताब में उक्त मछली का जिक्र है. ये किताब John D. MacDonald द्वारा लिखी गई थी. जिसमें उक्त मछली के छत्तीसगढ़ में पाए जाने का भी जिक्र मौजूद है. उक्त किताब के मुताबिक पूरे विश्व में इस प्रजाति की 47 मछलिया मौजूद है. इसमें से 15 प्रजाति भारत में पाई जाती है, जिसमें से Golden Mahseer Fish दुलर्भ प्रजातियों में से एक है और इसकी पुष्टि International Union for Conservation of Nature (IUCN) ने भी की है.

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