बिलासपुर. सरकारी जमीन के नीलामी को लेकर हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में सिंगल बैंच ने सुनवाई की,याचिकाकर्ता और सरकारी अधिवक्ता ने इस मुद्दे को लेकर अपने अपने तर्क दिए तो वही हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी कर राज्य शासन को पूरे दस्तावेज पेश करने चार हफ्ते का समय दिया है।
शासकीय ज़मीन के नीलामी को लेकर एक जनहित याचिका पर छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के चीफ़ जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बैंच में सुनवाई हुई, याचिकाकर्ता सुशांत शुक्ला की ओर से अधिवक्ता रोहित मिश्रा में एंव राज्य सरकार की ओर से वी आर तिवारी(अतिरिक्त महाधिवक्ता), चंद्रेश श्रीवास्तव(उप महाधिवक्ता) ने पैरवी की. याचिकाकर्ता सुशांत शुक्ला के अधिवक्ता रोहित मिश्रा नें राज्य सरकार के द्वारा अभी तक पूरे प्रदेश के 30 ज़िलों में शासकीय भूमि की नीलामी के तहत किये गये आंबटन एंव उसके हितकारियों की सूची की माँग करते हुये आपत्ति की,जिसके बाद चीफ जस्टिस द्वारा विषय की गंभीरता को दुष्टिगत रखते हुये राज्य शासन को अब तक पूरे प्रदेश में नीलाम की गई कुल ज़मीनों/कितने आंबटन एंव संबँधित प्रक्रिया की हितग्राहियों की सम्पूर्ण सूची चार हफ़्ते में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश शासन को दिया है।
एक सुंसंगत आदेश..शुक्ला
याचिकाकर्ता सुशांत शुक्ला ने कहा है कि छत्तीसगढ में सरकार के सरंक्षण में भू माफ़ियाओं और सत्ताधारी दल से जुडे ज़मीन के बड़े व्यापारी के नाम उजागर होंगे
और न्यायालय के द्वारा जांच उपरांत देश के सबसे बड़े ज़मीन घोटाले का पर्दाफ़ाश होगा।