बिलासपुर .गोवर्धन पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने बुधवार को सीएमडी महाविद्यालय प्रांगण में विशाल धर्मसभा मे दिव्य प्रवचन दिया। इस अवसर पर सनातन धर्म ,अध्यात्म, पर्यावरण , गौरक्षा , व्यापार, राजनीति, सहित धर्म और शास्त्र , और आदर्श जीवन सहित अनेक विषयों पर उपस्थित जनसमूह को उन्होंने संबोधित किया.
चिंता: विकास के नाम पर हो रहे अंधाधुंध कार्य.
उन्होंने कहा कि कोई भी विकृति जब चरम सीमा पर पहुंचती है तो संस्कृति का मार्ग प्रशस्त होता है चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विकास के नाम पर अंधाधुंध कार्य हो रहे हैं, इससे चंद्रमा की सतह भी धस गई है . उन्होंने स्पष्ट किया कि हम विकास के विरोधी नहीं है ,
लेकिन प्रकृति के नियमों को साथ लेकर विकास होना चाहिए. उन्होंने कहा कि पृथ्वी के धारक तत्वों की विकृति और विलुप्प्ती ही विकास की परिभाषा बन गई है. उन्होंने पृथ्वी के साथ धारक तत्व बताते हुए कहा कि इन भारत तत्वों को बिना नुकसान किए ही विकास किया जाना चाहिए. उन्होंने गोवंश की रक्षा पर करते हुए कहा , कि मुझे छत्तीसगढ़ में गायों के झुंड का एक साथ बैठना बहुत अच्छा लगता है,
क्योंकि यही वास्तव में गोष्ठी कहलाती है. उन्होंने यह भी कहा कि चारों दिशाओं में 25-25 एकड़ भूमि गोचर भूमि सुनिश्चित करनी चाहिए. जिससे कि गोवंश की रक्षा हो. उन्होंने आदर्श व्यापार के संबंध में कहा कि व्यापार में धर्म का पालन नहीं हो पाता . श्रीमद् भागवत कथा में कहा गया है, कि अर्थ के गर्भ से अनर्थ उत्पन्न होता है. इसलिए इसे सावधान रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि शराब और जुए से व्यक्ति को दूर रहना चाहिए. सुबह उन्होंने तिफरा स्थित झूलेलाल मंगलम में सम्मानित धर्म प्रेमियों और आस्थावान श्रद्धालुओं को बड़ी संख्या में दीक्षा प्रदान की।
इनकी रही मौजूदगी.
इस अवसर पर स्वामी ऋषि ब्रह्मचारी जी स्वामी निर्विकल्पानंद महाराज नगर विधायक शैलेश पांडे, बिलासपुर सांसद अरुण साव, तखतपुर विधायक रजनीश सिंह, विधायक रजनीश सिंह पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल,
अभय नारायण राय, चंद्रचूड़ त्रिपाठी, संदीप पांडे, विधायक धर्मलाल कौशिक कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला, सियाराम कौशिक, प्रमोद नायक विवेक बाजपेई, डॉक्टर मखीजा डॉ विनोद तिवारी, सिंधी समाज के प्रमुख साईं लाल दास जी सहित चंद्रचूड़ त्रिपाठी, प्रफुल्ल शर्मा, सुनील दीक्षित , अभिषेक पांडे , अमित जायसवाल एल्डरमैन, पार्षदगण, पी एन बजाज,
हरीश भगवानी, मोतीलाल गंगवानी, मोहनलाल मोटवानी, जगदीश, श्याम हरियानी, गोपी थारवानी, बृजलाल नागदेव, महेश पमनानी, सुरेश सिदार, आनंद देसर, लालचंद लालवानी, पीएन खत्री, रामचंद्र नागवाणी राधा-कृष्ण नामदेव सतीश तहलियानी, आनंद वाहिनी आदित्य वाहिनी के समस्त पदाधिकारी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे..
हमारे ईश्वर जगत बनते भी हैं और बनाते भी है.
उन्होंने कहा कि हमारे ईश्वर ऐसे हैं , जो जगत बनाते ही नहीं जगत बनते भी हैं. और यही कारण है कि वह जगत में कई बार अवतार लेते हैं
. उन्होंने कहा कि जो जगत बना नहीं सकता . वह जगत में अवतार कभी नहीं ले सकता. उन्होंने बताया कि ईश्वर सगुण साकार सगुण निराकार है.
गहरी बात:शिक्षा के नाम पर हजारों करोड़ों डॉलर विदेश में जा रहे.
शिक्षा व्यवस्था पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हजारों करोड़ों डॉलर शिक्षा के नाम पर विदेशों में जा रहे हैं , क्योंकि यहां के विद्यार्थी विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में पूरे भारतवर्ष की शिक्षा को दुरुस्त और बेहतर करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि शास्त्रानुसार शिक्षा दी जानी चाहिए जिससे कि उन्हें जीवन में सदमार्ग भी प्राप्त हो.
जीवन धर्म के लिए बना है.
उन्होंने कहा कि मनुष्य यह सोचता है , कि जीवन भोग के लिए बना है .यह गलत है
जीवन भोग के लिए नहीं बना. वह कर्म के लिए बना है , और इसके बाद फिर धर्म के लिए बना है . इसलिए हमें जीवन को कर्म करना चाहिए. धर्म युक्त कर्म करना चाहिए.
विधायक पाण्डेय ने शहर की जनता की ओर से किया स्वागत.
सीएमडी मैदान में आयोजित धर्म सभा में नगर विधायक शैलेश पांडे ने जगतगुरु शंकराचार्य का स्वागत और अभिनंदन किया. उन्होंने कहा कि शंकराचार्य जी का आशीर्वाद विशेष रूप से बिलासपुर के लोगों पर बना रहता है और उनका बिलासपुर से विशेष लगाव है.
यहां की जनता की ओर से मैं उनका स्वागत करता हूं . ऐसी कामना करता हूं कि उनका आशीर्वाद बिलासपुर शहर के हर व्यक्ति को सदैव मिलता रहेगा.
पूरी दुनिया भारत पर आकर्षित हो रही है- साव
इस अवसर पर बिलासपुर के सांसद अरुण साव ने कहा कि सनातन धर्म ही सर्वोपरि है , और आज भारत का लोहा पूरी दुनिया में माना जा रहा है.
यहां के धर्म और जीवन संस्कृति को पूरी दुनिया आत्मसात कर रही है. पूरे दुनिया को भारतवर्ष आकर्षित कर रहा है. दुनिया के हर देशों में भारतीय अपनी सफलता का परचम लहरा रहे हैं . यहां की भारतीय ज्ञान परंपरा लोगों की जरूरत है. उन्होंने शंकराचार्य जी का स्वागत अभिनंदन किया.