• खाद्य अधिकारी हो रहे मालामाल लेकिन एपीएल कार्ड धारक और दुकान संचालक हैं घोटाले से बेखबर.
बिलासपुर. जिला खाद्य विभाग के जरिए अमीरों के राशन कार्ड को गुपचुप तरीके से गरीबों के कार्ड में बदलकर सरकारी राशन की भारी हेरा फेरी की जा रही है। कांग्रेस शासन काल में वर्ष 2022 से खाद्य विभाग की आईडी से इस घोटाले को अंजाम दिया गया था जो आज भी चल रहा है।
जैन, जाजोदिया, गुप्ता, सोनी जैसे सरनेम वाले एपीएल कार्ड धारकों को खुद नहीं पता कि उनका राशन कार्ड बीपीएल में कन्वर्ट कर दिया गया है। मजे की बात यह है कि राशन दुकान के संचालक और संचालिका भी गोरखधंधे से अनभिज्ञ हैं।प्रारंभिक तौर पर मिली इस सनसनीखेज जानकारी के अनुसार खाद्य विभाग की आईडी से हुए इस गोरख धंधे में शामिल खाद्य अधिकारी भले ही स्थानांतरित हो गए हैं लेकिन उनका लाभ उन तक अभी भी पहुंच रहा है। छानबीन के बाद घोटाले की अभी और परतें खुलनी बाकी है।
ऐसे लेते हैं दोहरा लाभ.
एपीएल राशन कार्डधारी जब राशन लेने आता है तो उसे ₹10 किलो की दर से 35 किलो चावल दिया जाता है यानी की₹350 लेने के बाद वह बीपीएल कार्ड के नाम से ₹1 शासन की तिजोरी में जमा करता है पहले लाभ वह 315 रुपए कमाता है और इसके बाद शेष शक्कर और दाल को बाजार में बेचकर खाता है।
कानूनन गोरख धंधे का तरीका.
ज्यादातर एपीएल कार्ड धारकों की रुचि चावल की बजाय शक्कर लेने में होती है इसलिए उनका कार्ड आने और थंब लगने की एवज में 5 किलो शक्कर मुफ्त में दे दी जाती है। लेकिन 35 किलो चावल सीधे बेचकर घोटाला कर लिया जाता है। यह रकम घोटाला करने वाले दलाल से लेकर खाद्य विभाग के आला अफसर तक पहुंचता है।