आईपीएस मनोज शर्मा पहुंचे रायपुर: नालंदा परिसर का किया दौरा, कहा- ‘मैंने कभी इतनी अच्छी लाइब्रेरी नहीं देखी

रायपुर। जब आपके सामने जीवन की मुश्किलें खड़ी हों, तब दृढ़ संकल्प ही असली हीरो बना देता है। इसी तरह की प्रेरणा देने वाले व्यक्ति हैं आईपीएस मनोज शर्मा, जिनके जीवन पर आधारित बॉलीवुड फिल्म “12वीं फेल” ने लाखों युवाओं को प्रभावित किया है। बुधवार रात उन्होंने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के नालंदा परिसर का दौरा किया और यहां की लाइब्रेरी और कला केंद्र की सराहना की। इस दौरान लाइब्रेरी में मौजूद स्टूडेंट्स ने उनके साथ सेल्फी भी ली।

बता दें कि आईपीएस मनोज शर्मा बुधवार रात 9 बजे नालंदा परिसर पहुँचे थे, जहां कलेक्टर डॉ गौरव सिंह, एसएसपी संतोष सिंह, नगर निगम कमिश्नर अबिनाश मिश्रा और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने उनका स्वागत किया। इस दौरान कलेक्टर डॉ सिंह ने शॉल और एसएसपी संतोष सिंह ने विवेकानंद पर आधारित साहित्य भेंट की। इसके बाद आईपीएस मनोज शर्मा ने लाइब्रेरी का भी भ्रमण किया। जहां उन्होंने विजिटर बुक में लिखा, “मैंने अपने जीवन में इतनी शानदार लाइब्रेरी नहीं देखी, जहाँ इतने सारे छात्र-छात्राएं एक साथ मेहनत कर रहे हों।” उनकी ये पंक्तियाँ वहाँ पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए एक प्रेरणा बनीं। उन्होंने लाइब्रेरी में किताबें इशू कराने की प्रक्रिया को भी सराहा और छात्रों से इसे भरपूर उपयोग करने की अपील की।

कला केंद्र के विकास की संभावनाओं पर चर्चा

आईपीएस मनोज शर्मा ने न केवल पुस्तकालय की व्यवस्था को सराहा, बल्कि कला केंद्र में हो रहे कार्यों को देखकर छत्तीसगढ़ की संस्कृति को और भी बेहतर तरीके से सहेजने की संभावनाओं पर जोर दिया।

नालंदा परिसर के कला केंद्र के भ्रमण के दौरान बांसुरी की मधुर धुनों से लेकर पेंटिंग्स और वाद्य यंत्रों के बारे में जानकारी लेने के बाद, उन्होंने कहा कि “छत्तीसगढ़ में इस तरह के संस्थानों में कला और संस्कृति के विकास की अपार संभावनाएँ हैं।” आईपीएस मनोज शर्मा ने इस कला केंद्र को मुंबई जैसे सांस्कृतिक हब की तर्ज पर विकसित करने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि यहां के प्रतिभाशाली छात्रों को न केवल राज्य बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिलना चाहिए।

IPS मनोज शर्मा का जीवन संघर्ष दूसरों के लिए प्रेरणा

गौरतलब है कि विधु विनोद चोपड़ा द्वारा बनाई गई फिल्म ‘ट्वेल्थ फेल’ आईपीएस मनोज कुमार शर्मा की जीवनी पर आधारित इसी नाम की पुस्तक से अपनाई गई है। इस बायोपिक फिल्म की कहानी यह है कि जब मनोज शर्मा चंबल में अपने गांव में हायर सेकेंडरी की पढ़ाई कर रहे थे, तब उनके स्कूल में नकल कराई जाती थी और नकल से ही लोग पास होते थे। उस साल, जिसमें मनोज परीक्षा दे रहे थे, एक एसडीएम अचानक निरीक्षण के लिए पहुंच गए और नकल रोक दी, जिससे मनोज फेल हो गए। इसके बाद मनोज ने निश्चय किया कि कभी नकल नहीं करेंगे और सिविल सेवा की तैयारी करेंगे ताकि देश को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे सकें। उनकी कहानी ने देश के लाखों युवाओं को प्रभावित किया है और उन्हें कड़ी मेहनत तथा ईमानदारी के साथ अपना करियर संवारने की प्रेरणा दी है।”

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