रायपुर. जनतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील विचारधारा को समर्पित पत्रकार राजकुमार सोनी कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता-जनसंचार विश्वविद्यालय की कार्य परिषद में शामिल किए गए हैं. श्री सोनी के अलावा पत्रकार आवेश तिवारी भी परिषद के सदस्य नियुक्त किए गए हैं.
ज्ञात हो कि पत्रकारिता विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद में वहां के अधिनियम के अनुसार दो पत्रकार सदस्यों का मनोनयन किया जाता है, जिनकी कार्य अवधि दो वर्षों की होती है.पूर्व में सुनील कुमार तथा दिवाकर मुक्तिबोध कार्यपरिषद के सदस्य थे. उनकी सदस्यता अवधि की समाप्ति के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राजकुमार सोनी तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को समर्पित पत्रकार आवेश तिवारी का मनोनयन किया है. कार्यपरिषद में तीन विधायक सदस्य पूर्व से ही शामिल हैं. वर्तमान में विधायक वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा, बृजमोहन अग्रवाल और धनेंद्र साहू कार्य परिषद के विधायक सदस्य हैं.
यह जानने योग्य है कि कार्य परिषद किसी भी विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था होती है. विश्वविद्यालय की समस्त नीतियों का निर्धारण तथा सभी प्रकार के वित्तीय और प्रशासनिक गतिविधियों का अनुमोदन कार्य परिषद द्वारा ही किया जाता है. इस पृष्ठभूमि में पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कार्य परिषद में राजकुमार सोनी और आवेश तिवारी के मनोनयन को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
ज्ञातव्य है कि राजकुमार सोनी का नाम पत्रकारिता क्षेत्र में बहुत जाना पहचाना है. प्रदेश में उनकी गिनती प्रतिबद्ध पत्रकार और प्रतिबद्ध संस्कृतिकर्मी के तौर पर होती है.
छत्तीसगढ़ के एक बहुत बड़े तबके के बीच उनकी अपनी एक पहचान कायम है. उनकी पत्रकारिता आदिवासियों, तथा शोषित वंचित बहुुजन समुदाय के पक्ष में सदैव खड़ी रही है. उन्हें सांप्रदायिकता के खिलाफ मोर्चा लेने वाला लड़ाकू भी माना जाता है. उनका एक गीत-चाऊंर वाले बाबा… ओ…दारू वाले बाबा… लोग आज भी भूले नहीं है. सांप्रदायिक ताकतों का पराभव में इस गीत ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थीं.
राजकुमार सोनी देशबन्धु, जनसत्ता भास्कर, तहलका और पत्रिका जैसे कई संस्थानों में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. वे अपनी खोजी पत्रकारिता के लिए भी देश- दुनिया में चर्चित रहे हैं.
उन्होंने छत्तीसगढ़ में 15 सालों तक काबिज रही भाजपा सरकार के अनेक भ्रष्टाचार और काली कारगुजारियों का खुलासा तहलका तथा अन्य अखबारों के माध्यम से किया था. यह भी एक सच्चाई है कि पूर्ववर्ती सरकार में बड़े नुमाइंदों और अफसरों से उनकी सीधी भिंड़त होती रही हैं. जन साधारण के सामने सांप्रदायिक सत्ता के भ्रष्ट चेहरे को लगातार बेनकाब करने की वजह से एक समाचार पत्र ने दबाव में आकर उनका तबादला कोयम्बटूर ( तमिलनाडु ) कर दिया था. बाद में उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया.छत्तीसगढ़ में जब सत्ता पलटी तो लोगों ने उनके संघर्ष को याद रखा. इसमें कोई दो मत नहीं है कि छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी उन्हें बेहद पसंद करते हैं.
अब यह बताना भी लाजिमी है कि कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के बाद से ही लगातार दक्षिणपंथी ताकतों का गढ़ रहा है.यहां दक्षिण पंथी ताकतें लगातार सक्रिय रही हैं और साजिशें रचती रही हैं.यहां पत्रकारों की जो भी पीढ़ी तैयार होती रही हैं उन्हें केवल गुमराह करने का काम किया जाता रहा है. सत्ता परिवर्तन के बाद विश्वविद्यालय की गतिविधियों में कुछ आंशिक सुधार हुआ है, फिर भी कुछ ऐसे तत्व सक्रिय हैं जो रोड़े अटकाते रहते हैं. यह विश्वविद्यालय हमेशा से राज्य शासन के ध्यान के केंद्र में रहता आया है. जिस प्रकार से राज्य शासन के अनुशंसा की अनदेखी कर और विश्वविद्यालय के अधिनियम में वर्णित प्रावधान को दरकिनार कर दक्षिणपंथी सोच के वर्तमान कुलपति को विश्वविद्यालय में नियुक्त किया गया, उसने राज्य शासन की चिंताओं को और बढ़ाया है. ऐसी हालत में राजकुमार सोनी का पत्रकारिता विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था कार्यपरिषद में बतौर पत्रकार प्रतिनिधि मनोनीत होना दक्षिणपंथी ताकतों के लिए एक चेतावनी भी है. इससे प्रगतिशील, जनपक्षधर विचारधारा के लोगों और संस्थाओं में हर्ष व्याप्त है और वे एक नई आशा और विश्वास के साथ इस विश्वविद्यालय की ओर देख रहे हैं.
जानने वाली बात यह भी है कि राजकुमार सोनी पत्रकार होने के साथ-साथ एक बेहतरीन आलोचक, और संस्कृति कर्मी भी हैं. उन्होंने छत्तीसगढ़ में समय-समय पर अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया है जिसकी गूंज लंबे समय तक कायम रहनी हैं. उनका अपना मोर्चा डॉट कॉम छत्तीसगढ़ ही नहीं, देशभर के सबसे सुलगते हुए ज्वलंत मुद्दों को सच्चाई के तराजू पर तौलकर जनमानस के सम्मुख लाता रहा है. उन्हें एक बेहतरीन साक्षात्कारकर्ता के साथ-साथ बेहतरीन संगठनकर्ता भी माना जाता हैं. राजकुमार सोनी का पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कार्य परिषद में स्वागत किया जाना चाहिए.